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जाति जनगणना पर बीजेपी पक्ष में या विरोध में? जानिए किस दल की क्या राय

जाति जनगणना पर बीजेपी पक्ष में या विरोध में? जानिए किस दल की क्या राय

बिहार में जाति सर्वेक्षण के आँकड़े जारी होने के बाद एक बार फिर से यह सवाल उठ रहा है कि आख़िर कौन-कौन से दल इसके पक्ष में हैं और कौन विरोध में? 

बिहार में आए जाति सर्वेक्षण के आँकड़ों ने कुछ दलों को बेहद मुश्किल में डाल दिया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे विरोध करें या फिर इसका समर्थन। जबकि अधिकतर दल तो इसके समर्थन में देश भर में जाति सर्वेक्षण की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस सहित क़रीब-क़रीब सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियाँ जाति सर्वेक्षण की मांग कर रही हैं ताकि कमजोर वर्गों के लिए नीतियाँ बनाई जा सकें। बीजेपी इस मसले पर बुरी तरह फँस गई है।

इसीलिए जब नीतीश कुमार और तेजस्वी बिहार में जाति जनगणना करने के लिए प्रयासरत थे तो बीजेपी असमंजस में थी। वह खुले तौर पर तो कह रही थी और ऐसा दिखा भी रही थी कि वह जाति जनगणना के पक्ष में है, लेकिन जब केंद्रीय नेतृत्व की बात आ रही थी तो मामला पलट जा रहा था। इसी वजह से जेडीयू और आरजेडी आरोप लगा रहे थे कि बीजेपी जाति जनगणना नहीं कराना चाहती है। 

बिहार सरकार द्वारा जाति-जनगणना रिपोर्ट जारी करने पर बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी का कहना है कि बीजेपी इस सर्वे की समर्थक रही है। जाति जनगणना कराने के लिए दो साल पहले जब नीतीश कुमार, तेजस्वी और बिहार के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात की थी तब भी बीजेपी के बड़े नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि बीजेपी जाति जनणगना के ख़िलाफ़ कभी नहीं रही है।

तब सुशील मोदी ने कहा था कि 'जाति जनगणना कराने में अनेक तकनीकी और व्यवहारिक कठिनाइयाँ हैं, फिर भी बीजेपी सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।' उन्होंने ट्वीट में यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी भी शामिल रही।

सुशील कुमार ने 2021 में एक ट्वीट में कहा था कि वर्ष 2011 में बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने जाति जनगणना के पक्ष में संसद में पार्टी का पक्ष रखा था। उन्होंने आगे कहा था, 'उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों ने जब सामाजिक, आर्थिक, जातीय सर्वेक्षण कराया, तब उसमें करोड़ों त्रुटियां पायी गईं। जातियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। भारी गड़बड़ियों के कारण उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। वह सेंसस या जनगणना का हिस्सा नहीं था।'

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बिहार से आने वाले बीजेपी नेता ने यह भी कहा था, 'ब्रिटिश राज में 1931 की अंतिम बार जनगणना के समय बिहार, झारखंड और उड़ीसा एक थे। उस समय के बिहार की लगभग 1 करोड़ की आबादी में मात्र 22 जातियों की ही जनगणना की गई थी। अब 90 साल बाद आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक और राजनीतिक परिस्तिथियों में बड़ा फर्क आ चुका है।'

बीजेपी के जाति जनगणना के विरोधी नहीं होने का सुशील कुमार का वह बयान तब आया था जब उससे एक महीने पहले लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित आबादी की जनगणना नहीं करने के लिए नीति के रूप में तय किया है।

भारतीय जनता पार्टी के असमंजस को इस बात से समझा जा सकता है कि उसके नेता एक तरफ तो इस जाति जनगणना का श्रेय भी लेना चाहते हैं और दूसरी तरफ उसके ही नेता इसे जातिवाद की राजनीति बता रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी चाहते हैं कि मौजूदा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसका श्रेय न लें बल्कि भारतीय जनता पार्टी को इसका श्रेय मिले। उन्होंने इसका कारण यह बताया कि जब कैबिनेट से जाति जनगणना कराने का निर्णय पारित हुआ था तब तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री नहीं थे। वे यह भी कहते हैं कि कर्नाटक और तेलंगाना के बाद बिहार तीसरा राज्य है जहां भाजपा के समर्थन से जाति जनगणना शुरू हुई।

इसके उलट भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार सिन्हा ने इसी साल जनवरी में जाति गणना के लिए श्रेय लेने के बजाय इस पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने बयान दिया था कि पिछले 75 सालों में किसी दल ने जाति गणना क्यों कराई, 1931 के बाद जाति जनगणना क्यों नहीं हुई। उन्होंने लालू प्रसाद का नाम लिए बिना कहा था कि उनके (नीतीश के) बड़े भाई ने जातीय उन्माद पैदा करवाने के लिए यह जाति गणना शुरू कराई है।

बीजेपी नेता संजय जायसवाल ने पहले जाति जनगणना के विरोध में सीधे तो कुछ नहीं कहा था लेकिन इसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि सिर्फ जाति की गणना हो रही है, उप जातियों की गणना क्यों नहीं हो रही है। उन्हें लगता है कि इसमें आंकड़े छिपाने की साजिश है। 

बहरहाल, बीजेपी पर विपक्षी दल यह कहकर आरोप लगाते रहे हैं कि जब वह विरोध में नहीं है तो पूरे देश में जाति जनगणना क्यों नहीं करा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, 'बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहाँ ओबीसी  + एससी +एसटी 84% हैं। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं! इसलिए, भारत के जातिगत आँकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ - ये हमारा प्रण है।'

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा है, 'अब बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी जातिगत जनगणना होनी चाहिए। आज बिहार में जातिगत जनगणना के आँकड़े आए हैं इससे भाजपाई घबराए हुए हैं।' बेंगलुरु में जुलाई महीने में हुई 26 विपक्षी दलों की बैठक में कई अहम प्रस्ताव पास किए गए जिसमें से एक जाति जनगणना लागू करने की मांग भी शामिल है। बैठक में पारित संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया कि हम सभी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हैं। हम मांग करते हैं कि पहले कदम के रूप में जाति जनगणना कराई जाए। 

इस तरह 26 से ज़्यादा विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल सभी दल जाति जनगणना की मांग करते रहे हैं। इसमें समाजवादी पार्टी से लेकर, एनसीपी, शिवसेना, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, टीएमसी, आप जैसे दल भी शामिल हैं। जाति जनगणना के प्रयास कई राज्यों में तो चल भी रहे हैं। बिहार ने तो इसके आँकड़े भी जारी कर दिए। 

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