कुर्सी बचाओ बजटः बिहार, आंध्र प्रदेश पर धन की बारिश, मोदी पर राजनीतिक दबाव साफ दिखा
मोदी सरकार के बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश का बोलबाला है। अभी सोमवार को यह खबर आई थी कि केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से मना कर दिया है। इसी तरह आंध्र प्रदेश ने भी बजट से पहले राज्य के लिए ढेरों रियायतें मांगी थीं। केंद्र की एनडीए सरकार बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू और आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलगू देशम के दम पर चल रही है।
ऐसे में मोदी सरकार इन दोनों ही राज्यों और पार्टियों के अनुरोधों को मना करने का साहस दिखा नहीं पाई। बजट में बिहार का उल्लेख वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बार-बार कर रही थीं। इसका साफ मतलब था कि सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा न देकर उसे अन्य योजनाओं और बजट आवंटन का प्रस्ताव कर मनाने की कोशिश की।
'कुर्सी बचाओ बजट'
मोदी की मजबूरी पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024 सत्ता बरकरार रखने का एक तरीका है क्योंकि उन्होंने बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष परियोजनाओं का उल्लेख किया है। यह अच्छा भी है कि अपनी सरकार बचाने के लिए उन्हें बिहार और आंध्र के लिए विशेष घोषणाएं करना पड़ीं। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने अखिलेश यादव की बात दोहराते हुए केंद्रीय बजट को 'कुर्सी बचाओ' बताया। उन्होंने कहा, ''उन्होंने एनडीए के सहयोगियों को बजट में प्रोत्साहन दिया है और वे (केंद्र) उन्हें अपने पक्ष में रखना चाहते हैं।''
मोदी सरकार के गठन के बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बिहार के लिए विशेष दर्जा या "विशेष पैकेज" की मांग करते हुए एक प्रस्ताव हाल ही में पारित किया था। बिहार में नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता के बीच बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं। भाजपा-जेडीयू गठबंधन को उम्मीद थी कि घोषणाओं से चुनाव से पहले उसे जरूरी प्रोत्साहन मिलेगा।
बिहार को वित्तीय सहायता के बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, "केंद्र बिहार के गया में एक औद्योगिक पार्क के लिए बजट देगी। यह पूर्वी क्षेत्र के विकास को गति देगा। बिहार में सड़क संपर्क परियोजनाओं के लिए बजट की घोषणा भी शामिल है। पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे के लिए केंद्र बजट देगा। इसी तरह बक्सर-भागलपुर राजमार्ग को वित्तीय मदद मिलेगी। बोधगया-राजगीर-वैशाली-दरभंगा सड़क मार्ग को मदद मिलेगी। 26,000 करोड़ रुपये से बक्सर में गंगा नदी पर दो-लेन के एक अतिरिक्त पुल को मंजूरी दी गई है।
उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय विकास एजेंसियों से सहायता के माध्यम से बिहार के लिए वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा, "सरकार बिहार में हवाई अड्डे, मेडिकल कॉलेज और खेल के लिए बुनियादी ढांचा भी स्थापित करेगी।" इस घोषणा का अर्थ यह है कि केंद्र सरकार बिहार को विदेशी एजेंसियों से धन उपलब्ध कराएगी। जो बिहार को लोन के रूप में मिलेगा। बिहार सरकार को कुछ लोन चुकाना होगा और उसका कुछ हिस्सा सरकार चुकाएगी।
बिहार में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा
इस बजट में पर्यटन का सबसे बड़ा हिस्सा बिहार को मिला है। गया में विष्णुपद मंदिर और बोधगया में महाबोधि मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर गलियारे की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। साथ ही, राजगीर को हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों के लिए महत्व को ध्यान में रखते हुए एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। नालंदा को शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करने के साथ-साथ पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा।
आंध्र प्रदेश की हर वित्तीय मांग पूरीः आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में अमरावती के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि बहुपक्षीय फंडिंग एजेंसियों से धन जुटाया जाएगा और केंद्र के माध्यम से भेजा जाएगा। बता दें कि आंध्र प्रदेश पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण कदम है। क्योंकि तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए गठबंधन में "किंगमेकर" सहयोगी के रूप में उभरी है। आंध्र प्रदेश ने नई राजधानी अमरावती को विकसित करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये मांगे थे, जिसे केंद्र ने पूरा कर दिया है।
आंध्र प्रदेश में आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन उपलब्ध कराने पर, सीतारमण ने कहा, "आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, पानी, बिजली, रेलवे और सड़क जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के लिए धन प्रदान किया जाएगा।"
सीतारमण ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार राज्य में पिछड़े क्षेत्रों को अनुदान देने की आवश्यकता को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा, "अधिनियम में बताए अनुसार रायलसीमा, प्रकाशम और उत्तरी तटीय आंध्र के पिछड़े क्षेत्रों के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा।" यहां यह बताना जरूरी है कि बजट से पूर्व आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अपने एक मंत्री को केंद्र के पास भेजा था। जिसने इन मांगों को प्रमुखता से रखते हुए बजट की मांग की थी। सरकार ने उन सभी मांगों को केंद्रीय बजट में शामिल किया है।
इस बजट में यूपी के लिए कोई उल्लेखनीय घोषणा नहीं की गई है। आमतौर पर हर बजट में यूपी को जरूर कुछ न कुछ मिलता रहा है। लेकिन यूपी इस बार नजरन्दाज रहा। यूपी की स्थिति बिहार के मुकाबले बहुत बेहतर नहीं है। बड़ा राज्य होने की वजह से वो हमेशा योजनाओं का तलबगार रहा है। क्या इसकी वजह यह मानी जाए कि हाल के लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को राज्य में बुरी तरह शिकस्त दी है, इसलिए केंद्र सरकार ने यूपी के सिर से हाथ हटा लिया है। क्या यूपी को 2027 के विधानसभा चुनाव तक केंद्रीय योजनाओं का इंतजार करना होगा और तब तक उसे साम्प्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश जारी रहेगी। इस बजट ने यूपी को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।