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बदलापुर: जनता में आक्रोश न हो तो पुलिस तंत्र काम नहीं करता- हाईकोर्ट

बदलापुर: जनता में आक्रोश न हो तो पुलिस तंत्र काम नहीं करता- हाईकोर्ट

बदलापुर स्कूल में चार वर्षीय दो बच्चियों से यौन शोषण मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। जानिए, इसने सुनवाई के दौरान क्या टिप्पणी की।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदलापुर स्कूल में बच्चियों से यौन शोषण मामले में पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि जब तक जनता में आक्रोश न हो तब तक पुलिस तंत्र काम नहीं करता। इसके साथ ही इसने स्कूल अधिकारियों से घटना की समय पर रिपोर्ट न करने के लिए सवाल किया और पूछा, 'अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं है, तो शिक्षा के अधिकार के बारे में बोलने का क्या फायदा है?' बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इसी को लेकर वह सुनवाई कर रहा था।

अदालत ने बदलापुर पुलिस से पूछा कि पीड़ितों और उनके परिवारों के बयान प्रक्रिया के अनुसार समय पर क्यों नहीं दर्ज किए गए और स्कूल अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या कथित घटना जिस स्कूल में हुई, उसके ख़िलाफ़ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किए गए थे।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज के चव्हाण की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। बदलापुर के स्कूल में बच्चियों के यौन उत्पीड़न और पुलिस कार्रवाई में देरी की ख़बरों का अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया है। 

न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने टिप्पणी की, 'पुलिस ने बयान इतनी देरी से दर्ज किए, घटना 12-13 अगस्त की है और एफ़आईआर 16 तारीख़ की है, बयान अब दर्ज किए गए? माता-पिता के बयान पहले क्यों दर्ज नहीं किए गए? पुलिस अधिकारी का कर्तव्य प्रक्रिया के अनुसार बयान दर्ज करना है। हम चाहते हैं कि पीड़ितों को न्याय मिले।'

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट बेंच ने कहा, 'हम इस तथ्य से स्तब्ध हैं कि बदलापुर पुलिस ने आपराधिक प्रक्रिया के अनुसार दूसरी पीड़ित लड़की का बयान दर्ज नहीं किया। कल स्वत: संज्ञान से जनहित याचिका दर्ज किए जाने के बाद ही पीड़ितों में से एक के पिता का बयान आधी रात के बाद देर से दर्ज किया गया।'

अदालत ने कहा कि बदलापुर स्कूल के अधिकारी कथित यौन शोषण की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को रिपोर्ट करने में विफल रहे।

राज्य सरकार के लिए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि पीड़ितों और उनके परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि बयान तुरंत दर्ज किए जाएंगे और कानून के अनुसार पीड़ितों और उनके परिवारों की काउंसलिंग भी की जाएगी।

अदालत ने कहा, 'हम अगले दिन केस फाइल देखना चाहते हैं और विशेष जांच दल को सौंपे जाने से पहले बदलापुर पुलिस ने क्या जांच की थी। आपको इस बारे में बहुत सारे जवाब देने होंगे कि बदलापुर पुलिस स्टेशन ने आवश्यकतानुसार जांच क्यों नहीं की।' 

सराफ ने यह भी कहा कि स्कूल में एक प्रशासक नियुक्त किया गया है और स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। सराफ ने कहा, 'हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न केवल छात्रों की सुरक्षा के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, बल्कि उन्हें सभी स्कूलों में लागू किया जाए। हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।' 

न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने कहा, 'यदि स्कूल सुरक्षित स्थान नहीं है, तो शिक्षा के अधिकार और ऐसी चीजों के बारे में बोलने का क्या फायदा है? यहां तक ​​कि 4 साल की लड़कियों को भी नहीं बख्शा जा रहा है। यह क्या स्थिति है? यह बिल्कुल चौंकाने वाली है।' पीठ ने कहा, 'कई मामले दर्ज नहीं किए जाते। इन सबके बारे में बोलने के लिए बहुत साहस की ज़रूरत होती है और लड़कियों ने शिकायत की है। पुलिस ने वह भूमिका नहीं निभाई है जो उसे निभानी चाहिए थी और अगर वे संवेदनशील होते, तो ऐसा नहीं होता।' 

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