आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन लोन फ्रॉड मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को जमानत मिल गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोनों कोचर दंपत्ति की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सीबीआई ने इनकी गिरफ्तारी क़ानून के मुताबिक़ नहीं की थी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने चंदा कोचर और दीपक कोचर को फौरन रिहा करने के आदेश दिए हैं। हालाँकि सीबीआई चंदा और दीपक कोचर की रिहाई के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट से सीबीआई को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन लोन फ्रॉड मामले में कुछ दिन पहले ही गिरफ्तार की गई आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक लाख के मुचलके पर जमानत दे दी है। सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने चंदा कोचर और दीपक कोचर की रिहाई का फ़ैसला देते हुए सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि जब चंदा और दीपक कोचर से सीबीआई पहले से ही पूछताछ कर रही थी तो फिर उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया।
हाईकोर्ट में सीबीआई ने चंदा कोचर और दीपक कोचर की रिहाई का विरोध किया, लेकिन सीबीआई के वकील बॉम्बे हाई कोर्ट की डबल बेंच के जजों को बता पाने में नाकामयाब रहे कि आखिरकार सीबीआई ने चंदा और दीपक कोचर की गिरफ्तारी क्यों की थी। डबल बेंच ने सीबीआई के वकीलों से पूछा कि जब चंदा कोचर और दीपक कोचर इस मामले में सीबीआई की पूछताछ का सामना कर चुके थे और उनके बुलावे पर पूछताछ में शामिल हो रहे थे तो फिर चंदा कोचर और दीपक कोचर की गिरफ्तारी की क्या ज़रूरत थी। इस सवाल का जवाब सीबीआई के वकील नहीं दे पाए और यही कारण रहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने चंदा और दीपक कोचर को एक लाख के मुचलके पर जमानत दे दी।
बता दें कि वीडियोकॉन और आईसीआईसीआई लोन घोटाले मामले में सीबीआई ने दिसंबर 2022 में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था। जिस समय वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक ने लोन दिया था उस समय चंदा कोचर बैंक की कमान संभाल रही थीं जबकि उनके पति दीपक कोचर न्यू रिन्यूएबल कंपनी में थे जिसको वीडियोकॉन ग्रुप की तरफ़ से लोन के बदले में रक़म मिली थी।
जानकारी के मुताबिक़ साल 2012 में आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था जो बाद में एनपीए हो गया था। साल 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने जाँच में यह भी पाया था कि दरअसल वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक वेणुगोपाल धूत को जो लोन आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से दिया गया था उसके कमीशन के तौर पर वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर को अपनी कंपनी में निवेश कराया था।
साल 2012 में आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। 2009 में जब आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर थीं तो बैंक ने वेणुगोपाल की कंपनी को 300 करोड़ रुपए का लोन दिया था इसके बदले में वेणुगोपाल धूत के स्वामित्व वाली कंपनी को 64 करोड रुपए वापस कर दिए थे जिसमें दीपक कोचर की 50 फ़ीसदी की हिस्सेदारी थी।
इसी बैंक लोन घोटाले मामले में कुछ दिनों पहले सीबीआई ने वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार किया था। वेणुगोपाल पर आरोप था कि उन्होंने चंदा कोचर और उनके पति से मिलकर आईसीआईसीआई बैंक से करोड़ों का लोन लिया था जिसके बदले में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को वीडियोकॉन की कंपनी में निवेश करने को मिला था।
यह पहला मामला नहीं है कि जब केंद्रीय जांच एजेंसी को बॉम्बे हाईकोर्ट से झटका लगा हो। इससे पहले शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत की रिहाई के वक्त भी बॉम्बे हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए संजय राउत की गिरफ्तारी पर एजेंसी को फटकार लगाई थी।