पटना में बुधवार को जनता दल यूनाइटेड या जेडीयू ने कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर एक बड़ी रैली आयोजित की है जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि 2 लाख लोग पहुंचे।
इस रैली में सीएम नीतीश कुमार ने परिवारवाद पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि आजकल तो लोग अपने परिवार को ही आगे बढ़ाते हैं, लेकिन कर्पूरी जी ने कभी भी अपने परिवार को नहीं बढ़ाया।
नीतीश कुमार ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर से सीख कर हमने भी कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी के जाने के बाद हमने उनके बेटे रामनाथ ठाकुर को आगे बढ़ाया। अब कौन क्या बोलता है, बोलता रहे।
रामनाथ ठाकुर इस समय जेडीयू के महासचिव और राज्यसभा सांसद हैं। इस मौके पर नीतीश कुमार ने बार-बार बताया कि वह कर्पूरी ठाकुर के परिवार का कितना सम्मान करते हैं।
नीतीश कुमार के द्वारा परिवारवाद पर हुए इस हमले को लेकर भाजपा ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजद से जोड़ा है। भाजपा नेताओं ने कहा है कि नीतीश कुमार का अपने गठबंधन की तरफ इशारा है।
पटना में हुई जेडीयू की इस रैली में नीतीश कुमार ने कहा कि आज प्रधानमंत्री जी ने रामनाथ ठाकुर जी को फोन किया था लेकिन उन्होंने हमको नहीं किया। इसके बाद भी हम प्रेस के माध्यम से उन्हें बधाई देते हैं।
नीतीश कुमार ने इस मौके पर पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि, अब खुद वे क्रेडिट न लें। नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर आयोजित इस रैली को संबोधित करते हुए साफ किया कि कर्पूरी ठाकुर की विरासत में उनकी पार्टी जेडीयू किसी से साझेदारी के मूड में नहीं है।
नीतीश कुमार ने इस रैली में आरक्षण बढ़ाने की याद दिलाकर अति पिछड़ा वर्ग के वोटरों को संदेश देने का प्रयास किया है की कि उनकी सच्ची हितैषी जेडीयू ही है। जेडीयू ने इस रैली के जरिए बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया है। भाजपा के साथ ही जेडीयू की सहयोगी राजद भी इसमें आई भीड़ को देख कर हैरान है। जेडीयू के जहां कर्पूरी जयंती के अवसर पर लाखों की भीड़ जुटा ली वहीं इन दोनों पार्टियों की ओर से आयोजित कार्यक्रम में 2 से तीन हजार लोग ही पहुंचे थे।
वहीं जेडीयू की इस रैली में नीतीश ने खुद दावा किया कि कम से कम दो लाख लोग आए हैं।
यह दोनों दलों के बीच बढ़ी दूरी का सबूत है
नीतीश कुमार के भाजपा में शामिल होने को लेकर अटकले काफी दिनों से लगाई जा रही हैं। ऐसे में बुधवार को पटना में हुई यह रैली कई राजनैतिक संदेश देती दिख रही है। इस रैली में नीतीश कुमार और जेडीयू के अन्य नेताओं ने भाजपा और पीएम मोदी पर राजनैतिक हमला करने से परहेज किया है। एक नेता मंच से पीएम मोदी पर हमलावर हुए भी तो उन्हें बीच में ही रोक दिया गया।राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कर्पूरी जयंती के मौके पर राजद और जदयू के बीच की दूरी भी दिखी है। दोनों दल महागठबंधन का हिस्सा हैं लेकिन दोनों ने कर्पूरी जयंती पटना में अलग-अलग जगहों पर मनाई है। यह दोनों दलों के बीच बढ़ी दूरी का सबूत है।
जदयू की और से कर्पूरी जयंती पर रैली कर के और इसमें भारी भीड़ जुटा कर जहां नीतीश कुमार ने अपनी ताकत दिखाई है वहीं उन्होंने इशारों ही इशारों में बता दिया है कि कर्पूरी के असली वारिस वही हैं। उन्होंने परिवारवाद पर हमला कर लालू यादव और उनके परिवार पर हमला बोला है। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं पर भी इशारों में हमला बोला है।
राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार ने करीब सवा वर्ष से अधिक समय के बाद परिवारवाद पर हमला बोला है। 2022 में जब से उन्होंने राजद के साथ सरकार बनाई थी तब से वह परिवारवाद को लेकर कुछ भी बोलने से परहेज करते रहे हैं। कर्पूरी रैली में परिवारवाद पर हमला कर उन्होंने राजद को असहज कर दिया है।
नीतीश के भाजपा के करीब आने की चल रही चर्चा
जदयू और भाजपा के कई नेताओं के हालिया बयानों और गतिविधियों ने इस चर्चा को बढ़ावा दिया है कि नीतीश और भाजपा एक बार फिर करीब आ रहे हैं। जब इस तरह की चर्चाएं चलनी शुरु हुई तब से लेकर अब तक नीतीश कुमार या जदयू के किसी बड़े नेता ने जोरदार तरीके से इसका खंडन भी नहीं किया है।गृहमंत्री अमित शाह ने अपने एक हालिया बयान में नीतीश कुमार समेत एनडीए के पुराने सहयोगियों को फिर से एनडीए में शामिल होने को लेकर कहा था कि प्रस्ताव आएगा तो पार्टी विचार करेगी।
इसके बाद से चर्चा चलने लगी कि भाजपा फिर से नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल कर सकती है। इस बयान के बाद कहा जाने लगा कि भाजपा ने दरवाजे तो नहीं लेकिन नीतीश के लिए रोशनदान जरूर खोल दिया है।
उनका यह ब्यान इसलिए भी मायने रखता है कि उन्होंने ही कभी सार्वजनिक मंच से कहा था कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। इसके बाद भाजपा के स्थानीय नेता भी नीतीश कुमार पर आक्रामक बयान दे रहे थे। वहीं हाल के दिनों में बिहार भाजपा के नेता नीतीश कुमार पर हमला करने से परहेज करते दिख रहे हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह से बिहार में राजनैतिक हवाए बदल रही है उससे साफ है कि आने वाले दिनों में कुछ भी हो सकता है। वैसे भी राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार अपने सहयोगी दलों को साफ संदेश देना चाहते हैं कि उनके लिए भाजपा से मिलने का विकल्प अब भी खुला है।