भारतीय जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सीट-शेयर समझौते पर सहमत हो गए हैं। यह जानकारी एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने बुधवार शाम को दी। उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग का विवरण "उचित समय" पर जारी किया जाएगा। पासवान ने भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के साथ बातचीत में खुद की तस्वीरें साझा कीं।
बीजेपी-एलजेपी समझौते की पुष्टि इन अटकलों के बाद हुई है कि इंडिया गठबंधन ने पासवान की पार्टी के साथ बातचीत शुरू की है। सूत्रों ने बताया कि एलजेपी को आठ सीटों की पेशकश की गई है। इनमें 2019 के चुनाव में जीते गए छह और बोनस के रूप में पड़ोसी उत्तर प्रदेश के दो निर्वाचन क्षेत्रों के टिकट शामिल हैं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि इस समझौते के तहत चिराग पासवान को अपने चाचा के साथ सीटें साझा नहीं करनी होंगी। हालांकि भाजपा ने पहले शर्त रखी थी कि चिराग अपने कोटे में से अपने चाचा को भी एक-दो सीट देंगे। लेकिन चिराग का आग्रह था कि चाचा इस समझौते में कहीं एडजस्ट नहीं किए जाएंगे। भाजपा को झुकना पड़ा। हालांकि जब तक सीटों की स्पष्ट घोषणा न हो जाए, कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
भाजपा के सामने चुनौतियां
भाजपा को सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) के साथ सीटें साझा करने के अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) सहित कम से कम दो अन्य छोटे संगठनों को एडजस्ट करना होगा, जिसने 17 (राज्य की 40 में से) सीटों पर चुनाव लड़ा था। चिराग और तेजस्वी के मुलाकात की जब खबरें आईं थीं तो चिराग ने कहा था- वह विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया था कि ''हर पार्टी, हर गठबंधन चाहता है कि चिराग पासवान उसके साथ हों।''
चिराग पासवान ने अपने 'बिहार फर्स्ट' अभियान को हाल ही में लॉन्च किया था और खुद को 'शेर का बेटा' और अपने पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में भी पेश किया। राम विलास पासवान का सभी दलों में काफी सम्मान था।