आरएसएस से जुड़े रहे और अयोध्या के बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने शहर में भूमाफियाओं का दबदबा होने की शिकायत की है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ख़त लिखा है और इस मामले की जाँच एसआईटी से कराने की मांग की है।
सांसद ने 31 जुलाई को मुख्यमंत्री को भेजे शिकायती पत्र में कहा है कि अयोध्या में जमथरा से गोलाघाट तक भूमाफियाओं की ओर से नजूल और सरयू नदी की डूब की ज़मीन में अवैध कब्जा किया गया है। उन्होंने ख़त में कहा है, 'अयोध्या में भू-माफियाओं का ऐसा दबदबा है कि पूर्व में सम्बन्धित तात्कालिक अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ मिलकर नजूल और डूब क्षेत्र (दरिया बुर्ज) की जमीनों में हेराफेरी की गई और लोगों को गुमराह कर जमीनों को ऐन- केन- प्रकारेण उनके नाम कर दिया गया।' उन्होंने आगे लिखा है कि इससे 'रोजी-रोटी कमाने वाले जो व्यक्ति शहर में रहना चाहते हैं ऐसे लोगों के साथ उक्त जमीनों में करोड़ों/अरबों रुपयों की हेराफेरी की गई है।'
यह कितना गंभीर मामला है, यह इससे समझा जा सकता है कि शिकायत किसी विपक्षी पार्टी की तरफ़ से नहीं की गई है, बल्कि खुद बीजेपी सांसद की ओर से ही की गई है। राज्य में सरकार भी बीजेपी की ही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद माफियाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात करते रहे हैं। तो क्या बीजेपी सांसद की शिकायत पर कार्रवाई होगी?
सांसद ने शहर की इस समस्या की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा है कि "गत तीन दशकों से उत्तर प्रदेश शासन की ओर से नजूल का किसी भी प्रकार का पट्टा नहीं किया जा रहा है और न ही किए गये पट्टे का रिन्यूअल हो रहा है। डूब की जमीनों पर किसी प्रकार का फ्री-होल्ड भी नहीं हो रहा है। फिर भी उक्त जमीन का किन परिस्थितियों में भू-माफियाओं ने डूब क्षेत्र नजूल की भूमि बेच दी।' लल्लू सिंह ने कहा है कि इस पर लोगों की ओर से स्थायी व अस्थायी निर्माण कराया जा रहा है।
वैसे, अयोध्या में भूमाफियाओं को लेकर यह शिकायत कोई नई नहीं है। हालाँकि नया यह है कि बीजेपी सांसद ने ही शहर में इस बड़ी समस्या की ओर ध्यान दिलाया है। शहर में जमीनों की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की शिकायत तब आने लगी जब राम मंदिर निर्माण के लिए ज़मीन की ख़रीद शुरू हुई।
चंपत राय का ज़मीन विवाद
अयोध्या में ज़मीनों में हेरफेर का मामला पिछले साल पूरे देश में सुर्खियों में रहा था। पिछले साल जून महीने में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का नाम आया था। सांसद संजय सिंह और पूर्व विधायक पवन पांडेय ने आरोप लगाया था कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने दो करोड़ रुपये की ज़मीन 18.50 करोड़ रुपये में खरीदी और इस तरह इसमें करोड़ों रुपये का घपला किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया था कि कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने यह ज़मीन 7.10 मिनट पर ख़रीदी थी और 5 मिनट बाद इसे रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में ख़रीद लिया।
तब संजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा था, 'चंपत राय के मुताबिक़, यह ज़मीन महंगी है और जब सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने कुसुम पाठक और हरीश पाठक से इस ज़मीन को ख़रीदा था, उस वक़्त रजिस्टर्ड अनुबंध बहुत पहले कर लिया था, तब दाम सस्ते रहे होंगे और बाद में यह बढ़ गए।'
आप नेता ने कहा था कि चंपत राय के मुताबिक़ वहां ज़मीन महंगी है और सरकारी रेट के हिसाब से भी अगर मान लें तो वह भी 5 करोड़ 80 लाख है और बैनामे के वक़्त यह ज़मीन 2 करोड़ में ख़रीदी गई, यह बात ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय को पता थी और वे लोग उस वक़्त वहां मौजूद थे।
अयोध्या में रामजन्म भूमि पर मंदिर का निर्माण करा रहे ट्रस्ट पर ज़मीन खरीद में फर्जीवाड़े के आरोप के बाद ट्रस्ट ने कहा था कि फर्जीवाड़े के आरोप पूरी तरह भ्रामक हैं और राजनीति से प्रेरित हैं।
चंपत राय ने कहा था कि जिस ज़मीन को लेकर मीडिया में शोर हो रहा है वह रेलवे स्टेशन के पास की एक प्रमुख जगह है। इस ज़मीन को ख़रीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने सालों पहले जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबंध किया था, उस ज़मीन का उन्होंने 18 मार्च, 2021 को बैनामा कराया और फिर ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया।
उन्होंने दावा किया था कि श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ने अब तक जितनी भी ज़मीन ख़रीदी है, वह खुले बाज़ार की क़ीमत से बहुत कम मूल्य पर ख़रीदी है।