दिल्ली में आख़िरकार बीजेपी ने मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा ही दिया। उनकी जगह उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर रहे आदेश कुमार गुप्ता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद से ही इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि तिवारी को आलाकमान कभी भी पद से हटा सकता है। आदेश कुमार गुप्ता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे बीजेपी का सीधा मक़सद दिल्ली के वैश्य वोटों को साधकर रखना है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी मनोज तिवारी को पद से हटाने की चर्चा हुई थी। लेकिन तब पार्टी आलाकमान ने यह सोचकर हाथ पीछे खींच लिए थे कि ऐसा करने से पूर्वांचली मतदाता नाराज हो सकते हैं।
बीजेपी को उम्मीद थी कि मनोज तिवारी के बूते उसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार, इनमें से भी विशेषकर पूर्वांचली मतदाताओं के झोली भरकर वोट मिलेंगे। लेकिन चुनाव नतीजों ने पार्टी के रणनीतिकारों के पांवों के नीचे की ज़मीन ख़िसका दी।
किसी वैश्य नेता की ताजपोशी तय थी!
वैश्य मतदाताओं को बीजेपी का परंपरागत समर्थक समझा जाता है। दिल्ली में लगभग 10 से 12 फ़ीसदी वैश्य आबादी है। पिछली बार नेता प्रतिपक्ष का पद रोहिणी के विधायक विजेंदर गुप्ता के पास था लेकिन इस बार उन्हें यह पद नहीं दिया गया था, इसलिए माना जा रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर बीजेपी किसी वैश्य नेता का चयन करेगी और आदेश गुप्ता के नाम की घोषणा के साथ ही यह बात सच साबित हुई।
तिवारी को पार्टी ने हटा तो दिया है लेकिन उसे इस बात का ध्यान रखना होगा कि इस बात की प्रतिक्रिया पूर्वांचली समाज में क्या होगी। क्योंकि दिल्ली की सियासत में अब वे दिन लद गए जब यहां पंजाबी और वैश्य मतदाताओं के भरोसे कोई दल सत्ता में आने का सपना देख ले।
पूर्वांचली मतदाताओं का प्रभाव
आज दिल्ली की 30 से 35 सीटों पर पूर्वांचली मतदाताओं का प्रभाव है। आप लक्ष्मी नगर से लेकर नरेला और तिगड़ी, खानपुर, संगम विहार होते हुए द्वारका और नज़फ़गढ़ तक देखेंगे तो आपको पूर्वांचल के मतदाता मिलेंगे। इसी तरह सीमापुरी से लेकर बुराड़ी, करावल नगर और तमाम सीटों पर इस समुदाय के वोट अच्छी संख्या में हैं।
दिल्ली में नगर निगम के चुनाव 2022 में होने हैं। ऐसे में बीजेपी पर तिवारी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में या कहीं और सम्मानजनक ओहदे पर एडजस्ट करने का दबाव रहेगा, जिससे निगम चुनाव में उसे नुक़सान न हो।
आदेश कुमार गुप्ता दिल्ली में सभी वर्गों को विशेषकर वैश्य मतदाताओं को पार्टी से जोड़ पाते हैं या नहीं, यह देखना होगा। लेकिन गुप्ता को अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने यह संदेश ज़रूर दिया है कि वह अपने कोर वोट बैंक को ख़ुद से दूर नहीं होने देना चाहती।