किसानों की क़ानूनी मदद के लिए 70 वकील नियुक्त किए: अमरिंदर सिंह
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों को दिल्ली पुलिस की ओर से 26 जनवरी के बाद दर्ज किए गए मुक़दमों में पैरवी के लिए वकीलों की ज़रूरत थी। इसे देखते हुए पंजाब की अमरिंदर सरकार ने दिल्ली में 70 वकील नियुक्त कर दिए हैं जो किसानों को क़ानूनी सहायता देंगे।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार ने गणतंत्र दिवस के दिन निकाली गई ट्रैक्टर परेड के बाद ग़ायब हुए लोगों को खोजने के लिए हेल्पलाइन नंबर 112 जारी किया है। इन ग़ायब लोगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कई बार चिंता जताई जा चुकी है।
अमरिंदर सिंह ने कहा है कि वह ग़ायब हुए किसानों के मामले को गृह मंत्रालय के साथ मिलकर ख़ुद भी देख रहे हैं और इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि किसान सुरक्षित अपने घर पहुंच सकें।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी कैबिनेट के सहयोगी और कुछ कांग्रेस नेता सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मसले पर मिल चुके हैं। शाह से मिलने वालों में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मंत्री सुखजिंदर रंधावा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया शामिल थे।
सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि गृह मंत्री ने उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया है कि वह ग़ायब हुए लोगों को खोजने में मदद करेंगे। अमरिंदर सिंह ने भी कहा है कि उनकी सरकार इन ग़ायब लोगों को खोजने की भरसक कोशिश करेगी।
किसान आंदोलन पर सुनिए चर्चा-
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 119 लोगों की सूची जारी की है जिन्हें ट्रैक्टर परेड के दौरान दर्ज किए गए कई मुक़दमों को लेकर दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। पंजाब सरकार की ओर से कहा गया है कि नियुक्त किए गए वकील इन गिरफ़्तार लोगों और उनके परिजनों से मिलेंगे और इंसाफ़ दिलाने के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
क़ानून वापस ले सरकार: अमरिंदर
इधर, किसान आंदोलन को लेकर अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार से इन कृषि क़ानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की। कैप्टन ने कहा कि इस मसले का समाधान न होने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
अमरिंदर ने कहा कि दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा प्रायोजित थी। बैठक में फ़ैसला लिया गया कि सभी दलों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर किसान आंदोलन से जुड़े मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेगा।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों की सुरक्षा के लिए पुलिस की तैनाती की मांग की और बैठक से वॉकआउट कर दिया जबकि बीजेपी ने बैठक का बहिष्कार किया। बैठक में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, लोक इंसाफ़ पार्टी, शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक), बीएसपी, सीपीआई और सीपीआई (एम) के नेता शामिल रहे।