बिहार में लालू का शंखनादः 'बीजेपी को भगाकर ही मानेंगे'

02:54 pm Feb 26, 2023 | सत्य ब्यूरो

शनिवार का दिन बिहार और देश की राजनीति के लिए गहमा-गहमी वाला रहा। एक तरफ अमित शाह रैली कर रहे थे, दूसरी तरफ बिहार की सरकार चला रहे महागठबंधन ने पूर्णिया में एक संयुक्त रैली कर अपनी एकता का प्रदर्शन किया।

महागठबंधन की इस रैली का मुख्य आकर्षण रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जो हाल ही में अपना इलाज कराकर लौटे हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये रैली को संबोधित किया। पूर्णिया में हुई इस रैली के साथ बिहार की राजनीति के साथ-साथ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों का भी शंखनाद हो गया।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए संबोधित कर रहे लालू प्रसाद ने केंद्र की सरकार पर जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा, ‘पूर्णिया के रंगभूमि मैदान से 2024 चुनाव का शंखनाद हो रहा है। देश में लोकतंत्र और संविधान रहे, यह हम सबको तय करना है। बिहार करवट लेता है तो पूरा देश करवट लेता है। मुझे खुशी है कि यहां इतनी बड़ी भीड़ आई। यहां जो पक्का गठबंधन बना है वही बीजेपी को परास्त करेगा। लालू प्रसाद ने कहा कि संविधान को बचाना है। अल्पसंख्यों की रक्षा करना है, वे हिन्दू जरूर है, लेकिन अल्पसंख्यकों का क्या अपराध है, कि उनकी अनदेखी की जाए।

लालू प्रसाद ने केंद्र सरकार की ओर से राशन बांटे जाने और बार-बार इसका प्रचार किये जाने पर भी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि इसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है, बीजेपी के लोग ऐसे बात कर रहे है जैसे कि वे हल चलाकर राशन बांट रहे हों। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ही स्पष्ट आदेश दिया था कि गरीबों को राशन बांटों। उस समय गोदाम में पड़ा राशन सड़ रहा है, तो उसे बांटने का निर्देश दिया।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए पहले ही इसके लिए प्रयास शुरु कर चुके हैं। जिसके लिए वे हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और सोनिया गांधी सहित तमाम नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं।

नीतिश कुमार आज की रैली से जुड़ी तैयारियों के संबंध में हुई एक बैठक के बाद वे पहले ही कांग्रेस से गठबंधन बनाने के तेजी से प्रयास करने के लिए कह चुके हैं। शनिवार को हुई रैली में एक बार फिर उन्होंने दोहराया कि वे बड़ी बेसब्री से कांग्रेस का इंतजार कर रहे है। कांग्रेस पार्टी जितना जल्दी फैसला लेगी, उतना ही ज्यादा लाभ मिलेगा। उन्होंने राहुल के भारत जोड़ो यात्रा पर बेलते हुए कहा कि चाहे जितना घूम लें, यदि अकेले रहेंगे, तो 100 सीटें भी नहीं मिलेगी। इसलिए जितना जल्दी हो, सभी एकजुट हो जाएं, जितना जल्दी तय कर लेगें , उतना ही ज्यादा फायदा होगा।

न्होंने राहुल के भारत जोड़ो यात्रा पर बेलते हुए कहा कि चाहे जितना घूम लें, यदि अकेले रहेंगे, तो 100 सीटें भी नहीं मिलेगी। इसलिए जितना जल्दी हो, सभी एकजुट हो जाएं, जितना जल्दी तय कर लेगें , उतना ही ज्यादा फायदा होगा।

2024 के आम चुनाव से पहले पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गये हैं। एक तरफ बीजेपी है जो अपने लिए नए साथियों की तलाश के साथ नई सीटों को तलाश रही है जिससे की उत्तर भारत में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई की जा सके। दूसरी विपक्षी दल हैं जो अकेले लड़ने की संभावनाओं के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाश रहे हैं। जिससे की बीजेपी को तीसरी बार सरकार बनाने से रोका जा सके।

बिहार के पूर्णिया में हुई रैली ऐसी ही कोशिशों का नतीजा है। ज्ञात हो कि बिहार की महागठबंधन सरकार में जेडीयू के सात राजद, हम और कांग्रेस शामिल हैं। इसलिए माना जा रहा है कि अगले चुनाव में जो भी गठबंधन होगा वो इन पार्टियों के साथ रहते ही होगा। पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात कर उन्हें भी गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया। झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम पहले से ही साथ हैं।

पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात कर उन्हें भी गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया। झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम पहले से ही साथ हैं।

हर दल अपने अपने हिसाब से विपक्षी एकता बनाने का प्रयास कर रहा है। इसमे तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। केसीआर के संभावित गठबंधन को ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और नवीन पटनायक का सपोर्ट माना जा रहा है। केजरीवाल केसीआर के अलावा भी दूसरी संभावनाओं को तलाश रहे हैं, इसी सिलसिले में उन्होंने शुक्रवार को उद्धव ठाकरे से मुलाकात की।

इस सबसे इतर कांग्रेस भी समान विचारधारा वाले लोगों के साथ गठबंधन की संभावनाओं को तलाश रही है। लेकिन उससे पहले वह कर्नाटक विधानसभा के चुनाव का इंतजार कर रही है। उसके किसी भी गठबंधन की कोई भी सूरत वहां से निकलेगी। इससे उसकी यह स्थिति भी साफ हो जाएगी कि किसी भी गठबंधन में उसकी क्या भूमिका होगी। क्योंकि विपक्ष में अभी भी कांग्रेस इकलौती ऐसी पार्टी है जिसे पूरे देश में स्वीकार्यता है। बाकी सभी दल अपने पड़ोस के एक दो राज्यों तक ही सीमित हैं।