बिहारः बयानों के सहारे RJD की राजनीति, चंद्रशेखर ऐसा क्यों बोले
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का बुधवार को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में राम चरित मानस पर दिया गया बयान सिर्फ बयान भर नहीं है। इसके पीछे पूरी रणनीति है, क्योंकि इससे पहले आरजेडी बिहार प्रमुख जगदानंद सिंह ने राम मंदिर को नफरत की जमीन पर बनने वाला मंदिर का बयान दिया था। इन दोनों बयानों को आपस में जोड़कर देखने की जरूरत है। बिहार बीजेपी को समझ नहीं आ रहा कि कैसे इन बयानों का मुकाबला किया जाए, राज्य में जाति जनगणना ने वैसे ही बीजेपी को परेशान कर रखा है।
आम चुनाव 2024 को लेकर सारे राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ चुके हैं। हर कोई अपने ढंग से तैयारी कर रहा है। बीजेपी की तैयारी तो विपक्षी दलों की तैयारी से पहले ही शुरू हो चुकी है। कांग्रेस के राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार और कांग्रेस ने राज्य में अलग-अलग यात्राएं निकाली हुई हैं। चंद्रशेखर का बयान आरजेडी-जेडीयू की उस राजनीति का हिस्सा है, जिस तरह की राजनीति दोनों दल बीजेपी के खिलाफ खड़ी करना चाहते हैं।
क्या कहा चंद्रशेखर ने
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार को हिंदू धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस को 'समाज में नफरत फैलाने' वाली किताब कहा। चंद्रशेखर मंत्री होने के अलावा आरेजीडी के नेता भी हैं। चंद्रशेखर ने यह टिप्पणी नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में की। उस समय कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान भी मौजूद थे।
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विवादित बयान देते हुए रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है, वो यहीं नहीं रुके और मनुस्मृति को जलाने तक की वकालत कर दी है। उन्होंने ये बातें नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहीं।#Bihar pic.twitter.com/kU0A6ulrMS
— Bihar Tak (@BiharTakChannel) January 11, 2023
मंत्री ने कहा- रामचरितमानस का विरोध इसलिए हो रहा है, क्योंकि इसमें कहा गया है कि शिक्षित होने पर समाज का निचला तबका जहरीला हो जाता है। रामचरितमानस, मनुस्मृति और एमएस गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबें सामाजिक विभाजन पैदा करती हैं। कोई भी देश मोहब्बत और स्नेह से ही महान बनता है। रामचरितमानस, मनुस्मृति और बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने नफरत और सामाजिक विभाजन के बीज बोए। यही कारण है कि लोगों ने मनुस्मृति को जलाया और रामचरितमानस के एक हिस्से पर आपत्ति जताई, जो दलितों, पिछड़ों और महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ बात करता है।
यह बिहार के 'शिक्षा मंत्री' चंद्रशेखर हैं?
— Sudhir Mishra 🇮🇳 (@Sudhir_mish) January 11, 2023
इनका कहना है कि “श्री रामचरित मानस” ग्रंथ दुनिया में 'नफ़रत' फैलाने का काम करती है।
इस शर्मनाक बयान पर मंत्री जी कितना खुश हैं!https://t.co/wEWS19NJrb pic.twitter.com/9Hc2NlAvaw
बीजेपी की प्रतिक्रियाआरजेडी नेता और मंत्री चंद्रशेखर के इस बयान पर बीजेपी बुरी तरह हमलावर हुई। बीजेपी अभी पिछले हफ्ते आरजेडी चीफ जगदानंद सिंह के राम मंदिर वाले बयान पर बयान दे रही थी। अब इसी बीच चंद्रशेखर ने रामचरित मानस पर सवाल खड़ा कर दिया। बीजेपी ने शिक्षा मंत्री को फौरन बर्खास्त करने की मांग की है।
बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार बीजेपी प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा: यह बड़ी हैरानी की बात है कि शिक्षा मंत्री ने एक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, धार्मिक घृणा पर आधारित अपनी मूर्खतापूर्ण राय का इजहार किया। मूल रूप से आरजेडी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और यह इस तरह की टिप्पणियों से साफ दिखाई दे रहा है।
राम मंदिर पर क्या कहा थाः पिछले हफ्ते बिहार आरजेडी प्रमुख जगदानंद सिंह ने कहा, राम मंदिर नफरत की जमीन पर बन रहा है। राम को एक शानदार महल में कैद नहीं किया जा सकता है ... हम 'हे राम' में विश्वास करने वाले लोग हैं, न कि जय श्री राम' में। उनकी टिप्पणी की भी बीजेपी ने तीखी आलोचना की।
क्या है आरजेडी की रणनीति
बिहार में आरजेडी और जेडीयू बहुत सधे हुए तरीके से रणनीतिक राजनीति कर रहे हैं। यह राजनीति है पिछड़ों और मुसलमानों की। आरजेडी में लालू यादव का मुस्लिम-यादव (माई) फॉर्म्युला मशहूर रहा है। लेकिन बिहार में आरजेडी से मुसलमानों के मोहभंग होने की शुरुआत हो चुकी है। पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल में ओवैसी की पार्टी ने मात्र पांच सीटें जीतकर आरजेडी की सरकार बनने की संभावना को खत्म कर दिया था। यह अलग बात है कि कुछ दिनों बाद उनमें से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए। इससे ओवैसी को झटका तो अलग लगा लेकिन जो लकीर ओवौसी ने सीमांचल में खींची थी, उसे आरजेडी बखूबी समझ गई है।
आरजेडी को समझ में आ गया है कि राज्य में 17 फीसदी मुस्लिम आबादी को साथ लेकर ही यादव-मुस्लिम समीकरण के सहारे नदी पार की जा सकती है। राज्य में 47 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिसमें मुस्लिम वोटर निर्णायक हैं। जहां आबादी का घनत्व 40 फीसदी तक है। करीब 29 सीटों पर 30 फीसदी तक मतदाता मुस्लिम हैं। आरजेडी ने इस बात पर विचार किया कि 2015 विधानसभा चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक उसकी पार्टी से जीतकर आए, जबकि 2022 में 12 विधायक जीत कर आए थे। 15 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि आरजेडी के इतने कम मुस्लिम विधायक जीतकर आए।
एक आम धारणा है कि मुसलमान बीजेपी को पसंद नहीं करते। आरजेडी के नेता इसीलिए आम चुनाव 2024 से पहले मुसलमानों को खुश करने के लिए बीजेपी के मर्म यानी हिन्दुत्व पर हमले कर रहे हैं। रामचरित मानस, अयोध्या में राम मंदिर, मनुस्मृति पर इसीलिए तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम जो विशुद्ध रूप से मुसलमानों की राजनीति करती है, बिहार में चार विधायकों के छोड़कर जाने के बाद बैठ गई है। आरजेडी अब अपने मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए हर रणनीति पर काम कर रही है।
बीजेपी आरजेडी की इस रणनीति पर बहुत ज्यादा परेशान है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला के बयान से बीजेपी की चिन्ता को समझा जा सकता है। शहजाद ने कहा- यह संयोग नहीं बल्कि वोटबैंक का उद्योग है। आरजेडी से बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और जगदानंद सिंह के बयान संयोग नहीं, बल्कि वोट बैंक का उद्योग है। क्या कार्रवाई होगी? आरजेडी पीएफआई, सिमी का समर्थन करती है लेकिन वोट के लिए हिन्दू आस्था पर चोट करती है।