बंगाल: पुलिसकर्मी पिटे, वैन फूँकी; बीजेपी सत्ता में होती तो?
बीजेपी के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा भड़की। पुलिस वैन फूँकी गई। पुलिकर्मियों की पिटाई की गई। एक पुलिस कियोस्क में तोड़फोड़ की गई। 50 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए। बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं के भी घायल होने की ख़बर है। सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुँचा है।
सत्ताधारी पार्टी प्रदर्शन के दौरान हिंसा के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहरा रही है जबकि बीजेपी ने इसके लिए तृणमूल सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच सोशल मीडिया पर सामने आ रही तसवीरों को लेकर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किए गए एक वीडियो के माध्यम से बीजेपी पर निशाना साधा है और लिखा है कि 'झंडे से पहचानिए'। उस वीडियो में दिखता है कि एक भीड़ पुलिसकर्मी पर डंडे बरसा रही है। भीड़ में लोग डंडे लिए हुए हैं, कुछ लोग बीजेपी का झंडा लिए हुए हैं और कुछ लोग गेरुआ रंग के कपड़े पहने हुए हैं।
झंडे से पहचानिए pic.twitter.com/RFJHCtWRH6
— Congress (@INCIndia) September 13, 2022
कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने पुलिस वैन में आग लगाए जाने का एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, "जरा पहचानिए, ये किस पार्टी के 'राष्ट्रवादी दंगाई' पश्चिम बंगाल में पुलिस जीप जला रहे हैं?"
जरा पहचानिये, ये किस पार्टी के 'राष्ट्रवादी दंगाई' पश्चिम बंगाल में पुलिस जीप जला रहे है? pic.twitter.com/9CvctuRgKT
— Srinivas BV (@srinivasiyc) September 13, 2022
आम आदमी पार्टी के नेता मनोज सोरथिया ने पुलिसकर्मी को पीटे जाने वाले वीडियो को साझा करते हुए लिखा है 'भाजपा दंगाई और गुंडों की पार्टी है'।
भाजपा दंगाई और गुंडो की पार्टी है।
— Manoj Sorathiya (@manoj_sorathiya) September 13, 2022
pic.twitter.com/o5ILiHSYFG
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा है कि झंडे वाले गुंडे।
झंडे वाले गुंडे।#Kolkata pic.twitter.com/3VNlOh8HK3
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) September 13, 2022
आप नेता सौरव भारद्वाज ने लिखा है, 'अगर ग़रीब किसानों ने ये किया होता तो भाजपा के न्यूज़ चैनल इन्हें देशद्रोही साबित कर, बंगाल की खाड़ी में फेंकने की वकालत कर रहे होते।'
अगर ग़रीब किसानों ने ये किया होता तो भाजपा के न्यूज़ चैनल इन्हें देशद्रोही साबित कर, बंगाल की खाड़ी में फेंकने की वकालत कर रहे होते । https://t.co/CwX44hEWkR
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) September 14, 2022
तो क्या सच में बीजेपी की ऐसी ही प्रतिक्रिया होती? प्रदर्शनकारियों पर बीजेपी का बयान कैसा रहा है और इसने कार्रवाई कैसी की है?
सबसे हाल का मामला तो महंगाई के ख़िलाफ़ कांग्रेस का प्रदर्शन का है। कांग्रेस ने 5 अगस्त को संसद में और बाहर काले कपड़े पहनकर बढ़ती कीमतों का विरोध किया था। इस पर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जो लोग "काला जादू" में विश्वास करते हैं, वे हताशा और निराशा में ऐसा कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा था कि 5 अगस्त को, हमने देखा कि कैसे कुछ लोगों ने 'काला जादू' फैलाने की कोशिश की। ये लोग सोचते हैं कि काले कपड़े पहनकर वे अपनी निराशा को खत्म कर सकते हैं। लेकिन वे नहीं जानते कि जादू टोना, काला जादू और अंधविश्वास में लिप्त होकर वे फिर से लोगों का विश्वास अर्जित नहीं कर सकते हैं।
रद्द किए जाने से पहले तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के प्रदर्शन पर बीजेपी नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को अलग-अलग नामों से बुलाया था। कभी उन्हें 'खालिस्तानी' तो कभी 'गुंडे' तो कभी 'साज़िशकर्ता' कहा गया।
योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में वन तथा पर्यावरण मंत्री रहे अनिल शर्मा ने किसानों के प्रदर्शन को लेकर कहा था 'यह प्रदर्शन करने वाले किसान नहीं, बल्कि गुंडे हैं। किसान तो अपने काम में लगा है। चंद लोग एकत्र होकर उनको गुमराह करने के प्रयास में लगे हुए हैं।'
इसी साल बिहार में अग्निपथ योजना के विरोध में भारी बवाल हुआ था। 20 से ज्यादा ट्रेन फूंक दी गई थीं, रेलवे स्टेशन, टोल प्लाजा टिकट काउंटर में तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। इस पर बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री रामसूरत राय ने हिंसक विरोध प्रदर्शन के पीछे आतंकवादी साजिश बताया था। उन्होंने कहा था कि इस आंदोलन के पीछे आतंकवादी और गुंडों का हाथ है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस प्रदर्शन में राजनीतिक गुंडे लगे हुए हैं।
ऐसा ही मामला तब भी हुआ था जब नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए का विरोध हो रहा था। उस विरोध-प्रदर्शन में हिंसा हुई थी और सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुँचा था। प्रदर्शन करने वालों के लिए भी गुंडे जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए थे। तब यूपी की योगी सरकार ने प्रदर्शन करने वालों की पहचान कर उनके पोस्टर सार्वजनिक जगहों पर चिपकाए थे। यहाँ तक कि नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए के विरोध में हुई हिंसा के बाद प्रदेश सरकार ने उपद्रवियों से जुर्माना वसूल किया था।
बाद में जब वह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा तो उसने रिकवरी को गलत बताया था। जुर्माना वापस करने का आदेश दिया गया था।
पश्चिम बंगाल में भी मंगलवार को बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है। बीजेपी ने भ्रष्टाचार के मुद्दों पर राज्य सचिवालय तक मार्च निकालने की योजना बनाई थी। पुलिस ने उनको रोकने के लिए बैरिकेडिंग की थी। अदालत में बीजेपी ने तर्क दिया कि विपक्षी दल और इसके नेताओं को प्रदर्शन का अधिकार है। लेकिन राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि पुलिस को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि मंगलवार दोपहर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही थी, एक पुलिस वाहन को आग लगा दी गई, एक पुलिस कियोस्क में तोड़फोड़ की गई और 50 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।