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एक बार फिर 'कैराना पलायन' को मुद्दा बनाने की कोशिश में है बीजेपी?

एक बार फिर 'कैराना पलायन' को मुद्दा बनाने की कोशिश में है बीजेपी?

क्या बीजेपी उत्तर प्रदेश के चुनाव को फिर से हिंदू बनाम मुसलिम करने की कोशिश कर रही है। अमित शाह के बाद योगी आदित्यनाथ ने भी कैराना के मुद्दे को उठाया है। 

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना से कथित रूप से हिंदुओं के पलायन को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया था। अब विधानसभा के चुनाव फिर से आ गए हैं और ऐसा साफ दिख रहा है कि बीजेपी इस बार भी इस मुद्दे पर राजनीति करेगी। 

हिंदुत्व की राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को कैराना पहुंचे। यहां उन्होंने फिर से यही बात कही कि कैराना से हिंदुओं का पलायन हुआ था। 

बीते सप्ताह जब गृह मंत्री अमित शाह लखनऊ के चुनावी दौरे पर आए थे तो उन्होंने भी कैराना से कथित पलायन के मुद्दे को जिंदा किया था। शाह ने कहा था कि पिछली सरकार में कैराना से पलायन शुरू हुआ था और आज उत्तर प्रदेश में किसी की हिम्मत पलायन कराने की नहीं है और पलायन कराने वालों का पलायन हो चुका है। 

पलट गए थे हुकुम सिंह 

बताना ज़रूरी होगा कि कैराना इलाक़े से बीजेपी के पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने साल 2016 में यहां से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि मुज़फ्फरनगर के दंगों के बाद से यहां से लगभग 350 हिंदू परिवार पलायन कर चुके हैं। लेकिन बाद में वह अपनी बात से पलट गए थे और उन्होंने कहा था कि उन्होंने कभी भी सिर्फ़ हिंदुओं के पलायन का मुद्दा नहीं उठाया था। उन्होंने कहा था कि यहां मुद्दा क़ानून व्यवस्था और सुरक्षा का था। 

 - Satya Hindi

यह बात सही है कि कैराना के अंदर क़ानून व्यवस्था का बुरा हाल था लेकिन हुक़ूमत का काम है क़ानून व्यवस्था को बिगाड़ने वालों के साथ सख़्ती से पेश आना। लेकिन बीजेपी जिस तरह की बातें कर रही है, उससे ऐसा लगता है कि पूरे माहौल को एक बार फिर हिंदू-मुसलिम बनाने की कोशिश की जा रही है। 

हिंदुत्व की प्रयोगशाला है वेस्ट यूपी 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक बार फिर हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाया जा रहा है। 2013 में इस इलाक़े में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद किस दल को उत्तर प्रदेश में लगातार सबसे ज़्यादा सियासी फ़ायदा हुआ था, यह बताने की ज़रूरत नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन के दौरान भी माहौल को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा चुकी है। 

हिंदू मतों का ध्रुवीकरण 

मुज़फ्फरनगर के दंगों के बाद हिंदू मतों का जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ था और 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी ताक़त राष्ट्रीय लोक दल का सफाया हो गया था। ध्रुवीकरण का यह असर उत्तर प्रदेश के बाक़ी हिस्सों में भी दिखा था।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा भी कई जगहों पर हिंदुओं के कथित पलायन के मुद्दे को उठाया जा चुका है। अधिकतर जगहों पर इस तरह की ख़बरें झूठ निकली हैं।

ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह के और मुद्दों को उभारा जाएगा और इस विधानसभा चुनाव को हिंदू बनाम मुसलिम करने की पूरी कोशिश की जाएगी। निश्चित रूप से इससे चुनाव को असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश होगी लेकिन यह प्रदेश की जनता पर निर्भर करता है कि वह हिंदू बनाम मुसलिम पर वोट करेगी या फिर असल मुद्दों पर। 

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