उत्तर प्रदेश सरकार की ही रिपोर्ट ने गोरखपुर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर कफ़ील ख़ान को उन मुख्य आरोपों से मुक्त कर दिया है जिसमें 63 बच्चों की मौत के बाद सरकार ने उन्हें पहले निलंबित कर दिया था और बाद में गिरफ़्तार कर उन्हें जेल भेज दिया था। अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से उन बच्चों की मौत हो गई थी। सरकार की ओर से तैयार की गई इस रिपोर्ट को कफ़ील ख़ान ने सोशल मीडिया पर जारी किया है। उन्होंने एक वीडियो भी ट्वीट किया है।
डॉक्टर कफ़ील ख़ान गोरखपुर के सरकारी अस्पताल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे थे। अगस्त 2017 में दो दिन के अंदर 63 बच्चों की मौत हो गई थी। बच्चों वाले वार्ड में ऑक्सीज़न सप्लाई नहीं होने की बात सामने आई थी। काफ़ी हंगामा होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कफ़ील ख़ान को निलंबित कर दिया था। सरकार ने आरोप लगाया था कि यह जानते हुए कि स्थिति काफ़ी ख़राब है कफ़ील ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी थी और तत्काल क़दम उठाने में विफल रहे थे। उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी और जेल की सज़ा हुई थी। जेल जाने के क़रीब आठ महीने बाद अप्रैल 2018 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज़मानत दी थी। तब कोर्ट ने कहा था कि मेडिकल कॉलेज में लापरवाही का ख़ान के ख़िलाफ़ कोई सीधा सबूत नहीं है।
अब सरकार की ही 15 पन्नों की एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट को डॉक्टर ख़ान को गुरुवार को सौंपा गया है। इस रिपोर्ट में इसका ज़िक्र है कि डॉ. ख़ान मेडिकल लापरवाही के लिए दोषी नहीं हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि वह न तो ऑक्सीज़न सप्लाई के टेंडर की प्रक्रिया में शामिल थे और न ही इससे जुड़े किसी भ्रष्टाचार में।
कफ़ील ख़ान ने ख़ुद से जारी वीडियो में कहा है कि दोषी को अभी भी सरकार ने नहीं पकड़ा है और मुझे बली का बकरा बनाया गया। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को अब माफ़ी माँगनी चाहिए, पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए और इस घटना की सीबीआई जाँच करानी चाहिए।