राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा शुक्रवार को राज्य का बजट पेश करते समय एक गलती हुई और विधानसभा को आधे घंटे के लिए स्थगित करना पड़ा। दरअसल, गहलोत ने ग़लती से पिछले साल के बजट का कुछ हिस्सा पढ़ा था, जब तक उनको इसका अहसास होता तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी। इस पर विपक्ष के सदस्यों ने विरोध में सदन के वेल में हंगामा किया। हंगामे के बाद सदन को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि बजट लीक कर गया था, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा पिछले बजट के कुछ हिस्सों को पढ़ने के बाद भाजपा विधायकों ने जब विरोध किया तो स्पीकर सीपी जोशी ने उन्हें शांति बनाए रखने के लिए कहा, लेकिन विपक्ष ने हंगामा जारी रखा। जब सदन को आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया तो भाजपा विधायक सदन के वेल के अंदर धरने पर बैठ गए।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब सभी की निगाहें गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार पर टिकी हैं, क्योंकि राज्य में इस साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले यह उनका आखिरी बजट है। गहलोत 'बचत, राहत, बढ़त' की थीम पर बजट पेश कर रहे हैं।
लेकिन गहलोत द्वारा बजट पेश करने के तुरंत बाद विपक्षी भाजपा के सदस्यों ने आरोप लगाया कि वह पुराने बजट से भाषण पढ़ रहे हैं। बीजेपी ने कहा कि बजट तकनीकी रूप से लीक हो गया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने संवाददाताओं से बात करते हुए पूछा है कि क्या बजट लीक हो गया? उन्होंने कहा कि यह बजट नहीं पेश किया जा सकता है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि बजट की कॉपी मुख्यमंत्री के अलावा कोई और नहीं लाता है, लेकिन यह तो चार-पांच हाथों से गुजरी। बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री से नया बजट लाने की मांग की। विपक्षी बीजेपी के आरोपों का जवाब सीएम अशोक गहलोत ने दिया है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार गहलोत ने कहा, 'आप (विपक्ष) केवल तभी इशारा कर सकते हैं जब मेरे हाथ में बजट में और सदन के सदस्यों को दी गई उसकी प्रतियों में लिखे में कोई अंतर हो। अगर ग़लती से मेरे बजट की कॉपी में एक पन्ना जुड़ गया तो फिर बजट लीक होने की बात कैसे उठती है?'
रिपोर्टों में कहा गया कि गहलोत ने बजट 2023-24 के बजाय शहरी रोजगार और कृषि बजट पर पिछले बजट के अंश पढ़े। जैसे ही उन्होंने बजट 2022-23 में पहली दो घोषणाएं कीं, विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया और वे सदन के वेल में आ गए।
भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि एक मुख्यमंत्री का विधानसभा में पेश किए जाने वाले बजट को पढ़े या जांचे बिना आना दिखाता है कि वह अपने राज्य में किस तरह से शासन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा राज्य निश्चित रूप से खामियाजा भुगतेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री सिंधिया ने कहा, 'मुख्यमंत्री आठ मिनट तक पुराना बजट पढ़ते रहे। यह पहली बार ऐतिहासिक है। मैं भी मुख्यमंत्री रही हूं। मैंने दो बार, यहां तक कि तीन बार बजट पढ़ा था और हाथ में लेने से पहले सब कुछ जांचता था। एक सीएम इतने बड़े दस्तावेज को बिना जांचे-परखे सदन में ला सकते हैं और पुराने बजट को पढ़ सकता है, समझ सकते हैं कि उनके हाथ में राज्य कितना सुरक्षित है।'
बता दें कि पिछले साल तीन घंटे के अपने संबोधन में गहलोत ने बमुश्किल ही किसी क्षेत्र को अछूता छोड़ा था। शहरी क्षेत्रों के लिए बड़ी योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की तर्ज पर इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना शामिल थी।
गहलोत ने शहरी रोजगार योजना की घोषणा करते हुए कहा था, 'मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सहायता करता है, लेकिन स्ट्रीट वेंडर्स के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में ढाबों और रेस्तरां में काम करने वालों के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है।' इस योजना के तहत एक साल में 100 दिन के लिए रोजगार दिया जाता है और इसके लिए राज्य सरकार ने 800 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। इसके बाद से यह योजना लागू तो हो गई है, लेकिन गति पकड़ने में विफल रही है।
दूसरी बड़ी घोषणा 1 जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त लोगों के लिए पुरानी पेंशन योजना के कार्यान्वयन की थी। इसके अतिरिक्त, गहलोत ने 750 करोड़ रुपये की लागत से मनरेगा के तहत कार्य दिवस को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने की भी घोषणा की थी। ऐसी ही कई घोषणाएँ की गई थीं।