बीजेपी को तमाम राजनीतिक दलों में सोशल मीडिया का बादशाह माना जाता है। लेकिन बीते कुछ सालों में बाक़ी दलों ने भी सोशल मीडिया के कई प्लेटफ़ॉर्म्स पर सक्रियता बढ़ाई है और उसे चुनौती दी है। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में चल रहे घमासान में टीएमसी भी ऐसा ही करती दिख रही है।
चौथे चरण के मतदान वाले दिन जैसे ही शीतलकुची में फ़ायरिंग की घटना हुई और इसमें 4 लोगों की मौत की ख़बर आई, टीएमसी के सोशल मीडिया वॉरियर्स ‘काम’ में जुट गए।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने टीएमसी के ऐसे ही एक सोशल मीडिया वॉरियर से बात की है। इनका नाम
सयानदीप गोस्वामी है। 29 साल के गोस्वामी टीएमसी की छात्र शाखा टीएमसी छात्र परिषद की कूच बिहार इकाई के उपाध्यक्ष हैं। शीतलकुची की घटना के बाद गोस्वामी तुरंत कई वॉट्सऐप ग्रुप में संदेश भेजने लगे। यह संदेश ममता बनर्जी की ओर से था कि उनकी पार्टी इस घटना के विरोध में काला दिन मनाएगी। इस संदेश में ममता के पीड़ित परिवारों से फ़ोन पर बात करने वाले फ़ोटो, मारे गए लोगों के शवों के फ़ोटो और इस घटना का वीडियो भी अटैच था।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सोशल मीडिया बेहद ताक़तवर है लेकिन राजनीति में ज़मीनी और व्यक्तिगत संपर्क होना भी ज़रूरी है। कोरोना के समय में डिजिटली प्रचार की मांग बढ़ी है और बिहार के चुनाव के वक़्त भी तमाम राजनीतिक दलों ने इस पर काफी जोर दिया था।
माना जाता है कि सोशल मीडिया के युग में जो राजनीतिक दल डिजिटल के फ़ील्ड में दमदार होगा, वही ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकेगा।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान गोस्वामी 45 वॉट्सऐप ग्रुप के मेंबर थे लेकिन 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 150 तक पहुंच गया है। इनमें से 12 ग्रुप के वे एडमिन हैं। गोस्वामी कहते हैं कि 2019 में वे बीजेपी के सोशल मीडिया प्रचार का मुक़ाबला नहीं कर सके थे लेकिन उस चुनाव के नतीजों से हमने सबक सीखा था। तब बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी।
शीतलकुची की घटना के अलावा ममता बनर्जी की सरकार द्वारा जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, उनमें से एक योजना के प्रचार के लिए बनाए गए मीम में ममता को दुर्गा के रूप में दिखाया गया है।
बीजेपी नेता निशाने पर
टीएमसी की सोशल मीडिया टीम के द्वारा लोगों को भेजे जाने वाले संदेशों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष को निशाने पर लिया जाता है। एक मीम में इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेता अब्बास सिद्दीकी को इस तरह दिखाया गया है कि उन्होंने मुसलिम वोटों के बंटवारे के लिए बीजेपी से गठजोड़ कर लिया है।
इसके अलावा बीजेपी की रैलियों में खाली कुर्सियों की फ़ोटो भी ख़ूब वायरल की जाती हैं। टीएमसी से बीजेपी में आने वाले शुभेंदु अधिकारी, राजीब बनर्जी भी टीएमसी की सोशल मीडिया टीम के निशाने पर रहते हैं। इन संदेशों के जरिये सांप्रदायिक सौहार्द्र से लेकर टीएमसी के बूथ एजेंटों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए जाते हैं।
गोस्वामी कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उनकी कई ऑनलाइन मीटिंग हुई और उन्होंने कई एप्स का इस्तेमाल करना सीखा। इनके जरिये वे वीडियो को एडिट करते हैं। कूच बिहार के एक ग्रुप का प्रशांत किशोर की आईपैक टीम ने भी मार्गदर्शन किया था।
चैनलों के पास नहीं जाते
टीएमसी की सोशल मीडिया टीम के कार्यकर्ता बीजेपी पर फर्जी अकाउंट्स के जरिये झूठा प्रचार गढ़ने का भी आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं कि वे मेनस्ट्रीम मीडिया पर बहुत कम निर्भर हैं। पहले वे मीडिया हाउसेस के पास अपनी ख़बर लेकर जाते थे लेकिन अब वे सोशल मीडिया के जरिये हजारों लोगों तक पहुंच जाते हैं। इस बार चुनाव प्रचार के दौरान टीएमसी का खेला होबे भी खूब चर्चा में रहा है।