त्रिपुरा में सत्तारूढ़ बीजेपी को पसीने आ रहे हैं। एक तरफ उसके विधायक भाग रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस और वामपंथी (लेफ्ट) पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ने की योजना बना रही हैं। त्रिपुरा में मार्च में चुनाव है और फरवरी में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा। राज्य में राजनीतिक उठापटक चरम पर है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 5 जनवरी को त्रिपुरा जाने वाले हैं, जहां वो एक रथ यात्रा की शुरुआत करेंगे जो प्रदेश की सभी 60 विधानसभा क्षेत्रों से निकलेगी। अमित शाह के अलावा 10 केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे यानी कुल मिलाकर बीजेपी एक मेगा शो आयोजित करने जा रही है। इसी के जरिए वो अपनी ताकत का प्रदर्शन करने में जुटी है। चुनाव के मद्देनजर इस रथ यात्रा के दौरान करीब 200 रैलियां की जाएंगी।
बीजेपी के पास त्रिपुरा में बताने के नाम पर उपलब्धियां नहीं के बराबर हैं लेकिन हालात संभालने के लिए उसे मुख्यमंत्री जरूर बदलना पड़ा। कई नेता बागी हो गए और अब विधायक भी भाग रहे हैं। पिछले गुरुवार को बीजेपी विधायक और राज्य के दिग्गज आदिवासी नेता दीबा चंद्र हरंगखाल वापस अपनी पुरानी पार्टी में लौट गए। इससे विपक्षी कांग्रेस को त्रिपुरा में भारी बढ़त मिली। राजधानी अगरतला में भारी सुरक्षा के बीच कांग्रेस द्वारा निकाली गई एक विशाल रैली के बाद 66 वर्षीय हरंगखाल को पार्टी में शामिल किया गया।
यह रैली तिपरा मोथा शासित त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद में कथित भ्रष्टाचार के विरोध में राजभवन तक गई। हालांकि एक समानांतर रैली बीजेपी ने भी निकाली लेकिन कांग्रेस की रैली ने रेकॉर्ड तोड़ दिया था। नारेबाजी हुई, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। कांग्रेस की रैली के दौरान ही चार बार के आदिवासी विधायक हरंगखाल कांग्रेस में शामिल हुए। हरंगखाल ने 2018 में करमछरा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता था।
हरंगखाल 2021 के बाद से बीजेपी छोड़ने वाले पांचवें विधायक थे और इस साल कांग्रेस में शामिल होने वाले तीसरे। उनसे पहले सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा कांग्रेस में आए थे। अनुभवी आदिवासी नेता हरंगखाल के साथ, दिवंगत बीजेपी विधायक (दिलीप सरकार) के भाई और टीएमसी छात्र नेता राकेश दास भी कांग्रेस में शामिल हुए। सूत्रों ने कहा कि बीजेपी के पूर्व विधायक आशीष दास, जिन्होंने तृणमूल में शामिल होने के लिए सबसे पहले पार्टी छोड़ दी थी, को भी कांग्रेस में शामिल किया जाना था, लेकिन वह नहीं आए। दास पहले ही टीएमसी छोड़ चुके हैं। त्रिपुरा पीसीसी के महासचिव प्रशांत भट्टाचार्यजी ने कहा कि गुरुवार के घटनाक्रम से कांग्रेस को खारिज करने वालों का मुंह बंद हो जाना चाहिए।
सीएम माणिक साहा की प्रतिक्रिया
त्रिपुरा में कांग्रेस और वामदलों के नजदीक और मोर्चा बनाने की आहट बीजेपी को है। संभावित कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने अगरतला में पत्रकारों से कहा, पश्चिम बंगाल की तरह, त्रिपुरा के लोग उन्हें अस्वीकार कर देंगे। आदिवासी स्वायत्त निकाय और शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में, दोनों पार्टियां (कांग्रेस और सीपीएम) ने खराब प्रदर्शन किया है और आने वाले विधानसभा चुनावों में इसे दोहराया जाएगा।
माणिक साहा, मुख्यमंत्री त्रिपुरा
शीर्ष केंद्रीय कांग्रेस नेता और त्रिपुरा के एआईसीसी प्रभारी अजय कुमार ने भी संभावित चुनाव पूर्व गठजोड़ के संकेत दिए हैं। उन्होंने मीडिया से कहा, हम यहां फासीवादी ताकतों से लड़ने के लिए हैं और त्रिपुरा के लोगों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। विपक्ष साझा मंच पर आए। बीजेपी, आरएसएस कांग्रेस की विरासत को नष्ट कर रहे हैं। कुछ नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपिता कहते हैं, अन्य मोहन भागवत को कहते हैं। बीजेपी के इतने सारे पिता हैं लेकिन हमारे पास केवल एक ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं। कल वे अमित शाह को राष्ट्रपिता बना देंगे।
बहरहाल, हाल के दिनों में, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं और सीपीएम नेताओं को एक ही मंच साझा करते हुए और गठबंधन के बारे में बात करते देखा गया है।