जातीय जनगणना को लेकर विपक्षी दलों की ओर से मोदी सरकार पर दबाव बनाने के बीच बीजेपी के अंदर से भी इसे लेकर आवाज़ उठ रही है। बिहार की नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री रामसूरत राय ने कहा है कि जातीय जनगणना कराई जानी चाहिए। दो दिन पहले ही बीजेपी की सांसद संघमित्र मौर्य ने लोकसभा में जातीय जनगणना कराने का समर्थन किया था।
राय ने कहा कि आने वाले समय में जातीय जनगणना भी होगी और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून भी बनेगा लेकिन ऐसा वक़्त आने पर ही होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष नेतृत्व ही इस बारे में फ़ैसला लेगा।
जबकि संघमित्र मौर्य ने कहा था कि यहां तक कि राज्यों और जिलों तक में जानवरों की गिनती हुई लेकिन पिछड़े समाज के लोगों की ग़िनती नहीं की गई। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्र मौर्य ने कहा कि मोदी सरकार ही ओबीसी को उनका हक़ दिला रही है।
लेकिन रामसूरत राय और संघमित्र मौर्य के ये बयान केंद्र सरकार के उस बयान के विपरीत हैं, जिसमें सरकार ने जातीय जनगणना कराने से इनकार किया है। सरकार ने कहा था कि दलितों-आदिवासियों के अलावा किसी और जाति की जनगणना नहीं कराई जाएगी।
लालू की हुंकार
दूसरी ओर, सामाजिक न्याय की राजनीति से निकलकर पिछड़ों के मसीहा का तमगा पाने वाले लालू प्रसाद यादव जातीय जनगणना को लेकर हुंकार भर चुके हैं। लालू ट्वीट कर कह चुके हैं कि अगर 2021 की जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े-अति पिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी जनगणना का बहिष्कार कर सकते है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू ने ट्वीट कर कहा था कि जनगणना के जिन आंकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता हो तो फिर जानवरों की गणना वाले आंकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे?
जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी साथ आ चुके हैं। नीतीश यह तक कह चुके हैं कि वे इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते थे लेकिन उन्हें अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।
बीएसपी की प्रमुख मायावती भी कह चुकी हैं कि अगर केंद्र की सरकार ओबीसी समुदाय की अलग से जनगणना कराने की दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाती है तो फिर बीएसपी इसका संसद के अंदर व बाहर भी ज़रूर समर्थन करेगी।
आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाए
जातीय जनगणना के साथ ही 27 फ़ीसदी आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने की मांग उठ चुकी है। एसपी के मुखिया अखिलेश यादव भी इस बात को लोकसभा में उठा चुके हैं। अखिलेश ने ओबीसी की जातियों के जो आंकड़े हैं, उन्हें जारी करने की भी मांग रखी थी।
फंसती दिख रही सरकार
इधर, केंद्र सरकार ओबीसी समुदाय पर विशेष फोकस कर रही है। लोकसभा और राज्यसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) संशोधन विधेयक पास हो चुका है। हाल ही में मेडिकल पाठ्यक्रमों में ओबीसी समुदाय को 27 फ़ीसदी आरक्षण देने का एलान भी सरकार ने किया था। केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में इस समुदाय के नेताओं को अच्छी-खासी जगह दी गई है।
इससे साफ है कि पार्टी को इस बात का अंदाजा है कि देश में 55 फ़ीसदी आबादी वाले इस समुदाय को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
लेकिन इस सबके बाद भी जातीय जनगणना के मुद्दे पर सरकार फंसती दिख रही है। अब तो विपक्ष के साथ ही उसके अपने घर से भी जातीय जनगणना का समर्थन किया जा रहा है।