कोरोना के टीकाकरण को लेकर अगर बीजेपी शासित सरकारों के भारी-भरकम प्रचार पर अगर आप भरोसा कर लेंगे तो वाहवाही करे बिना नहीं रह पाएंगे। लेकिन जब आप टीकाकरण की हक़ीक़त जानेंगे तो इन सरकारों को कोसे बिना नहीं रहेंगे।
उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसे राज्य हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा चरमराया हुआ है। ऐसे में यहां टीकाकरण की रफ़्तार को बढ़ाए जाने की ज़रूरत थी लेकिन ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि इस मामले में इन दोनों ही राज्यों का प्रदर्शन बाक़ी राज्यों के मुक़ाबले काफ़ी ख़राब है।
‘द प्रिंट’ के मुताबिक़, बिहार में गुरूवार तक 1,31,27,210 लोगों को ही कोरोना की पहली डोज़ लगी थी जो कि राज्य की कुल आबादी का 10.7 फ़ीसदी है जबकि दोनों डोज़ लगाने वाले लोगों की संख्या 21,37,362 है जो कि कुल आबादी का 1.74 फ़ीसदी है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में गुरूवार तक 2,47,82,239 लोगों को कोरोना की पहली डोज़ लग चुकी है और यह राज्य की आबादी का 10.7 फ़ीसदी है जबकि 41,94,231 लोग ऐसे हैं जिन्हें दोनों डोज़ लग चुकी हैं, यह आंकड़ा 1.82 फ़ीसदी बैठता है जो बताता है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में हालात कितने ख़राब हैं।
झारखंड का भी हाल ख़राब
झारखंड का भी हाल ख़राब है, जहां गुरूवार तक सिर्फ़ 2.5 फ़ीसदी लोगों को ही कोरोना की दोनों डोज़ लगी हैं जबकि 13.7 फ़ीसदी लोगों को पहली डोज़ लगी है। यही हाल तमिलनाडु और असम के भी हैं, जहां क्रमश: 3.13 और 3.25 फ़ीसदी लोगों को ही कोरोना की दोनों डोज़ लगी हैं। यहां पर 2011 की जनगणना के आंकड़ों को आधार बनाया गया है।
बढ़ानी होगी रफ़्तार
यह बात साफ है कि इन सभी राज्यों को विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार को कोरोना टीकाकरण की रफ़्तार बढ़ानी होगी। इसके पीछे वज़ह यह है कि यहां आबादी बहुत ज़्यादा है और इतनी आबादी का टीकाकरण करते-करते काफ़ी वक़्त लग जाएगा और तब तक कहीं कोरोना की तीसरी लहर दस्तक न दे दे। उत्तर प्रदेश की आबादी 23 करोड़ है जबकि बिहार की आबादी 13.12 करोड़ है।
ये हालात तब हैं जब कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर इस बात का धुआंधार प्रचार किया गया है कि भारत ने टीकाकरण में रिकॉर्ड क़ायम कर दिया है लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि देश के दो बड़े राज्य टीकाकरण को लेकर सिर्फ़ ज़ुबानी जमा-ख़र्च कर रहे हैं।
केंद्र के दावे पर सवाल
कोरोना महामारी से बचने के लिए बेहद ज़रूरी टीकाकरण की रफ़्तार को बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस साल के अंत तक सभी का टीकाकरण कर देगी। दूसरी ओर, वैक्सीन की जबरदस्त किल्लत है और इस वजह से कई राज्यों में टीकाकरण बेहद सुस्त रफ़्तार के साथ हो रहा है। ऐसे में सरकार के इस दावे पर गंभीर सवाल उठते हैं।
लेकिन लद्दाख, सिक्किम, त्रिपुरा, गोवा और मिज़ोरम ऐसे राज्य हैं, जहां पर टीकाकरण की रफ़्तार अच्छी है।
योगी की तारीफ़ की थी
उत्तर प्रदेश में चल रही सियासी उथल-पुथल के बीच जब बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष कुछ दिन पहले लखनऊ आए थे तो उन्होंने योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ों के पुल बांध दिए। बीएल संतोष ने ट्वीट कर कहा था कि उत्तर प्रदेश 20 करोड़ से ज़्यादा आबादी वाला राज्य है।
उन्होंने कुछ छोटे राज्यों विशेषकर दिल्ली के लिए तंज कसते हुए कहा था कि नगर पालिका जितनी आबादी वाले राज्य के मुख्यमंत्री 1.5 करोड़ की आबादी वाले शहर का प्रबंधन नहीं कर सके जबकि योगी आदित्यनाथ ने बड़ी आबादी वाले राज्य का कहीं प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया।
लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश तो उन राज्यों में शामिल है, जहां 10.7 फ़ीसदी से भी कम लोगों को कोरोना की पहली डोज़ लगी है जबकि 1.82 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्हें दोनों डोज़ लगी हैं। ऐसे में किस तरह का प्रबंधन योगी सरकार ने किया है, इसे समझना मुश्किल है।
जबकि नीतीश सरकार ने ‘6 करोड़ वयस्कों को 6 माह में कोरोना का टीका’ अभियान का शुभारंभ किया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस लक्ष्य को हर हाल में पूरा करना है और कोरोना की जांच, इलाज और टीकाकरण को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। लेकिन आंकड़े उनकी प्रतिबद्धता के दावे को झूठा साबित करते हैं।