एक थी लड़ाई ‘महाराज’ और ‘घोषणावीर’ की
मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार तो ‘विकास बनाम विनाश’ के मुद्दे से शुरू हुआ लेकिन अंतिम दौर में भाजपा और इससे जुड़े संगठनों के कर्ताधर्ता ‘मां, मंदिर और मुसलमान’ के केन्द्र बिन्दु पर ला खड़ा करने में सफल होते नज़र आए हैं। हालाँकि पूरे चुनाव में भाजपा ने अपने प्रचार को ‘शिवराज वर्सेस महाराज’ पर केन्द्रित रखा। कांग्रेस ने भी ‘महाराज’ का जवाब ‘घोषणावीर’ से दिया।मध्यप्रदेश भाजपा के प्रत्येक विज्ञापन में ‘माफ़ करो महाराज, अपना नेता तो शिवराज’ पर केन्द्रित रहा। पार्टी प्रचार के लिए मध्यप्रदेश में डेरा डालने वाले राष्ट्रीय प्रवक्ता सम्बित पात्रा से पूछा गया ‘यह महाराज कौन हैं?’ उनका जवाब रहा, ‘वैसे तो महाराज आम बोलचाल का शब्द है, लेकिन हमारे चुनावी नारे में प्रयुक्त महाराज शब्द को कांग्रेस की सामंतवादी मानसिकता का प्रतीक माना जा सकता है।’
मध्यप्रदेश भाजपा के विज्ञापन में ‘माफ़ करो महाराज, अपना नेता तो शिवराज’ पर टिका रहा। कांग्रेस ने भी ‘महाराज’ का जवाब ‘घोषणावीर’ से दिया।
मध्यप्रदेश कांग्रेस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कांग्रेस घोषणावीर बताती आई है। हालाँकि, कांग्रेस ने पूरे प्रचार के दरमियान एक ही नारा सबसे ज्यादा उछाला और वह रहा, ‘कांग्रेस के साथ वक़्त है बदलाव का।’