केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कवर किए गए लोगों को प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना का मुफ़्त राशन अब अगले साल दिसंबर तक देगी। यह योजना इस महीने ख़त्म होने वाली थी। इसको 2020 में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बाद तीन महीने के लिए लागू किया गया था। लेकिन तब से इस योजना को कई बार आगे बढ़ा दिया गया है। उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान यह योजना तब काफ़ी सुर्खियों में रही थी क्योंकि कहा गया था कि बीजेपी को लाभार्थियों का वोट मिला। यह लाभार्थी कोई और नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले वर्ग को बताया गया।
बहरहाल, अब अगले एक साल में देश के कम से कम 10 राज्यों में चुनाव होने हैं और इसी बीच सरकार ने मुफ़्त राशन योजना को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा, "राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अब 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्न मिलेगा। उन्हें दिसंबर 2023 तक खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए एक रुपये का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। सरकार इस पर प्रति वर्ष लगभग 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी।'
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री पीयूष गोयल ने यह कहते हुए निर्णय की घोषणा की कि यह योजना 28 महीने से प्रभावी है। इसको इसी महीने समाप्त होना था। इस योजना के जरिए सरकार हर महीने गरीबों को पांच किलोग्राम राशन मुफ्त में देती है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत अभी अन्य राशन के अलावा चावल 3 रुपये किलो, गेहूँ 2 रुपये किलो मिलता है। गोयल ने घोषणा की, 'कैबिनेट ने दिसंबर 2023 तक योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के साथ विलय करने का फ़ैसला किया है।' यानी इस योजना के ख़त्म होने के बाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत रियायती दरों पर अनाज मिलता रहेगा।
मोदी सरकार ने यह फ़ैसला तब लिया है जब 2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।
इनके अलावा जम्मू-कश्मीर में लगातार की जा रही तैयारियों के बीच यह संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव कराने के अपने वादे के तहत सरकार इस राज्य में भी अगले साल विधानसभा का चुनाव करवा सकती है।
इन दस राज्यों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी शामिल हैं, जहां वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है। इन राज्यों में कर्नाटक और मध्य प्रदेश भी शामिल हैं जहां वर्तमान में भाजपा की सरकार है लेकिन इन दोनों राज्यों में 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा था। मध्य प्रदेश में 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था और कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिब बाद में बीजेपी ने जोड़तोड़ से सत्ता हथिया ली। कर्नाटक में भी कुछ वैसा ही हुआ था।
इस तरह से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 2023 में दस राज्यों में होने वाला चुनाव यह बताएगा कि देश में राजनीतिक हवा किस तरफ़ बह रही है। अब जाहिर है कोई भी पार्टी, ख़ासकर, बीजेपी जैसी पार्टी यह क़तई नहीं चाहेगी कि 2024 के चुनाव से पहले विशेष तैयारी नहीं हो और कोई भी मौक़ा चूका जाए!