रामविलास और चिराग के उतरे हुए चेहरे क्या कह रहे हैं?
सीटों के बँटवारे को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान की बैठक हुई लेकिन इसमें कोई हल नहीं निकला।
बीजेपी और लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बँटवारे पर अभी भी गतिरोध क़ायम है। गुरुवार शाम को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान की घंटे भर से ज़्यादा देर तक चली बैठक में कोई हल नहीं निकला।
पासवान के क़रीबी सूत्रों के मुताबिक़, बैठक में उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से नोटबंदी के फ़ायदे और किसानों के लिए सरकार की तरफ़ से किए गए का कामों का ब्यौरा माँगा। अरुण जेटली ने दोनों की बातें गौर से सुनीं और उनकी शिकायतों को दूर करने का भरोसा दिया है। वहीं, बीजेपी सूत्रों के मुताबिक़, बैठक में चिराग पासवान को इस बात के लिए फटकार पड़ी कि उन्होंने वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने के साथ ही ट्वीट करके नाराज़गी जताई। बैठक में क्या बात हुई, इसे लेकर दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के घर पर घंटे भर से ज़्यादा चली बैठक के माहौल को पढ़ने की कोशिश करें तो यही नतीजा निकलता है कि बीजेपी और एलजेपी के बीच अभी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं हुआ है। बैठक के बाद सबसे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली बाहर आए। जब पत्रकारों ने उनसे बात करनी चाही तो वे गाड़ी का शीशा खोले बगैर धीमे से हँसते हुए निकल गए। रामविलास-चिराग के चेहरे उतरे हुए थे
जेटली के बाद रामविलास पासवान अपने बेटे और अपनी पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान के साथ बाहर निकले, दोनों के चेहरे उतरे हुए थे। चेहरों पर गुस्से का भाव था। वे भी मीडिया से बात किए बगैर चले गए। उसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार मामलों के प्रभारी महासचिव भूपेंद्र यादव एक ही गाड़ी में निकले। उन्होंने भी मीडिया से बात नहीं की और मुस्कुराते हुए चले गए। उन्हें पूर्व संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार की श्रद्धांजलि सभा में जाना था।सीट बँटवारे पर नहीं हुई बात!बैठक के बाद किसी भी नेता का भी मीडिया से बात नहीं करने का यही मतलब निकाला जा रहा है कि गतिरोध अभी क़ायम है। बाद में मीडियाकर्मी राम विलास पासवान के घर के बाहर घंटे भर तक उनके आने का इंतजार करते रहे। वह न बाहर आए न ही उनका कोई संदेश आया। पासवान के साथ अंदर मौजूद उनकी पार्टी के नेताओं के मुताबिक़, बैठक में सीटों के बँटवारे को लेकर कोई बात नहीं हुई है। रामविलास पासवान और चिराग पासवान ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से बेरोजगारी दूर करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी माँगी है। इस पर वित्त मंत्री ने पूरा ब्यौरा इकट्ठा करके एलजेपी समेत सभी सहयोगी दलों के नेताओं को देने का भरोसा दिया है।
बैठक में चिराग पासवान के चिट्ठी लिखने का मुद्दा उठा तो उनकी तरफ़ से कहा गया कि एनडीए में फ़िलहाल कोई ऐसा मंच नहीं है जहाँ सहयोगी दल अपनी बात कह सकें। लिहाज़ा उन्हें चिट्ठी लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा। वहीं, बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बैठक में राम विलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान को दो टूक बता दिया गया है कि उन्हें बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में लड़ी गई सीटों से ज़्यादा सीटें नहीं दी जा सकती।
चिराग पासवान को लगाई फटकार
अमित शाह और अरुण जेटली दोनों ने चिराग पासवान की वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी, दो दिन पहले किए गए उनके ट्वीट और राहुल गाँधी की तारीफ़ करने को लेकर उन्हें कड़ी फटकार लगाई। उन्हें बताया गया कि इससे सरकार की छवि को धक्का पहुँचा है। सरकार का हिस्सा रहते हुए उन्हें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे सरकार की छवि को नुकसान पहुँचे। पहले समझा जा रहा था कि शुक्रवार को नीतीश कुमार दिल्ली आ रहे हैं तो उनके साथ बीजेपी और बिहार के बाक़ी सहयोगी दलों के साथ बैठक होगी और सीटों के बँटवारे पर फ़ैसला और उसका एलान होगा। नीतीश कुमार तो दिल्ली में हैं लेकिन पासवान पूरे परिवार के साथ मुंबई जा रहे हैं। नीतीश कुमार के साथ पासवान और बीजेपी के नेताओं की बैठक होने के कोई आसार नहीं है।राम मंदिर सहयोगी दलों का एजेंडा नहीं
पासवान के क़रीबी सूत्रों का यह भी कहना है कि बीजेपी के साथ मामला सीटों के बँटवारे को लेकर नहीं अटका है बल्कि जो मुद्दे चिराग पासवान ने उठाए हैं उन पर अटका है। दूसरी बात रामविलास पासवान इस बात से बेहद ख़फ़ा हैं कि बीजेपी सहयोगी दलों को विश्वास में लिए बगैर अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर अध्यादेश या संसद में विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। उनका साफ़ तौर पर कहना है कि यह बीजेपी का अपना एजेंडा हो सकता है लेकिन उसके सहयोगी दलों का यह कोई एजेंडा नहीं है। इस बारे में अगर बीजेपी को कोई भी कदम उठाना है तो सहयोगी दलों से बात करनी चाहिए। ग़ौरतलब है कि यह बात गुरुवार को यूपीए में शामिल हुए बीजेपी के पूर्व सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी कही थी। सूत्रों के मुताबिक़ राम विलास पासवान उपेंद्र कुशवाहा की राह पकड़ सकते हैं।बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश
बीजेपी से जुड़े सूत्रों का दावा है कि रामविलास पासवान तीन राज्यों में हुई पार्टी की हार के बाद उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे हैं। यह इस बात से जाहिर है कि 11 दिसंबर को नतीजे आने के बाद 12 दिसंबर को चिराग पासवान ने वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख डाली। इससे पहले कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के सरकार बनाने में चूक जाने के बाद भी रामविलास पासवान ने अमित शाह से मिलकर दलित एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए दबाव बनाया था। सूत्रों के मुताबिक़, अब बीजेपी ने मन बना लिया है कि वह पासवान के दबाव में नहीं आएगी। अगर पासवान बीजेपी की शर्तों पर एनडीए में रहना चाहते हैं तो रहें, वरना वह भी छोड़ कर जा सकते हैं। वहीं, पासवान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़, अगर बीजेपी सम्मान के साथ उन्हें एनडीए में रखना चाहती है तो उन्हें उनके मुद्दों पर संतोषजनक जवाब दे। लोकसभा चुनाव में उन्हें पहले के मुक़ाबले ज़्यादा सीटें दे। अगर ऐसा नहीं होता है तो वह भी एनडीए छोड़कर यूपीए का दामन थाम सकते हैं।'मौसम विज्ञानी' हैं पासवान
राजनीतिक हलकों में वैसे भी पासवान को 'मौसम विज्ञानी' कहा जाता है वह चुनाव से पहले ही राजनीतिक हवा का रुख भांंप लेते हैं। जिस तरफ हवा बह रही होती है उसी तरफ़ चल देते हैं। पिछले कई चुनाव में उनका यही रवैया रहा है। आने वाले कुछ दिनों में अगर पासवान बीजेपी का पाला दामन छोड़ कर कांग्रेस की तरफ आए तो किसी को कोई हैरानी नहीं होगी।