नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ पटना में प्रदर्शन में शामिल हुए एक युवक की हत्या के आरोप में छह लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। गिरफ़्तार लोगों में से दो आरोपी संदिग्ध हिंदू संगठनों से जुड़े हैं। युवक का शव प्रदर्शन के 10 दिन बाद 31 दिसंबर को मिला था और युवक को आख़िरी बार नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आरजेडी के प्रदर्शन के दौरान हाथों में तिरंगा झंडा लिए देखा गया था। प्रदर्शन को ख़त्म करने के लिए जब पुलिस ने बल का प्रयोग किया था तब वह युवक वहाँ से जाने की कोशिश में था और इसी दौरान उसकी हत्या कर दी गई थी।
पुलिस ने कहा है कि फुलवारी शरीफ में बैग सिलाई का काम करने वाले 18 वर्षीय आमिर हंज़ला की हत्या के आरोप में हिंदू पुत्र संगठन के 23 वर्षीय नागेश सम्राट, हिंदू समाज संगठन के 21 वर्षीय विकास कुमार सहित छह लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने इसकी पुष्टि की है कि हिंदू पुत्र संगठन उन 19 संस्थाओं में से है जिसके कार्यालयों और इससे जुड़े लोगों के बारे में बिहार पुलिस की विशेष शाखा ने पिछले साल मई में ही जानकारी जुटाने के लिए पत्र भेजा था।
पुलिस हिंसा भड़काने में सम्राट और कुमार की भूमिका की भी जाँच कर रही है। पुलिस का कहना है कि यह जाँच की जाएगी कि आरजेडी के प्रदर्शन के आह्वान के बाद और प्रदर्शन से पहले फ़ेसबुक लाइव से प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने में इन दोनों का कितना हाथ रहा है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, फुलवारी शरीफ थाना प्रमुख रफिक़ुर रहमान ने कहा, '21 दिसंबर को प्रदर्शन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का प्रयास करने वाले प्रमुख लोगों में ये दोनों युवा भी शामिल थे।'
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उनमें से एक वीडियो में कुमार आरोप लगा रहा है कि पुलिस ‘हिंदुओं को प्रताड़ित’ करती है और ‘सभी हिंदू बेटों’ को ‘फुलवारी शरीफ़ में आने’ को कहते हुए देखा जा सकता है। एक अन्य वीडियो में सम्राट ने ख़ुद को ‘एक हिंदू का बेटा’ घोषित किया और कहा कि वह ‘फुलवारी पहुँच गया है’।
थाना प्रमुख रहमान ने कहा, 'हम इन दोनों संगठनों के शीर्ष अधिकारियों से सवाल करेंगे। ऐसे समूहों का रुझान बाहर से भीड़ जुटाने का रहा है। ये दोनों लड़के पटना के नहीं हैं। तीन साल पहले सांप्रदायिक तनाव के दौरान भी ऐसी ही भीड़ जुटी थी। हम और अधिक सबूत जुटा रहे हैं। हमारे पास एक मज़बूत केस है।’
उन्होंने कहा कि इन दोनों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश रचने का केस लगाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, फुलवारी शरीफ थाना प्रमुख रफिक़ुर रहमान ने कहा, 'हमारी जाँच से पता चलता है कि पुलिस द्वारा हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल के इस्तेमाल किए जाने के बाद आमिर हंज़ला वहाँ से जाने की कोशिश में था। आमिर को तब संगत गली इलाक़े में कुछ लड़कों ने पकड़ लिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि ईंटों और अन्य भोथरी चीजों का इस्तेमाल उसे मारने के लिए किया गया था। सिर पर चोट के निशान थे और शरीर पर दो कट के निशान थे। पेट के हिस्से में काफ़ी ज़्यादा ख़ून जमा था जिससे पता चलता है कि अंदरूनी ख़ून का बहाव हुआ था।’
हंज़ला की हत्या मामले में गिरफ़्तार अन्य आरोपियों में दीपक महतो, छोटू महतो, सनोज महतो उर्फ ढेलवा और रईस पासवान हैं। इन्हें पुलिस ने ‘ज्ञात अपराधी’ के रूप में बताया है। पुलिस ने कहा कि दीपक, छोटू और सनोज से उन्हें हंज़ला के शव के स्थान के बारे में पता चला।
पुलिस ने कहा कि हंज़ला 21 दिसंबर को अपनी बाइक से काम के लिए निकला था। लेकिन प्रदर्शन को देखते हुए उसकी यूनिट बंद थी और वह आरजेडी के प्रोटेस्ट मार्च में शामिल हो गया। पुलिस के अनुसार, वीडियो फ़ुटेज में दिख रहा है कि वह प्रदर्शन में हाथों में तिरंगा झंडा लिए चल रहा था। मोबाइल स्विच ऑफ़ होने से पहले उसकी लोकेशन फुलवारी शरीफ ब्लॉक ऑफ़िस के पास मिली। बाद में इसी क्षेत्र में उसके शव को पाया गया। हंज़ला के पिता ने 21 दिसंबर की रात को ही गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, हंज़ला के पिता सोहेल अहमद ने कहा कि यह पहली बार था कि किसी प्रदर्शन में शामिल होने के लिए वह गया था। वह पूछते हैं कि 'उसकी क्या ग़लती थी उसने तो हाथ में तिरंगा झंडा ले रखा था।'
हज़ेला का परिवार मूल रूप से दरभंगा का है और वह क़रीब आठ साल से किराए पर फुलवारी शरीफ में रह रहा है।