मध्य प्रदेश से राज्यसभा की कुल तीन रिक्त सीटों के लिए कल यानी 19 जून को होने वाले चुनाव की तसवीर पूरी तरह से साफ़ हो गई है। सरकार में रहने तक कमल नाथ और कांग्रेस के झंडे तले खड़े बसपा के दो, सपा के एक और दो निर्दलीय विधायकों ने अब अपने हाथों में ‘कमल’ को थाम लिया है। इन पाँच विधायकों के पाला बदलते ही बीजेपी की दो सीटें पक्की हो गई हैं।
मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के ठीक पहले जिन विधायकों ने पाला बदला है, उनमें बहुजन समाज पार्टी की रामबाई और संजीव कुशवाहा, समाजवादी पार्टी के राजेश शुक्ला तथा निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा एवं विक्रम राणा शामिल हैं।
राज्यसभा चुनावों की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए बुधवार दोपहर को कांग्रेस ने अपने विधायकों की बैठक की थी। इस बैठक के बाद रात में बीजेपी ने विधायकों को भोज पर आमंत्रित किया था।
कांग्रेस दो सीटों को हासिल करने की जुगत में जुटी हुई थी तो बीजेपी भी अपने पत्ते खेल रही थी। दो सीटें पाने के लिए जहाँ कांग्रेस को अपने सभी मौजूदा विधायकों के अलावा 16 नंबरों की और ज़रूरत थी तो बीजेपी को केवल एक विधायक चाहिए था।
मध्य प्रदेश बीजेपी के 107 विधायक हैं। इन 107 विधायकों में 106 बैठक में पहुँचे थे। जबकि यशोधरा राजे सिंधिया भोपाल में होते हुए भी बैठक में नहीं आयी थीं। बताया गया था कि कोरोना संक्रमण के ख़तरे के मद्देनज़र वह बैठक से दूर रहीं।
बीजेपी की ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के पहले ही शिवराज सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा सक्रिय थे। शाम को बसपा, सपा और निर्दलीय विधायक मिश्रा के घर पहुँचे थे। बाद में ये पाँचों विधायक बीजेपी के रात्रि भोज में पहुँचे। इन्हें देखकर बीजेपी के रणनीतिकारों की बाँछें खिल गईं।
राज्यसभा की एक सीट के लिए वोटों का गणित 54 है। इस मान से बीजेपी को एक नंबर कम पड़ रहा था। बसपा, सपा और निर्दलीयों के पाँच नंबर ‘जुटने’ के बाद बीजेपी के पास 112 वोट हो गये हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि यदि ऐन वक़्त पर पार्टी के साथ कोई कथित असंतुष्ट विधायक ‘खेल’ करने का प्रयास भी करता है तो भी बीजेपी को कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। यहाँ बता दें कि मंत्रिमंडल के विस्तार में हुई देरी से बीजेपी के कई विधायक खासे ख़फा हैं। समय-समय पर कुछ ने तो अपने-अपने अंदाज़ में आक्रोश को प्रकट भी किया है। यही वजह है कि बीजेपी फूँक-फूँककर क़दम आगे बढ़ा रही है।
उधर कांग्रेस को बुधवार को तब पहला तगड़ा झटका लगा था जब उसके कुल 92 विधायकों में पाँच बैठक में नहीं पहुँचे थे। एक विधायक कुणाल चौधरी तो उन्हें हुए कोरोना संक्रमण की वजह से नहीं आये थे। जबकि चार बिना सूचना नदारद रहे थे। रात को जब बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के पाला बदल लेने की सूचना आयी तो कांग्रेस के खेमे में मायूसी बढ़ गई।
मध्य प्रदेश की तीन रिक्त सीटों के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने दो-दो उम्मीदवार उतार रखे हैं। कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और बसपा के पुराने कद्दावर नेता फूलसिंह बरैया उम्मीदवार हैं। जबकि बीजेपी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और आरएसएस के प्रियपात्रों में शुमार सुमेर सिंह सोलंकी को प्रत्याशी बनाया हुआ है।