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ब्लूम्सबरी इंडिया ने ‘दिल्ली रायट्स-2020’ छापने से हाथ क्यों खींचे?

ब्लूम्सबरी इंडिया ने ‘दिल्ली रायट्स-2020’ छापने से हाथ क्यों खींचे?

दिल्ली दंगे पर एक किताब के लॉन्च इवेंट पर विवाद के बाद अब इसके प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने किताब के प्रकाशन से हाथ खींच लिए हैं। बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के नाम पर विवाद हुआ था। 

दिल्ली दंगे पर एक किताब के लॉन्च इवेंट पर विवाद के बाद अब इसके प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने किताब के प्रकाशन से हाथ खींच लिए हैं। 'दिल्ली रायट्स-2020: द अनटोल्ड स्टोरी' शीर्षक वाली इस किताब के लॉन्च इवेंट के लिए 'गेस्ट ऑफ़ ऑनर' में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के शामिल किए जाने पर विवाद हुआ। गेस्ट ऑफ़ ऑनर में वेबसाइट 'ऑपइंडिया' के नूपुर शर्मा और फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री भी शामिल थे। ब्लूम्सबरी इंडिया द्वारा शनिवार दोपहर में किताब छापने से इनकार करने के बावजूद इस किताब का लॉन्च कार्यक्रम शनिवार शाम 4 बजे किया गया। 

ब्लूम्सबरी इंडिया ने अपने बयान में कहा, 'बिल्कुल हालिया घटनाओं के मद्देनज़र, हमारे संज्ञान में लाए बिना लेखकों द्वारा प्रकाशन से पहले आयोजित एक वर्चुअल लॉन्च और उन लोगों के शामिल करने पर जिन्हें प्रकाशकों ने मंजूरी नहीं दी होती, हमने किताब का प्रकाशन वापस लेने का फ़ैसला किया है।' बयान में कहा गया है कि ब्लूम्सबरी इंडिया बोलने की स्वतंत्रता का जोरदार समर्थन करता है, लेकिन समाज के प्रति ज़िम्मेदारी की गहरी भावना भी रखता है।

'गेस्ट ऑफ़ ऑनर' में शामिल जिन लोगों पर विवाद हुआ उसमें भी ख़ासकर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का नाम शामिल है। कपिल मिश्रा पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था। तब दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस मुरलीधर ने एफ़आईआर दर्ज करने को भी कह दिया था। लेकिन उनका तबादला हो गया और एफ़आईआर दर्ज नहीं की जा सकी।

उन पर ये आरोप इसलिए लगे थे क्योंकि दंगे से पहले कपिल मिश्रा अपने समर्थकों के साथ नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन वाली जगह पर इकट्ठा हुए थे। वहाँ भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात था। उस दौरान का एक वीडियो सामने आया था। इस वीडियो में दिख रहा था कि एक पुलिस अफ़सर के बगल में खड़े कपिल मिश्रा वहाँ पर धमकी देते हैं। वह पुलिस अफ़सर को संबोधित करते हुए कहते हैं, '...आप सबके (समर्थक) बिहाफ़ पर यह बात कह रहा हूँ, ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे यदि रास्ते खाली नहीं हुए तो... ठीक है?' इसके बाद कपिल मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों के विरोध में वहाँ नागरिकता क़ानून के समर्थन में रैली नहीं निकाली थी। उसी दौरान झड़प हुई थी और बाद में हिंसा ने दंगे का रूप ले लिया था। 

जिस किताब को लॉन्च करने का यह कार्यक्रम हुआ वह 190 पेज की है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक सोनाली चीतलकर और प्रेरणा मल्होत्रा ​​और अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा द्वारा लिखी गई इस पुस्तक से पता चलता है कि दंगा 'जिहादियों' और 'अर्बन नक्सलियों' ने किया था, उनके इस्लामिक स्टेट के साथ संबंध थे, और 'पेशेवर शार्पशूटर' शामिल थे। किताब जामिया और शाहीन बाग़ में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन का भी दंगों से संबंध बताती है, और कहती है कि 'प्रमुख क्षेत्रों में' 'मुसलिम भीड़' ने हिंसा भड़काई।

'दिल्ली रायट्स-2020: द अनटोल्ड स्टोरी' शीर्षक वाली इस किताब के लॉन्च इवेंट की घोषणा के साथ ही यह किताब विवादों में आ गई। लेखकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं जैसे लोगों ने इस बात के लिए आलोचना की कि भड़काऊ भाषण देने वाले को लॉन्च कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है।

एक कवि मीना कंदासामी ने लिखा, "ब्लूम्सबरी इंडिया दिल्ली दंगा 2020 पर एक किताब जारी कर रहा है... और अनुमान लगाओ कि अतिथि कौन हैं:

कपिल मिश्रा, हेट-मोंगर और ब्रेन-चाइल्ड ऑफ़ 'गोली मारो ... को' का नारा, जिन्होंने स्पष्ट रूप से मुसलमानों और दलितों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान किया।"

जयति घोष नाम की एक लेखिका ने लिखा, 'मैं अब ब्लूम्सबरी इंडिया की एक पुस्तक में एक अध्याय का योगदान देने के लिए शर्मिंदा हूँ। जब हमारे समय का इतिहास लिखा जाएगा तो वर्तमान सत्ता के लिए झूठे प्रचार और प्रकाशकों की भूमिका भी नोट की जाएगी। शर्म करो। अब आप एक विश्वसनीय प्रकाशक नहीं हैं।'

इन्हीं विवादों के बाद ब्लूम्सबरी इंडिया ने किताब वापस लेने के फ़ैसले वाला बयान जारी किया है। इसने अपने बयान में कहा है कि यह किताब सितंबर महीने में लॉन्च किया जाना था। हालाँकि ब्लूम्सबरी इंडिया की वेबसाइट पर इस किताब को 10 अगस्त से ही बिक्री के लिए उपलब्ध दिखाया जा रहा है। 

 - Satya Hindi

इधर, प्रकाशक द्वारा दिल्ली दंगों की किताब प्रकाशित न हो पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने नाराज़गी ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा कि किताब न छप जाए, इसलिए प्रकाशकों के ख़िलाफ़ अभियान चलाया गया। उन्होंने एक वीडियो ट्वीट कर कहा है कि 'एक किताब से डर गए अभिव्यक्ति की आज़ादी के फ़र्ज़ी ठेकेदार। यह किताब छ्प ना जाए, यह किताब कोई पढ़ ना ले, तुम्हारा यह डर इस किताब की जीत है, तुम्हारा यह डर हमारी सच्चाई की जीत है।'

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