तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले आरजेडी के लिए 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए अच्छी खबर यह है कि जहाँ उसका वोट शेयर 6% से अधिक बढ़ा है, वहीं भाजपा और जदयू का वोट शेयर 5% या उससे अधिक गिरा है।
एनडीए बिहार में उत्तर प्रदेश की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है और राज्य की 40 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की है, लेकिन इसके वोट शेयर में काफी गिरावट आई है तथा इसके उम्मीदवारों की जीत का अंतर भी काफी कम हो गया है। इसके अलावा बिहार में जेडीयू ने भाजपा की तुलना में बेहतर स्ट्राइक रेट से जीत दर्ज की है। जेडीयू अपने 16 सीटों में से केवल चार सीटें हारा, जबकि भाजपा ने 17 में से 5 सीटें खोई हैं। जेडीयू केंद्र में किंगमेकर की भूमिका में उभरा, जबकि इसका वोट शेयर भाजपा की तुलना में अधिक घट गया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 24.05 % था, वह इस बार घटकर 22.52 % हो गया है। जबकि जेडीयू का वोट शेयर 2019 में 22.26% था, इस बार गिरकर 18.52% हो गया। जदयू के वोट शेयर में सबसे ज्यादा लगभग 3.50% से अधिक गिरावट आई है, बावजूद इसके जदयू केंद्र सरकार में प्रमुख हिस्सेदार बनते नजर आ रहा है।
पिछले चुनाव की तरह सत प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ बिहार एनडीए के घटक सहयोगी लोजपा (रामविलास) ने अपने सभी पांचों सीटों पर सफलता पाई, लेकिन जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा का वोट शेयर 8.01% था। 2024 के आम चुनाव में 1.54% गिरावट के साथ लोजपा (रामविलास) का वोट शेयर 6.47 % रह गया है।
राष्ट्रीय जनता दल इस बार 23 सीटों पर चुनाव लड़ रहा था, लेकिन सफलता महज 4 सीटों पर ही मिल पाया। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद का खाता तक नहीं खुल पाया था। पिछले चुनाव में आरजेडी का वोट शेयर 15.68% था। इस बार राजद के वोट शेयर में 6 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया है। वोट शेयर के आधार पर आरजेडी 22.14% वोट पाकर सबसे बड़ी पार्टी बन गया है। हालांकि आशा के अनुरूप इसे सीटों में रूपांतरित कर पाने में राजद नेता तेजस्वी यादव सफल नहीं रहे।
जेडीयू का वोट परसेंट जहाँ 2019 के लोकसभा चुनाव में 22.26 % था, जो इस बार लुढ़क कर 18.52 % रह गया है।
बीजेपी का भी वोट शेयर गिरा है, पिछले चुनाव में बीजेपी का वोट परसेंट 24.05 था और 17 में 17 सीटें जीती थीं। लेकिन इस बार बीजेपी का वोट शेयर बिहार में लुढ़ककर 22.52% पर आ गया है, और वह 17 में से 12 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है।
ओवरऑल देखें तो एनडीए का वोट शेयर लगभग 6% गिरा है, जबकि इंडिया गठबंधन का वोट शेयर 11% के करीब बढ़ा है। सीटों के हिसाब से एनडीए ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि इंडिया गठबंधन के खाते 9 सीटें आईं। एक निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव पूर्णिया से जीते, जो कांग्रेस से जुड़े हैं। आरजेडी की अगुवाई वाले गठबंधन के वोट शेयर में आए अप्रत्याशित उछाल अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत हो सकता है, यदि इसका बेहतर तरीकों से संयोजन किया जाए।
यह सही है कि चुनाव के ठीक कुछ वक्त पहले नीतीश कुमार के पलटी मार देने से भरभराया इंडिया गठबंधन इस चुनाव का बेहतर समायोजन नहीं कर सका और सारा दारोमदार इकलौता प्रचारक तेजस्वी यादव पर आ पड़ा, जिन्होंने अपने समय और संसाधन का एक बड़ा हिस्सा पप्पू यादव को हराने में कई दिनों तक खर्च किया।
पिछले चुनाव में राजद/कांग्रेस बिहार की 40 सीटों में से महज एक सीट जीत सका था, जबकि एनडीए बाकी सारी 39 सीटें जीत ली थी। इस बार एनडीए ने एक की जगह 10 सीटें गवाईं और लगभग एक दर्जन सीटों पर वह खतरों के निशान तक आ पहुंची है।