आमिर के विज्ञापन पर बीजेपी सांसद बोले- 'हिंदू विरोधी एक्टर्स की हिंदू विरोधी भावना'
विज्ञापन हाल में दक्षिणपंथियों के निशाने पर क्यों रहे हैं? अब अभिनेता आमिर ख़ान के एक विज्ञापन को लेकर विवाद है। वह विज्ञापन सीएट टायर से जुड़ा है जिसमें आमिर ख़ान कहते हैं कि पटाखे जलाने हैं तो सड़क पर नहीं, सोसाइटी में जलाओ। पिछले कुछ हफ़्तों से सोशल मीडिया पर इसके बहिष्कार किए जाने की पोस्टें की जा रही थीं, लेकिन अब बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने भी इसको लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने सीएट कंपनी से कहा है कि कंपनी 'नमाज के नाम पर सड़कों को अवरुद्ध करने और अज़ान के दौरान मसजिदों से निकलने वाले शोर की समस्या' को भी संबोधित करे।
हाल में कपड़ा का ब्रांड फैबइंडिया के विज्ञापन पर भी विवाद हुआ था। आपत्ति फैबइंडिया के उस कलेक्शन के विज्ञापन से था जिसका नाम 'जश्न-ए-रिवाज़' दिया गया था। इस पर बीजेपी नेताओं ने ऐसी आपत्ति की और सोशल मीडिया पर इसके बहिष्कार का अभियान चलाया कि फैबइंडिया को अपना विज्ञापन हटाना पड़ा। पिछले साल भी दिवाली से पहले तनिष्क के विज्ञापन पर ऐसी ही आपत्ति की गई थी और उसको भी हिंदू-मुसलिम के तौर पर पेश कर विरोध प्रदर्शन किया गया था। उसे भी विज्ञापन हटाना पड़ा था।
ताज़ा मामला सीएट टायर के विज्ञापन का है। उसमें संदेश देने की कोशिश की गई है कि पटाखे सड़कों पर नहीं जलाना चाहिए, बल्कि सोसाइटी में जलाना चाहिए। इसमें सड़क सुरक्षा की बात भी कही गई है। इस विज्ञापन में भला किसी को क्या आपत्ति हो सकती है! लेकिन सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से इस विज्ञापन को लेकर आमिर ख़ान पर टिप्पणियाँ की जा रही थीं। इसी बीच बीजेपी सांसद अनंत हेगड़े ने भी इसको लेकर आपत्ति जताई।
सीएट कंपनी के एमडी और सीईओ अनंत वर्धन गोयनका को लिखे एक पत्र में हेगड़े ने उनसे 'हिंदुओं के बीच अशांति' पैदा करने वाले हालिया विज्ञापन का संज्ञान लेने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भविष्य में कंपनी 'हिंदू भावना' का सम्मान करेगी।
उन्होंने 14 अक्टूबर को यह पत्र लिखा। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, हेगड़े ने कहा, "आजकल 'हिंदू विरोधी अभिनेताओं' का एक समूह हमेशा हिंदू भावनाओं को आहत करता है, जबकि वे कभी भी अपने समुदाय के ग़लत कामों को उजागर करने की कोशिश नहीं करते हैं।" उन्होंने कहा, 'चूंकि आप आम जनता की समस्याओं के प्रति बहुत उत्सुक और संवेदनशील हैं और आप भी हिंदू समुदाय से हैं, मुझे यक़ीन है कि आप सदियों से हिंदुओं के साथ किए गए भेदभाव को महसूस कर सकते हैं।'
इसके साथ ही हेगड़े ने मुसलिमों का ज़िक्र भी किया है। उन्होंने कहा है, 'आपकी कंपनी का हालिया विज्ञापन जिसमें आमिर ख़ान लोगों को सड़कों पर पटाखे नहीं चलाने की सलाह दे रहे हैं, एक बहुत अच्छा संदेश दे रहा है। सार्वजनिक मुद्दों पर आपकी चिंता की तारीफ़ की जानी चाहिए। इस संबंध में मैं आपसे सड़कों पर लोगों के सामने आने वाली एक और समस्या का समाधान करने का अनुरोध करता हूँ। यानी शुक्रवार और अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों के दिनों में नमाज के नाम पर मुसलिमों द्वारा सड़कें जाम कर दी जाती हैं।'
इसके साथ ही उन्होंने कंपनी के विज्ञापनों में ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे को उजागर करने का अनुरोध किया है। सांसद ने कहा, 'हर दिन अज़ान के दौरान हमारे देश में मसजिदों के शीर्ष पर लगे माइक से तेज़ आवाज़ निकलती है'। उन्होंने कहा है कि वह तय सीमा से ज़्यादा होती है।
हाल ही में फ़ैबइंडिया के विज्ञापन पर भी विवाद हुआ था और उस विज्ञापन को वापस लेना पड़ा।
फ़ैबइंडिया ने 9 अक्टूबर को अपना नया विज्ञापन ट्वीट किया था, 'जैसा कि हम प्यार और प्रकाश के त्योहार के स्वागत में लगे हैं, फैबइंडिया का जश्न-ए-रिवाज़ एक ऐसा संग्रह है जो खूबसूरती से भारतीय संस्कृति को सम्मान देता है..."। ट्वीट में एक तसवीर भी थी जिसमें लाल रंग के भारतीय परिधान में महिलाएँ और पुरुष नज़र आ रहे थे।
इस पर बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी ट्वीट कर फैबइंडिया पर निशाना साधा था। उन्होंने ट्वीट किया था, 'दीपावली जश्न-ए-रिवाज़ नहीं है। पारंपरिक हिंदू परिधानों के बिना मॉडल का चित्रण करने वाले हिंदू त्योहारों के इब्राहिमीकरण के इस जानबूझकर प्रयास को बंद किया जाना चाहिए। और फैबइंडिया जैसे ब्रांडों को इस तरह के जानबूझकर किए गए दुस्साहस के लिए आर्थिक नुक़सान का सामना करना पड़ेगा।' यह विवाद इतना बढ़ा कि इसको हटाना पड़ा।
Deepavali is not Jash-e-Riwaaz.
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) October 18, 2021
This deliberate attempt of abrahamisation of Hindu festivals, depicting models without traditional Hindu attires, must be called out.
And brands like @FabindiaNews must face economic costs for such deliberate misadventures. https://t.co/uCmEBpGqsc
वैसे, विज्ञापन के बहिष्कार का यह पहला मामला नहीं है। पिछले साल दिवाली से पहले तनिष्क के विज्ञापन पर भी ऐसा ही विवाद हुआ था। टाटा ग्रुप के ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क के उस विज्ञापन का नाम 'एकत्वम' था। 45 सेकंड की वह विज्ञापन फ़िल्म दो अलग-अलग धर्मावलंबियों के बीच शादी पर आधारित थी। 'एकत्वम' विज्ञापन को हिंदू-मुसलिम वाला और 'लव जिहाद' को बढ़ावा देने वाला कहकर निशाना बनाया गया था। बाद में उस विज्ञापन को हटाना पड़ा था।
पिछले साल तनिष्क का ही एक और विज्ञापन विवादों में आ गया था। उस वीडियो विज्ञापन में पटाखे नहीं जलाने और प्यार और पॉजिटिविटी से इस त्योहार को मनाने की बात कही गई थी। यही बात कुछ लोगों को चुभ गई और सोशल मीडिया पर पटाखे नहीं जलाने की बात का बतंगड़ बना दिया गया। यह दावा किया गया कि कोई यह कैसे बताएगा कि हिंदू उत्सव कैसे मनाएँ। तनिष्क को ट्विटर से उस विज्ञापन को हटाना पड़ा था।