बिहार में गठबंधन सरकार चला रहे बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते एक बार फिर ख़राब हो गए हैं। बीजेपी ने एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) टुन्ना पांडेय की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ की गई बयानबाज़ी के बाद हालांकि उन्हें निलंबित कर दिया है लेकिन इसने जेडीयू के जख़्मों को फिर से कुरेद ज़रूर दिया है।
क्या कहा था पांडेय ने?
टुन्ना पांडेय ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में नीतीश कुमार को परिस्थितियों का मुख्यमंत्री कहा था और कहा था कि जेडीयू के तीसरे नंबर पर आने के बाद भी नीतीश मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने जोर देकर कहा था कि नीतीश कुमार उनके नेता नहीं हैं, वे घोटालेबाज़ हैं और उन्हें जेल भेज दिया जाना चाहिए।
पांडेय ने कहा था कि दिवंगत सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को सच बोलने की सजा मिली थी। पांडेय ने गुरूवार को मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा साहेब से मुलाक़ात की थी और कहा कि एक षड्यंत्र रचकर शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।
टुन्ना पांडेय के बयानों के वायरल होने के बाद जेडीयू की ओर से भी प्रतिक्रिया आई और पार्टी ने साफ कहा कि बीजेपी की शह पर ही यह सब हो रहा है। पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार पर उठने वाली उंगली को काट लिया जाएगा और ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।
जेडीयू की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आने पर बीजेपी ने टुन्ना पांडेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उसके बाद पार्टी से निलंबित करने का फरमान सुना दिया। यह फरमान प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल की ओर से आया।
टुन्ना पांडेय का एमएलसी के रूप में कार्यकाल 16 जुलाई को समाप्त हो रहा है और उनके भाई बच्चा पांडेय आरजेडी के विधायक हैं। माना जा रहा है कि टुन्ना पांडेय जल्द ही आरजेडी में जा सकते हैं।
रिश्तों में खटपट जारी
बीजेपी और जेडीयू सरकार तो मिलकर चला रहे हैं लेकिन यह सरकार कितने दिन चलेगी नहीं कहा जा सकता क्योंकि बीते छह महीनों में कई बार इस तरह की खटपट सामने आ चुकी है। कुछ महीने पहले जब अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे तो जेडीयू ने इसे गठबंधन धर्म के ख़िलाफ़ बताया था।
दबाव बनाने की कोशिश
बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी नीतीश को दबाव में रखना चाहती है। बीजेपी ने सबसे पहले नीतीश के सबसे प्रबल समर्थक माने जाने वाले सुशील मोदी को दिल्ली भेज दिया, संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले दो लोगों को डिप्टी सीएम बना दिया और फिर जेडीयू के कोटे से मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफ़ा लेने को नीतीश को मजबूर कर दिया।
इसके अलावा लव जिहाद के लिए क़ानून बनाने को लेकर भी बीजेपी के नेताओं ने नीतीश कुमार पर दबाव बनाया था और बीजेपी और जेडीयू के बीच विचारधारा को जो जबरदस्त टकराव है, वह कई बार देखने को मिल चुका है।
बिहार विधानसभा में बीजेपी की सीटें ज़्यादा हैं, इसलिए वह सरकार में अपना ज़्यादा अधिकार समझती है जबकि जेडीयू का कहना है कि एनडीए को वोट नीतीश के चेहरे पर मिला है और उसके ख़राब प्रदर्शन के लिए चिराग पासवान जिम्मेदार हैं।
चिराग पासवान मंत्री बनेंगे!
इससे पहले मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान भी नीतीश बेबस दिखाई दिए थे। अब यह कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में बीजेपी चिराग पासवान को उनके पिता की जगह मंत्री पद देगी। लेकिन नीतीश को यह नागवार गुजरेगा कि उनके चुनावी नुक़सान के लिए जिम्मेदार शख़्स को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाए। इसलिए मुसीबत बीजेपी के लिए भी कम नहीं है।
मुश्किल में हैं नीतीश
अब देखना यह होगा कि बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन में कौन कितना दबाव बर्दाश्त कर पाता है। जेडीयू जानती है कि पिछले छह सालों में ऑपरेशन लोटस के कारण विपक्षी दलों की कई सरकारें गिरी हैं और बीजेपी की नज़र बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए संघ से आने वाले दो डिप्टी सीएम के साथ सेक्युलर एजेंडे पर सरकार चलाना बेहद कठिन काम है।