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बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में कोरोना से लड़ने पर मोदी की तारीफ

बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में कोरोना से लड़ने पर मोदी की तारीफ

बीजेपी कार्यसमिति की बैठक ऐसे समय हो रही है जब किसान आंदोलन के कारण उसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में भी बड़ा सियासी नुक़सान होने का डर सता रहा है।  

भारतीय जनता पार्टी कार्यसमिति की बैठक में कोरोना से लड़ने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की गई और कहा गया कि उनके नेतृत्व में सरकार ने लोगों को मदद पहुँचाने में कोई कसर नही छोड़ी और 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी हैं।

बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने उपचुनाव में बीजेपी को मिली सफलता को लेकर आभार प्रकट किया। नड्डा ने कहा कि पार्टी के सामने कुछ चुनौतियाँ हैं। केरल, तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना और ओडिशा में संगठन को मजबूत करना है। 

उन्होंने कहा कि अमित शाह ने एक लक्ष्य रखा था- असम, त्रिपुरा और नार्थ ईस्ट का, अब वहाँ पर बीजेपी की सत्ता है। 

उन्होंने कहा कि नड्डा ने पश्चिम बंगाल के नागरिकों का आभार प्रकट किया, वहाँ हुए चुनाव में वोट प्रतिशत अधिक बढ़ा है। राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा में 53 कार्यकताओं की हत्या हुई है, एक लाख लोग घर छोड़कर राहत शिविरों में हैं। सारे विषयों पर पार्टी में चर्चा होगी।

निशाने पर विपक्ष

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दुनिया में भारत की छवि बेहतर हुई है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उसने कोरोना टीकाकरण को लेकर संशय पैदा करने का काम किया। देश की दुनिया में सकारात्मक चर्चा हुई।

उन्होंने कहा कि विपक्ष कोरोना के दौरान जमीन पर नहीं दिखा, लेकिन ट्विटर पर ज़रूर नज़र आया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल प्रधानमंत्री को कमजोर करने में लगे रहे।

यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब पाँच चुनावी राज्यों में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड शामिल हैं जबकि 2022 के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव होने हैं।

इन सात में से छह राज्यों में बीजेपी की सरकार है। पंजाब में किसान आंदोलन के बेहद मज़बूत होने और शिरोमणि अकाली दल के अलग होने के कारण बीजेपी को वहां से उम्मीद कम ही है। लेकिन अगर मोदी सरकार कृषि क़ानून वापस ले लेती है तो पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से उसे सियासी फ़ायदा हो सकता है। 

यूपी पर विशेष जोर 

उत्तर प्रदेश को पार्टी किसी क़ीमत पर नहीं खोना चाहती क्योंकि यह प्रदेश दिल्ली का रास्ता तय करता है। 2022 में अगर बीजेपी को यहां चुनावी हार मिली तो इसके बाद एंटी बीजेपी फ्रंट बनाने में जुटे नेताओं को ताक़त मिलेगी और बीजेपी के ख़िलाफ़ एक बड़ा गठबंधन तैयार हो सकता है। इसलिए पार्टी यहां दलित, ओबीसी से लेकर तमाम वर्गों को साध रही है। 

 - Satya Hindi

उपचुनाव के नतीजों से हलचल

तीन लोकसभा और 29 विधानसभा सीटों के हालिया नतीजों का असर क्या पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर भी हो सकता है, इसे लेकर भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चर्चा हुई। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है और इससे उसकी चिंता बढ़ी है। माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व हिमाचल के मुख्यमंत्री को बदल सकता है और राजस्थान में भी पार्टी संगठन को लेकर कोई बड़ा क़दम उठा सकता है। 

किसान आंदोलन से डर

बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता किसान आंदोलन है। बीजेपी को किसान आंदोलन के कारण उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में बड़ा सियासी नुक़सान होने का डर सता रहा है। बीजेपी और संघ परिवार जानते हैं कि 2024 के चुनाव नतीजे तय करने में 2022 की बड़ी भूमिका है, इसलिए चुनावों में पूरी ताक़त के साथ उतरा जाए। लेकिन दोनों के पास यह भी फ़ीडबैक है कि किसान आंदोलन उनके लिए मुसीबत बन सकता है। इसलिए संभव है कि मोदी सरकार कृषि क़ानूनों को लेकर कोई फ़ैसला ले ले।

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