बिहार की राजनीति में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जो बयान सामने आ रहे हैं उनसे ऐसा लगता है कि अब तेजस्वी ने नीतीश के ‘गिड़गिड़ाने’ पर उनका ‘कल्याण’ नहीं करने का अंतिम फ़ैसला कर लिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वैसे तो लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी यह बात कही थी कि राजद के साथ जाकर उन्होंने ग़लती की थी लेकिन उन्होंने अपने इस बयान को हाल ही में फिर से दोहराया है। राजद के साथ जाकर गलती करने और इस गलती को न दोहराने के नीतीश कुमार के बयान पर लोग सवाल करते हैं कि क्या ऐसी कोई संभावना है जिससे नीतीश कुमार इनकार कर रहे हैं।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि तेजस्वी यादव असल में इस बात का इंतजार कर रहे थे कि कब नीतीश कुमार का एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी से मोह भंग हो और वह महागठबंधन में शामिल हो जाएं। उनका यह भी कहना है कि इसी कारण तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर बहुत अधिक राजनीतिक हमले नहीं किए हैं। लेकिन तेजस्वी यादव के ताजा बयान से ऐसा लगता है कि उन्होंने अब एक नया स्टैंड लिया है और यह फैसला किया है कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चौतरफा हमला करेंगे।
एक ओर तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के राज में कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति और हत्याओं के दौर के बारे में चर्चा कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनकी राजनीतिक मजबूरी की भी खुलेआम चर्चा शुरू कर दी है।
यहाँ यह याद दिलाना ज़रूरी है कि जब 2013-14 में नीतीश कुमार का भारतीय जनता पार्टी से अलगाव हुआ तो उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के साथ महागठबंधन बनाया था। 2015 के चुनाव में महागठबंधन को भारी जीत मिली थी और भारतीय जनता पार्टी की बुरी तरह हार हुई थी।
उस चुनाव में नीतीश का यह बयान काफी मशहूर हुआ था कि मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाएंगे।
राजद के अधिक विधायक होने के बावजूद लालू प्रसाद ने अपने वादे पर कायम रहते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद दिया था और उस समय तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने थे। मगर 2017 में नीतीश कुमार ने पलटी मार कर आरजेडी का साथ छोड़ दिया और भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
2020 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के साथ लड़ने के बावजूद 2022 के अगस्त को नीतीश ने एनडीए सरकार से इस्तीफा दे दिया और आरजेडी से हाथ मिला लिया था। लगभग 17 महीने के बाद नीतीश कुमार ने एक बार फिर महागठबंधन का साथ छोड़ दिया और बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया। बार-बार पलटने की वजह से नीतीश कुमार को राजनीति में पलटू राम का भी खिताब मिल गया। अब नीतीश कुमार दो बार राजद के साथ जाने को अपनी ग़लती बताते हैं और इसे खुलेआम स्वीकार करते हैं। वह यह भी कहते हैं कि अब वह कहीं नहीं जाने वाले हैं।
इसके बावजूद राजनीतिक प्रेक्षकों को लगता था कि पलटी मारने के इतिहास के कारण नीतीश कुमार की यह बात अंतिम नहीं हो सकती और शायद इसी वजह से तेजस्वी यादव नीतीश कुमार पर उतने आक्रामक नहीं हो रहे थे। ऐसा लगता है कि तेजस्वी यादव एक लिहाज बरत रहे थे कि अगर कभी नीतीश कुमार वापस आते हैं तो बात आसानी से आगे बढ़ सके। लेकिन उनके ताजा बयान से लगता है कि अब वह यह लिहाज नहीं बरतने वाले और नीतीश कुमार के बारे में हर वह बात कहेंगे जो उन्होंने अब तक उजागर नहीं की थी।
उन्होंने अपने ताजा बयान में कहा, “हमारे घर जब आए थे तो सभी विधायकों के साथ हाथ जोड़कर माफी मांगी थी। हमारे पास वह फुटेज भी है। सदन में कितनी बार हाथ जोड़कर उन्होंने गलती मानी है। पत्रकारों के सामने कितनी बार कह चुके हैं कि गलती हो गई अब बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे।”
तेजस्वी यादव यह भी कहते हैं कि उन्होंने दो-तीन बार ‘कल्याण कर दिया है, बचा दिया है।’ यानी तेजस्वी के मुताबिक जब नीतीश कुमार परेशानी में थे तो राजद ने उनका साथ देकर उन्हें बचा लिया। बचाने से उनका मतलब शायद यह है कि नीतीश कुमार हर हाल में मुख्यमंत्री बने रहे।
नीतीश कुमार आरजेडी में नहीं जाने की बात कहने के साथ यह बात भी दोहराते हैं कि बीजेपी से उनका 1995 से संबंध है। तेजस्वी यादव ने इस बात का भी नोटिस लिया है और वह कहते हैं कि नीतीश कुमार जब उनकी तरफ़ जाते हैं तो कहते हैं कि उनका तो लालू से 1973 से संबंध है।
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि अब उन्हें (नीतीश को) लेने का कोई मतलब नहीं है, कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। इस बारे में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का बयान भी महत्वपूर्ण है। लालू ने साफ तौर पर कहा कि नीतीश अगर नहीं आना चाहते हैं तो नहीं आएं।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि राजद ने अब यह नीतिगत निर्णय ले लिया है कि नीतीश कुमार के खिलाफ चौतरफा हमला किया जाएगा और उनके साथ अब कोई सहानुभूति नहीं बरती जाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ दिनों में तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के बारे में क्या कोई और नया राजनीतिक हमला करते हैं।