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बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश, ऋतुजा लटके का इस्तीफा मंजूर करें

बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश, ऋतुजा लटके का इस्तीफा मंजूर करें

उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट के बीच चल रहे संघर्ष के बीच अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में मुक़ाबला रोचक हो गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज उद्धव ठाकरे गुट के लिए राहत वाला फ़ैसला दिया है।

अंधेरी विधानसभा उपचुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट में तनातनी जारी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने ठाकरे गुट की उम्मीदवार ऋतुजा लटके के इस्तीफे के मामले में बीएमसी को झटका देते हुए ठाकरे गुट को बड़ी राहत दी है। अदालत ने बीएमसी को आदेश दिया है कि शुक्रवार सुबह 11 बजे तक ऋतुजा लटके का इस्तीफा बीएमसी मंजूर करे। बता दें कि ऋतुजा लटके उद्धव ठाकरे गुट के विधायक रमेश लटके की पत्नी हैं और बीएमसी में नौकरी करती हैं। उद्धव ठाकरे ने रमेश लटके के निधन के बाद अपनी पार्टी से ऋतुजा लटके को उम्मीदवार बनाया है लेकिन टिकट भरने से पहले ऋतुजा लटके को बीएमसी से इस्तीफा देना था लेकिन बीएमसी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था जिसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऋतुजा लटके के वकीलों ने हाई कोर्ट के सामने बीएमसी की पोल खोलते हुए कहा कि लटके ने बीएमसी में अपनी नौकरी से 1 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था लेकिन अभी तक उनका इस्तीफा बीएमसी ने स्वीकार नहीं किया है। लटके के वकीलों ने बताया कि बीएमसी ऋतुजा लटके को इस्तीफा मंजूर करने का प्रमाण पत्र नहीं दे रही थी जिसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

बुधवार को ठाकरे की पार्टी के नेता अनिल परब और विनायक राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया था कि एकनाथ शिंदे गुट के नेता ऋतुजा लटके को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। अनिल परब ने दावा किया था कि बीएमसी जानबूझकर ऋतुजा लटके का इस्तीफा मंजूर नहीं कर रही है जिससे कि वह आगामी चुनाव उद्धव ठाकरे गुट की तरफ़ से न लड़ सकें।

ऋतुजा लटके के वकील विश्वजीत सावंत ने हाई कोर्ट को बताया कि पिछले महीने की 2 तारीख़ को ही लटके ने अपना इस्तीफा बीएमसी को सौंप दिया था। इस बीच केंद्रीय चुनाव आयोग ने अंधेरी विधानसभा के उपचुनाव का ऐलान कर दिया और 3 अक्टूबर को एक बार फिर लटके ने अपना इस्तीफा बीएमसी को भेजा। वकील विश्वजीत सावंत ने हाईकोर्ट को बताया कि ऋतुजा लटके ने जब दूसरी बार इस्तीफा बीएमसी को भेजा था तो उन्होंने अपने इस्तीफे में चुनाव लड़ने की बात का ज़िक्र किया था, बावजूद इसके बीएमसी ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया। 

बीएमसी के वकील साखरे ने अदालत को बताया कि ऋतुजा लटके के खिलाफ एक शिकायत पड़ी हुई है जिसमें लटके के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच चल रही है। वकील साखरे ने अदालत को बताया कि लटके के खिलाफ घूस लेने का भी एक मामला दर्ज है जिसकी जांच जारी है। बीएमसी ने ऋतुजा लटके पर आरोप लगाया कि वह एक जिम्मेदारी से काम नहीं करती थी और ऑफिस भी समय पर नहीं पहुंचती थी। लटके के वकील ने बीएमसी के वकील पर आरोप लगाते हुए कहा कि लटके के खिलाफ जो शिकायत दर्ज की गई है वह फर्जी है। सामंत ने कहा कि दरअसल बीएमसी के बड़े अधिकारियों और सरकार के दबाव में ऋतुजा लटके का इस्तीफा मंजूर नहीं कर रही है, यह एक सोची समझी साजिश है।

उद्धव ठाकरे गुट के नेताओं का कहना है कि बीएमसी के कमिश्नर चाहें तो एक दिन में ही पूजा लटके का इस्तीफा मंजूर कर सकते हैं लेकिन उन पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का दबाव है।

इसकी वजह से उन्होंने अभी तक लटके का एक महीने बाद भी इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। उद्धव ठाकरे गुड के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े का कहना है कि ऋतुजा लटके के चुनाव में शिंदे गुट और बीजेपी को राजनीति नहीं करना चाहिए। हेगड़े का कहना है कि आमतौर पर जब उपचुनाव किसी की मौत के बाद होता है तो उसमें इस तरह की राजनीति तो बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए। हेगड़े का मानना है कि बीएमसी के अधिकारी सरकारी दबाव के चलते ऋतुजा लटके का इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रहे हैं लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश ने एक बार फिर से महाराष्ट्र सरकार को सबक सिखाया है। 

उधर एनसीपी ने भी लटके के मामले में महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी को जमकर लताड़ा है। एनसीपी नेता छगन भुजबल ने बीएमसी पर आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में अब यह आम चलन हो गया है कि किसी भी चीज के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है लेकिन हर बार उन्हें न्याय देवता से न्याय मिल जाता है। भुजबल का कहना है कि इससे पहले उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क मैदान में दशहरा रैली करने से रोका गया था लेकिन हाईकोर्ट ने ठाकरे गुट के पक्ष में फ़ैसला देकर शिंदे गुट को सबक़ सिखाया। इसके बाद लटके के मामले में भी ठाकरे गुट को बड़ी राहत मिली है। हालाँकि सरकार की तरफ़ से अभी तक यह साफ़ नहीं हो पाया है कि बीएमसी बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी या नहीं।

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