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असम में बुलडोजर क्यों चला? जानिए, निशाने पर कौन

असम में बुलडोजर क्यों चला? जानिए, निशाने पर कौन

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली वाली 'बुलडोजर की कार्रवाई' अब असम में भी पहुँच गई है! जानिए, असम पुलिस ने कई घरों को बुलडोजर से क्यों ढहा दिया और किसके घर ढहाए गए।

असम के नगांव में अधिकारियों ने रविवार को उन कई परिवारों के घरों को ध्वस्त कर दिया जो कथित तौर पर पिछले दिनों जिले के एक पुलिस स्टेशन में आग लगाने में शामिल थे। हालाँकि, एक रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि यह कार्रवाई अवैध कब्जे हटाने के तौर पर की गई है।

एक स्थानीय व्यक्ति की कथित तौर पर हिरासत में मौत के एक मामले के बाद लोगों का ग़ुस्सा फूट पड़ा था। रिपोर्टों के अनुसार सलोनाबोरी गांव के लोगों की भीड़ ने शनिवार दोपहर ढिंग क्षेत्र में बटाद्रवा पुलिस स्टेशन के एक हिस्से में आग लगा दी थी। इसी बीच रिपोर्ट आई कि रविवार को बुलडोजर ने कई घरों को ध्वस्त कर दिया। 

विध्वंस के बाद बारपेटा के कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने ट्वीट किया, 'हम पुलिस थाने पर हमले का कभी समर्थन नहीं करते। लेकिन पुलिस द्वारा हमलावरों के घरों पर बुलडोजर चलाना सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है।'

यह मामला मछली व्यापारी सोफिकुल इसलाम से जुड़ा है। पुलिस के अनुसार सलोनाबोरी गांव के एक मछली व्यापारी सोफिकुल इसलाम को शुक्रवार रात इस शिकायत के आधार पर पुलिस स्टेशन लाया गया था कि वह शराब के नशे में था।

बाद में अगले दिन ख़बर आई कि सोफिकुल की मौत हो गई है। मौत के कारण बनने वाली घटनाओं पर विवाद है। पुलिस ने दावा किया कि उसकी पत्नी द्वारा उसे अस्पताल ले जाने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। जबकि मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि उसने उसे अस्पताल में मृत पाया।

असम के पुलिस महानिदेशक ने एक बयान में कहा है कि 'सोफिकुल को रिहा कर दिया गया और शनिवार सुबह उसकी पत्नी को सौंप दिया गया। उसकी पत्नी ने उसे कुछ पानी-खाना भी दिया। बाद में उसने बीमारी की शिकायत की और उसे एक के बाद एक दो अस्पतालों में ले जाया गया। दुर्भाग्य से उसे मृत घोषित कर दिया गया।'

पुलिस के इस दावे को इसलाम के परिवार वालों ने खारिज किया है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके परिवार वालों ने दावा किया कि बटाद्रवा स्टेशन पर पुलिस ने उसकी रिहाई के लिए 10,000 रुपये और एक बत्तख की रिश्वत की मांग की थी। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों ने कहा कि इसलाम की पत्नी शनिवार की सुबह बत्तख लेकर थाने पहुंची थी। ग्रामीणों ने कहा, 'जब वह बाद में पैसे लेकर लौटी, तो उसे पता चला कि उसके पति को नगांव सिविल अस्पताल ले जाया गया है। वहां पहुंचने के बाद उसने उसे मृत पाया।' 

 

बहरहाल, सोफिकुल की मौत की सूचना पर ग्रामीणों ने ग़ुस्सा जाहिर किया। उस घटना में हिंसा हुई और उसी दौरान पुलिस थाने के एक हिस्से में आग लगा दी गई। इस घटनाक्रम के बाद नगांव ज़िला प्रशासन ने शनिवार को मौत की न्यायिक जाँच के आदेश दिए और पुलिस ने बटाद्रवा स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को निलंबित कर दिया।

असम डीजीपी ने ट्वीट किया, 'उस दिन बाद में स्थानीय बदमाशों ने क़ानून अपने हाथ में ले लिया और थाने को जला दिया। ये बदमाश स्त्री, पुरुष, युवा और वृद्ध सभी रूपों में आए। लेकिन जिस तैयारी के साथ वे आए, पुलिस पर उन्होंने जो क्रूर, संगठित हमला किया, उसने हमें गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया है।'

पुलिस के अनुसार, असम में शनिवार को हिंसा के मामले में 21 लोगों को हिरासत में लिया गया था। 

बता दें कि इस मामले में ही असम पुलिस ने आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलवाया है। ऐसी ही बुलडोजर की कार्रवाई मध्य प्रदेश और दिल्ली में हाल में विवादित रही है। दिल्ली में एक शोभायात्रा में सांप्रदायिक झड़प के बाद प्रशासन ने कार्रवाई की थी। उसने अवैध निर्माण ध्वस्त करने के नाम पर बुलडोजर से कई घर ढहा दिए थे। इससे पहले मध्य प्रदेश के खारगोन में भी ऐसी ही शोभायात्रा में झड़प होने के बाद पुलिस ने बुलडोजर से कार्रवाई की। आरोप लगाया गया कि एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ बुलडोजर चलाकर घर ढहाए गए। दिल्ली में अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी की केंद्र सरकार का नियंत्रण है जबकि मध्य प्रदेश और असम में बीजेपी की सरकार है। 

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