आर्यन ख़ान को मिली ज़मानत, आज हो सकते हैं जेल से रिहा
आर्यन ख़ान को आख़िरकार ज़मानत मिल गई। उनके साथ ही अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को भी जमानत मिली है। तीनों को आज जेल से रिहा किया जा सकता है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने तीन दिन की सुनवाई के बाद गुरूवार को इस पर अपना फ़ैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि वह विस्तृत फ़ैसला शुक्रवार को देगी।
इन तीन दिनों में आरोपी और एनसीबी की ओर से दलीलें सुनी गईं। आर्यन क़रीब 3 हफ़्ते जेल में रहे। इस दौरान दो बार उनकी ज़मानत याचिका खारिज की गई। बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले से एनसीबी को तगड़ा झटका लगा है। यह इसलिए क्योंकि आर्यन के पास से न तो ड्रग्स मिला था और न ही इसके सेवन को लेकर मेडिकल टेस्ट कराया गया था। इसी आधार पर आर्यन की तरफ़ से गिरफ़्तारी को अवैध ठहराया जा रहा था। लेकिन एनसीबी आख़िर तक यह कहकर विरोध करती रही कि उनके दोस्त के पास से ड्रग्स मिला है। एनसीबी ने तर्क दिया है कि वह एक साज़िश का हिस्सा थे और उनकी वाट्सऐप चैट से पता चलता है कि वह अवैध ड्रग लेनदेन में शामिल थे।
इस मामले में मंगलवार से ही दोनों पक्षों की ओर से दलीलें रखी जा रही थीं। उनकी ज़मानत याचिका पर गुरुवार को एनसीबी की तरफ़ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा, 'आर्यन ख़ान ड्रग पेडलर्स के संपर्क में रहे हैं।' उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि आर्यन ख़ान पिछले कुछ वर्षों से नियमित रूप से ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं और ड्रग्स की खरीद कर रहे हैं। एनसीबी की ओर से जवाब देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी कमर्शियल मात्रा में ड्रग्स ख़रीदते थे।
एनसीबी के वकील अनिल सिंह ने आर्यन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आर्यन ख़ान फर्स्ट-हैंड सेवन करने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि वह पिछले 2 वर्षों से रिकॉर्ड के अनुसार नियमित रूप से सेवन कर रहे हैं। एएसजी ने कहा था, ' ये वे रिकॉर्ड हैं जिन पर भरोसा किया जाता है। एक गुप्त नोट है क्रूज पर जाने वाले 11-12 व्यक्तियों के ड्रग्स के बारे में। 11 में से आठ को गिरफ्तार किया गया था। स्वैच्छिक पंचनामा, स्वैच्छिक बयान, मोबाइल फोन और डिजिटल डिवाइस पर वाट्सऐप चैट, ये विशेष अदालत के समक्ष भी पेश किए गए रिकॉर्ड हैं।'
उन्होंने यह भी कहा था, 'आचित एक ड्रग पेडलर है और वह बाद में पकड़ा गया था, क्रूज पर नहीं। मेरा तर्क है कि आरोपी ने सौदा किया है या यहाँ तक कि अगर सौदा करने का प्रयास भी किया है, तो धारा 28 पूरी तरह से लागू होती है और यदि वह साज़िश का हिस्सा है, तो धारा 29 लागू होती है।' इसी आधार पर एएसजी ने कहा था कि भले ही आरोपी के कब्जे से ड्रग्स नहीं पाया गया है, लेकिन वाणिज्यिक इस्तेमाल का प्रयास किया गया था।
एएसजी ने कहा था, "यह मामला ड्रग्स के 'कॉन्शस पजेशन' और सेवन करने की योजना के बारे में है। एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 यह नहीं कहती है कि व्यक्ति के पास ड्रग्स का कब्जा होना चाहिए। जब हम धारा 28 और 29 को लागू करते हैं तो कर्मशियल मात्रा की बात शुरू हो जाती है। उन्होंने बड़ी मात्रा यानी कर्मशियल मात्रा में ड्रग डील की कोशिश की है।'
एनसीबी के वकील ने कहा था कि यदि दो लोग एक साथ हैं और एक को दूसरे के पास ड्रग्स होने और उपयोग के बारे में पता है, तो पहले व्यक्ति पर भी सचेत रूप से ड्रग्स के कब्जे की धारा लगेगी। उन्होंने कहा कि आर्यन और अरबाज बचपन के दोस्त हैं, वे साथ ही वहाँ पहुँचे थे।
लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने एनसीबी की दलीलें नहीं मानीं और कॉन्शस पजेशन की बात को कोर्ट खारिज कर दिया। इससे पहले आरोपी आर्यन ख़ान, मुनमुन धमेचा और अरबाज़ मर्चेंट के वकीलों ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष अपनी ज़मानत अर्जी पर बहस पूरी कर ली थी। बुधवार की सुनवाई में आर्यन के लिए मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि आर्यन ख़ान के गिरफ्तारी मेमो में कहा गया है कि उनके पास से कुछ भी चीज बरामद नहीं हुई है। उन्होंने कहा था, 'इसके कानूनी मायने हैं। क़ानून कहता है कि आपको इसके लिए सही और सटीक आधार देना होगा।' सुनवाई के दौरान अरबाज मर्चेंट के वकील अमित देसाई ने कहा था कि आर्यन, अरबाज और मुनमुम की गिरफ्तारी अवैध है।
मंगलवार को मुकुल रोहतगी ने आर्यन ख़ान के पक्ष में दलील देते हुए कहा था कि आर्यन ख़ान एक युवा हैं और उन्हें जेल के बजाय पुनर्वसन के लिए भेजा जाना चाहिए। उन्होंने दलील दी थी, 'जहाँ तक आर्यन ख़ान का सवाल है, कोई रिकवरी नहीं है, कोई इस्तेमाल नहीं है और कोई मेडिकल टेस्ट नहीं है। अरबाज मर्चेंट के पास छह ग्राम चरस था जो उसके जूते से बरामद किया गया था। मर्चेंट इससे इनकार कर रहा है...।'
उन्होंने आगे कहा था, 'जो अरबाज मर्चेंट से बरामद किया गया था वह छोटी मात्रा थी - छह ग्राम। यह हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। कई अन्य लोगों के पास से बिचौलिए और वाणिज्यिक मात्रा में मिला है।' मुकुल रोहतगी ने कहा था, 'धारा 67 के तहत एक बयान था जिसे वापस ले लिया गया था। हमने इसे सुप्रीम कोर्ट में उठाया था... एनसीबी अफसर अधिकारी हैं, पुलिस नहीं... एनडीपीएस अधिकारियों को दिए गए बयान अस्वीकार्य हैं।'