पीएम आवास पर बैठक, फिर भी 3 CM तय करने में देरी क्यों?
भाजपा की एक उच्चस्तरीय बैठक मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास पर हुई, जिसमें शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को चुनने की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श किया। सबसे ज्यादा मुश्किल राजस्थान और मध्य प्रदेश को लेकर हो रही है। बैठक में किन्हीं तीन नामों पर अंतिम फैसला नहीं हो सका।
हालांकि पार्टी ने बैठक के एजेंडे या नतीजे पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की। बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल थे। मीडिया को यही बताया गया कि बैठक संसदीय बोर्ड का कार्यक्रम तय करने के लिए बुलाई गई थी, जहां यह निर्णय लिया जाएगा। इस बैठक में जो तीनों राज्यों में से हर में विधायक दल की बैठकों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर निर्णय लेगा। यानी पीएम आवास की बैठक रणनीति के लिए बुलाई गई थी कि संसदीय बोर्ड की बैठक में चीजों को किस तरह पेश किया जाना है। क्योंकि संसदीय बोर्ड में शीर्ष नेतृत्व के अलावा भी भाजपा के अन्य नेता होंगे। हालांकि अंतिम फैसला पीएम मोदी और उनके नंबर 2 अमित शाह को ही करना है।
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी आलाकमान किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले जमीनी स्तर से मिले इनपुट का विश्लेषण करेगा। राजस्थान से जो सूचनाएं आ रही हैं, उनसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को परेशान किया हुआ है। वहां शक्ति प्रदर्शन चल रहा है। वसुंधरा राजे खेमे के विधायक एक तरह से शक्ति प्रदर्शन पर उतरे हुए हैं। कुछ ने बयान तक दिए हैं कि वसुंधरा को सीएम बनाया जाए। भाजपा में यह सब पसंद नहीं किया जाता।
राजस्थान के भाजपा नेताओं ने मंगलवार को कई बैठकें कीं, इसके बावजूद सीएम के नाम पर सस्पेंस जारी रहा। कई नवनिर्वाचित विधायक मंगलवार को जयपुर में वसुंधरा राजे के साथ-साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी से मिलने के लिए पहुंचे। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने भी जोशी के आवास पर उनके साथ बैठक भी की। इसके बाद उन्होंने जयपुर में भाजपा कार्यालय में पार्टी महासचिव (संगठन) चंद्रशेखर से मुलाकात की। हालांकि अरुण सिंह और जोशी सोमवार को अमित शाह से मिलने के बाद जयपुर लौटे थे और विधायकों को पार्टी नेतृत्व का फैसला बता रहे थे। लेकिन विधायकों की ओर से आम राय नहीं बन पा रही है। राजस्थान में यह साफ है कि भाजपा को सीएम तय करने में मुश्किल आ रही है।
राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने कहा- "सीएम पर जल्द फैसला लिया जाएगा। संसदीय बोर्ड जो भी निर्णय लेगा वह सभी को स्वीकार्य होगा।"
मामले से परिचित लोगों ने बताया कि भाजपा विधायक दल की बैठक बुधवार या गुरुवार को होने की संभावना है, जहां विधायक दल का नेता चुना जाएगा। लेकिन उससे पहले भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में कोई न कोई फैसला लिया जाएगा। संसदीय बोर्ड की बैठक बुधवार को हो सकती है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए इतनी मुश्किल नहीं आ रही है। वहां रमन सिंह पर लगभग सहमति बन चुकी है। रायपुर में भाजपा विधायकों और नेताओं ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से मुलाकात की। नवनिर्वाचित विधायकों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हम सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री को बधाई देने आए हैं।"
उधर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वह पहले या अब कभी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं थे। चौहान ने अपने अपने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर साझा किए गए एक वीडियो में कहा, “मैं न तो पहले मुख्यमंत्री पद का दावेदार था और न ही आज हूं।”
उन्होंने कहा, "एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में, मैंने हमेशा अपनी सर्वोत्तम क्षमता, वास्तविकता और ईमानदारी के साथ, भाजपा द्वारा सौंपे गए हर काम को समर्पण के साथ किया है।"
देखा जाए तो इस बयान ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का काम आसान कर दिया है। पार्टी शिवराज सिंह चौहान के अलावा किसी भी नाम पर विचार कर सकती है। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। क्योंकि एमपी में भाजपा की प्रचंड जीत में शिवराज की बहुत बड़ी भूमिका है और उन्हें अगर सीएम नहीं बनाया गया तो भाजपा की 2024 में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शिवराज एकदम से सामान्य कार्यकर्ता की हैसियत से पेश आ रहे हैं और पार्टी को अपनी लोकप्रियता से अप्रत्यक्ष रूप से अवगत करा रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने लाडली बहना की लाभार्थी महिलाओं के साथ भोजन किया। यह सब कहीं न कहीं पार्टी को संकेत है।