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राजस्थान में भाजपा को दो बड़े झटके क्यों लगने जा रहे हैं?

राजस्थान में भाजपा को दो बड़े झटके क्यों लगने जा रहे हैं?

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान से भाजपा के लिए अच्छी खबरें नहीं हैं। राजस्थान आधारित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) भाजपा का साथ छोड़कर इंडिया गठबंधन में शामिल होने वाली है। इसी तरह राजस्थान की भारत आदिवासी पार्टी कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर सकती है। जानिए पूरा घटनाक्रमः 

भाजपा के पूर्व सहयोगी आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गुट इंडिया के साथ संभावित गठबंधन और नागौर से चुनाव लड़ने का संकेत दिया। कांग्रेस राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में भारत आदिवासी पार्टी के साथ गठबंधन पर भी विचार कर रही है। चुनाव को लेकर राजस्थान में कांग्रेस की तैयारियां जोरों पर हैं।

हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के सहयोगी के रूप में राजस्थान के नागौर से 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था। भाजपा ने वहां से ज्योति मिर्धा को टिकट दिया है। हनुमान बेनीवाल ने इसे अपने लिए संकेत समझ लिया है। हालांकि अभी तक इंडिया गठबंधन ने अपनी ओर से हनुमान बेनीवाल की पार्टी को कोई ऑफर नहीं दिया है।

हालांकि हनुमान बेनीवाल ने यह भी कहा है कि इंडिया गठबंधन में जाने के बारे में वो अपने कार्यकर्ताओं से सलाह मशविरा करेंगे। आरएलपी प्रमुख बेनीवाल ने इस बार नागौर से भाजपा की उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को "कमजोर" बताया। बेनीवाल ने ही 2019 में ज्योति मिर्धा को 1.8 लाख से अधिक वोटों से हराया था, तब ज्योति मिर्धा कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। हनुमान बेनीवाल ने कहा कि "मैं इस सीट से चुनाव लड़ने पर निर्णय लेने के लिए अगले कुछ दिनों में चर्चा करूंगा।"

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल को टिकट देकर आरएलपी से समझौता किया था। उन्हें मुख्य तौर पर जाट नेता के रूप में भाजपा लेकर आई थी। लेकिन राजस्थान के जाटों में अब भाजपा की अपनी लीडरशिप खड़ी हो गई है, इसलिए भाजपा ने हनुमान बेनीवाल को इस बार न टिकट दिया और न ही उनकी पार्टी को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। भाजपा ने नागौर से जिन ज्योति मिर्धा को टिकट दिया है वो पुराने कांग्रेसी दिग्गज रामनिवास मिर्धा की बेटी हैं।

पिछले साल खींवसर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आरएलपी प्रमुख ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। ज्योति मिर्धा ने भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन चाचा और कांग्रेस उम्मीदवार हरेंद्र से हार गईं। इसके बावजूद भाजपा ने अब उन्हें नागौर से लोकसभा टिकट दे दिया।

हाल ही बेनीवाल की योजनाओं के बारे में तब संकेत मिले, जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 'एक्स' पर आरएलपी प्रमुख को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। लगभग उसी समय भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची भी आई थी, जिसमें हनुमान बेनीवाल की जगह ज्योति मिर्धा का नाम था।

बेनीवाल के ट्वीट ने भी इसी तरह के संकेत दिए। बेनीवाल ने "राज्य में भाजपा विरोधी लहर" की घोषणा की और कहा कि इसका 'मिशन 25' विफल हो जाएगा। बेनीवाल ने कहा- “पिछली बार, हमारे (आरएलपी) समर्थन से, उन्होंने (एनडीए) (सभी) 25 सीटें जीतीं। इस बार, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे।” 2019 में बीजेपी ने 24 लोकसभा सीटें और बेनीवाल की आरएलपी ने एक सीट जीती थी। हालांकि वो सीट भाजपा के टिकट पर ही लड़ी गई थी।

राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी चाह रहे हैं कि आरएलपी इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाए। सूत्रों का कहना है कि गहलोत इस मुद्दे पर चर्चा के लिए खासतौर पर सीट शेयरिंग पर बात कर रहे मुकुल वासनिक के पास गए। क्योंकि इस समय मुकुल वासनिक कांग्रेस की ओर से इंडिया गठबंधन का काम देख रहे हैं। समझा जाता है कि गहलोत ने नागौर से कांग्रेस टिकट पर हनुमान बेनीवाल को और चुरु से राहुल कासवन को टिकट देने की मांग की है। दरअसल, राहुल कासवन चुरु से भाजपा सांसद हैं, लेकिन सूची में उनका नाम काटकर किसी और को टिकट दे दिया गया है। राहुल कासवन भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में आना चाहते हैं।

उधर, भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने अब भाजपा का मोह छोड़ दिया है। वो कांग्रेस के साथ समझौता करना चाहती है। हालांकि यह पार्टी दो तरह से आगे बढ़ रही है। एक तरफ उसने सात उम्मीदवारों को उतारने की घोषणा कर दी है, दूसरी तरफ वो कांग्रेस से समझौता भी करना चाहती है।

भारत आदिवासी पार्टी के तीन विधायक इस बार विधानसभा चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे हैं। इससे इस पार्टी के हौसले बुलंद हैं। इस पार्टी की टिकट पर 6 प्रत्याशी राजस्थान में खड़े हुए थे। लोकसभा चुनाव में इस पार्टी की नजर डूंगरपुर-बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर सीटों पर है। इस पार्टी का गठन सितंबर 2023 में हुआ था।.

विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने इस पार्टी से चुनावी समझौते के लिए संपर्क किया था। लेकिन भारत आदिवासी पार्टी ने गठबंधन से इनकार कर दिया था। अब लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने उससे संपर्क साधा है। लेकिन पार्टी ने अभी तक किसी भी बड़े राजनीतिक दल से समझौते की पेशकश नहीं की है।                      

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