येदियुरप्पा को बीजेपी समर्थकों ने क्यों घेरा, कर्नाटक बीजेपी में अंतर्कलह?
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के अंदर ही 'संघर्ष' शुरू हो गया है। जिन बीएस येदियुरप्पा के 'सम्मान' में अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने तारीफों के पुल बांधे थे उनको बीजेपी कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण चिक्कमगलुरु जिले में पार्टी के चुनाव पूर्व एक कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि का समर्थन करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा घेराव किया गया।
कहा जा रहा है कि सीटी रवि और येदियुरप्पा के बीच आगामी चुनाव में टिकट देने को लेकर विवाद है। वैसे ताज़ा विवाद तो एक विधायक एम पी कुमारस्वामी को टिकट देने को लेकर है, लेकिन येदियुरप्पा के बेटे को भी अपनी पसंद की सीट से टिकट दिए जाने पर दोनों में एक राय नहीं है। येदियुरप्पा ने हाल ही में कहा है कि उनके बेटे बी वाई विजयेंद्र आगामी चुनावों में शिमोगा जिले के शिकारीपुरा से चुनाव लड़ेंगे। इस पर सीटी रवि ने येदियुरप्पा की घोषणा को खारिज कर दिया था। इन्हीं वजहों से गुरुवार को प्रदर्शन हुआ।
मुदिगेरे निर्वाचन क्षेत्र में गुरुवार को येदियुरप्पा भाजपा की विजय संकल्प यात्रा का नेतृत्व करने के लिए पहुँचे थे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इसी दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और सीटी रवि के समर्थकों ने येदियुरप्पा की कार का घेराव किया और मांग की कि मौजूदा विधायक एम पी कुमारस्वामी को विधानसभा का टिकट नहीं दिया जाए, जो मुदिगेरे निर्वाचन क्षेत्र में एक और कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए हैं।
विवादित टिप्पणियों के लिए जाने जाने वाले कुमारस्वामी पर पार्टी का एक वर्ग असहज महसूस करता है।
इस मामले में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कुमारस्वामी यह कहते हुए भावुक हो गए कि उन्हें पीड़ा हुई कि येदियुरप्पा जैसे वरिष्ठ नेता को मुदिगेरे में कार्यक्रम में भाग लेने नहीं दिया गया, जहां लाखों रुपये खर्च किए गए थे। एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'मुझे निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि मैं एससी समुदाय से आता हूं।' उन्होंने दावा किया कि येदियुरप्पा उनमें विश्वास रखते हैं और उन्होंने उन्हें पार्टी व लोगों के लिए काम करने के लिए कहा है।
मई में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश बीजेपी में कई और मामलों में भी अंदरूनी कलह दिखी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की गुरुवार की यात्रा से पहले कोर्तगेरे में टिकट चाहने वालों के बीच संघर्ष देखा गया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार घटनास्थल के वीडियो में कोर्तगेरे विधानसभा सीट के उम्मीदवारों - लक्ष्मीकांत और अनिल कुमार - को सार्वजनिक रूप से आपस में उलझते हुए देखा गया। इलाके में फ्लेक्स और बैनर लगाने को लेकर भी विवाद हुआ था।
मोदी ने जमकर की थी येदियुरप्पा की तारीफ़
कुछ दिन पहले ही शिवमोगा हवाई अड्डे का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने येदियुरप्पा की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा ने अपना जीवन गरीबों और किसानों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, 'कर्नाटक विधानसभा में पिछले हफ्ते उनका भाषण सार्वजनिक जीवन में आने वाले प्रत्येक भारतीय के लिए एक प्रेरणा है। येदियुरप्पा ने दिखाया है कि ऊंचाई तक पहुंचने के बावजूद विनम्र कैसे रहा जाता है।' पीएम मोदी ने उनके सम्मान में भीड़ से अपने मोबाइल पर लाइट फ्लैश करने को भी कहा था। फिर उन्होंने उन्हें येदियुरप्पा के सम्मान में हाथ उठाने और हाथ हिलाने के लिए कहा था।
बता दें कि दक्षिण में भाजपा के सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा को 2021 में मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था। इस बार, उन्होंने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन पर्दे के पीछे रहकर काम करेंगे और उनके छोटे बेटे बी वाई विजयेंद्र शिकारीपुरा से चुनाव लड़ेंगे। वंशवादी राजनीति के आरोपों को खारिज करने के लिए भाजपा विजयेंद्र को टिकट या पार्टी का पद देने को तैयार नहीं है।
लेकिन बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह राज्य में लिंगायत समुदाय को नाराज़ करना नहीं चाहेगी। यह समुदाय चुनावों में बेहद अहम भूमिका निभाता है। राज्य में कुल आबादी का लगभग 17 प्रतिशत इस समुदाय से हैं। यही समुदाय बीजेपी का मज़बूत वोट बैंक भी है। येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। विपक्षी दल के नेताओं का कहना है कि येदियुरप्पा को बीजेपी आलाकमान नजरअंदाज कर रहा है।
अब बीजेपी के प्रचार अभियान से साफ है कि पार्टी "येदियुरप्पा फैक्टर" पर निर्भर है। जो अपने रसूख का लाभ उठाकर पार्टी को जीत की मंजिल तक पहुंचा सकने का दम रखते हैं। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व - पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह - ने हाल के दिनों में राज्य में अपनी जनसभाओं के दौरान येदियुरप्पा की प्रशंसा की।
माना जाता है कि येदियुरप्पा की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने लिंगायत समुदाय को एक संकेत दिया है। लेकिन सवाल है कि बीजेपी समर्थकों द्वारा ही येदियुरप्पा का विरोध करने से लिंगायत समुदाय में क्या संदेश जाएगा और क्या बीजेपी ऐसे किसी नुक़सान को सहना चाहेगी?