मोदी कैबिनेट का विस्तार जल्द होने की चर्चा है। वैसे तो विस्तार की बात नवंबर में बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही कही जा रही थी लेकिन खरमास के चलते इसमें थोड़ा विलंब हो गया। अब 14 जनवरी के बाद कभी भी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। कैबिनेट के विस्तार में बिहार से सुशील मोदी के अलावा चिराग पासवान को मंत्री बनाए जाने की प्रबल संभावना है।
चिराग को उनके पिता के निधन के बाद खाली हुई सीट पर मंत्री बनाना बीजेपी की मजबूरी है। लेकिन चिराग ने जिस आक्रामक अंदाज में बिहार के विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार का विरोध किया और इससे नीतीश को तगड़ा सियासी नुक़सान हुआ, ऐसे में नीतीश, चिराग को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने पर नाराज़गी जता सकते हैं। जेडीयू और बीजेपी के बीच पहले से ख़राब चल रहे रिश्ते इस वजह से और बिगड़ सकते हैं।
चुनावी राज्यों को तरजीह
मध्य प्रदेश में कांग्रेस से बग़ावत कर बीजेपी की सरकार बनवाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्वोत्तर में बीजेपी के बड़े नेता और असम सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। असम में कुछ महीनों में चुनाव होने हैं। चुनावी राज्य बंगाल से मुकुल रॉय और रूपा गांगुली को मंत्री बनाया जा सकता है।
बिहार के सियासी हालात पर देखिए चर्चा-
इस बार शामिल होगी जेडीयू?
जेडीयू ने पिछली बार उचित भागीदारी न मिलने की बात कहकर मोदी कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया था लेकिन इस बार जेडीयू इसके लिए राजी हो सकती है। बीजेपी के सामने केंद्र में एनडीए सरकार के नाम पर इसमें सहयोगी दलों की भागीदारी बढ़ाना मजबूरी है क्योंकि शिरोमणि अकाली दल कैबिनेट से बाहर जा चुकी है जबकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है।
बिहार में कैबिनेट विस्तार का पेच
बिहार में नीतीश कैबिनेट का विस्तार भी लटका हुआ है। इसे लेकर बीजेपी और जेडीयू के कई विधायकों में खलबली है, क्योंकि इस बार का सत्ता संतुलन पिछली बार से अलग है। बीजेपी के पास 74 विधायक हैं जबकि जेडीयू के पास 43, ऐसे में नीतीश कैबिनेट में बीजेपी नेताओं को ज़्यादा मंत्री पद मिलेंगे, यह लगभग तय है।
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में संवैधानिक नियमों के मुताबिक़ 36 मंत्री हो सकते हैं। ख़बरों के मुताबिक़, इनमें से 22 पर बीजेपी ने अपना हक़ जताया है। 16 नवंबर को हुए पहले शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के 7, जेडीयू के 5, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के 1-1 विधायक को मंत्री बनाया गया था।
कैबिनेट के विस्तार को लेकर बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव, बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल, दोनों उपमुख्यमंत्रियों तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बातचीत की है।
जेडीयू-बीजेपी के रिश्ते सहज नहीं
बिहार में इस बार हालात अलग हैं। जेडीयू-बीजेपी के रिश्ते सहज नहीं दिखाई देते क्योंकि यह चर्चा है कि बीजेपी ने नीतीश कुमार पर दबाव बनाया हुआ है। इसका संकेत इससे मिलता है कि बीजेपी ने सबसे पहले नीतीश के प्रबल समर्थक माने जाने वाले सुशील मोदी को दिल्ली भेज दिया, संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले दो लोगों को डिप्टी सीएम बना दिया और फिर जेडीयू के कोटे से मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफ़ा लेने को नीतीश को मजबूर कर दिया। बची-खुची कसर अरुणाचल के घटनाक्रम ने पूरी कर दी।
अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के छह विधायकों के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद दोनों दलों के रिश्ते ख़राब हुए हैं। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने नाराज़गी का खुलकर इजहार भी किया है। ऐसे में कैबिनेट विस्तार में दोनों दलों के बीच कितनी खींचतान होती है, यह देखना होगा।
बिहार आरजेडी के नेता उदय नारायण चौधरी के नीतीश को पीएम उम्मीदवार बनाने के लिए समर्थन देने के बयान के बाद बीजेपी चौकन्नी हो गई है। वह नहीं चाहती कि नीतीश किसी भी सूरत में महागठबंधन में वापस लौटें क्योंकि इससे उसे बिहार की सत्ता में मिल रही हिस्सेदारी ख़त्म हो जाएगी और एनडीए और कमजोर हो जाएगा। नीतीश भी बीजेपी के हर दांव पर नज़र रखे हुए हैं। ऐसे में जेडीयू और बीजेपी के बीच सियासी शह-मात का खेल चल रहा है। देखना होगा कि इसमें कौन किसे मात देता है।