चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर गुरूवार को एक ट्वीट किया और फिर कुछ ही देर बाद उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया। इस ट्वीट में ऐसा क्या था जिस वजह से प्रशांत किशोर ने इसे डिलीट कर दिया।
हुआ यूं कि प्रशांत किशोर के बयानों को लेकर सवाल पूछे जाने पर नीतीश कुमार ने कहा था कि प्रशांत किशोर का मन बीजेपी के साथ रहने और उसकी मदद करने का होगा और उनके बयानों का कोई मतलब नहीं है। नीतीश का यह बयान जैसे ही टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर चलने लगा तो प्रशांत किशोर ने उनकी चार पुरानी तसवीरों को ट्वीट कर दिया।
प्रशांत इन तसवीरों के जरिये शायद यह बताना चाहते थे कि नीतीश के बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कैसे रिश्ते रहे हैं।
यह चारों तसवीरें नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीते वक्त के रिश्तों को दिखाती हैं। इन तसवीरों में से एक तसवीर साल 2022 में योगी आदित्यनाथ के दोबारा मुख्यमंत्री की शपथ लेने के दौरान की है जब नीतीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी के आगे विनम्र भाव से झुक गए थे जबकि बाकी तसवीरों में नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलग-अलग वक्त में एक-दूसरे के आमने-सामने दिखते हैं।
नीतीश-मोदी के रिश्ते
इसमें से साल 2022 वाली तसवीर को लेकर यह चर्चा चली थी कि जो नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक थे, वह उनके सामने इतना क्यों झुक गए। याद दिलाना होगा कि नीतीश कुमार ने साल 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद एनडीए छोड़ दिया था। इसके अलावा नीतीश ने साल 2010 में गुजरात सरकार के द्वारा बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिए दिए गए 5 करोड़ रुपए भी वापस कर दिए थे। उस वक्त नरेंद्र मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री थे। ऐसे में नीतीश कुमार और मोदी के रिश्तों को लेकर सियासत में चर्चा होती रहती है।
अब जब नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी और एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आ चुके हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी पुरानी तसवीरों को प्रशांत किशोर द्वारा सोशल मीडिया पर डालने के बाद फिर टिप्पणियों का दौर शुरू हो गया। प्रशांत किशोर ने ट्वीट तो डिलीट कर दिया। लेकिन इसका स्क्रीनशॉट वायरल हो गया।
नीतीश के रहे हैं नजदीकी
बताना होगा कि प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के साथ लंबे वक्त तक काम कर चुके हैं और 2015 के विधानसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे तो चुनावी रणनीति बनाने का काम प्रशांत किशोर ने ही किया था। तब प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के नजदीकी नेताओं में गिने जाते थे और उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया था।
जनवरी, 2020 में जेडीयू ने प्रशांत किशोर और वरिष्ठ नेता पवन वर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
कई दलों के लिए किया काम
चुनावी रणनीतिकार के तौर पर प्रशांत किशोर का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत शानदार रहा है और वह बीजेपी से लेकर टीआरएस, टीएमसी से लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से लेकर वाईएसआर कांग्रेस और डीएमके के साथ भी काम कर चुके हैं।
इस साल अप्रैल-मई में प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर अटकलें चल रही थी। उनकी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित पार्टी के तमाम बड़े नेताओं के साथ कई दौर की बैठक भी हो चुकी थी। लेकिन बाद में यह बातचीत टूट गई थी।