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क्या बिहार में कमज़ोर हो रहे हैं नीतीश ? 

क्या बिहार में कमज़ोर हो रहे हैं नीतीश ? 

बिहार की चुनावी राजनीति को लेकर तमाम टीवी चैनल जो आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं, वो कितना सच है। क्या बिहार में नीतीश कुमार वाकई कमजोर हो रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का सटीक विश्लेषण पढ़िएः

क्या बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक हैसियत कम हो रही है? एक तरफ़ तो उन्हें नव गठित गठबंधन ‘इंडिया’ का प्रमुख और विपक्ष की तरफ़ से प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार बताया जा रहा है, दूसरी तरफ़ हाल में आए एक टीवी चैनल के ओपिनियन पोल में यह दिखाने की कोशिश की गयी है कि नीतीश और नया गठबंधन बिहार में 2019 के लोक सभा चुनावों की बराबरी भी नहीं कर पाएगा। 2019 के लोक सभा चुनावों के समय बीजेपी,जेडीयू और एलजेपी के बीच गठबंधन था। अब जेडीयू ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का अब आरजेडी, कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों से गठबंधन है। ये सभी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल हैं। इस गठबंधन को काफ़ी शक्तिशाली माना जा रहा है। लेकिन टी वी चैनल का ओपिनियन पोल अभी भी बीजेपी गठबंधन की तरफ़ झुका हुआ दिखाई दे रहा है। इसके मुताबिक़ बीजेपी - एनडीए को 40 में से 24 और ‘इंडिया’ को 16 सीटें मिल सकती हैं। 2019 के चुनावों में बीजेपी को 17, जेडीयू को 16, एलजेपी को  6 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी। ‘इंडिया’ गठबंधन को सिर्फ़ 16 सीटें मिलने का तर्क समझ से बाहर है। बीजेपी की सीटें बढ़कर 20 होने की उम्मीद जतायी गयी है। इसका गणित भी समझना मुश्किल है।

विधानसभा चुनाव के आंकड़े एनडीए पर भारी

.एलजेपी के प्रतिष्ठित नेता राम बिलास पासवान की मृत्यु हो चुकी है। उनकी पार्टी अब दो भागों में बँट गयी है। दोनों हिस्से एनडीए के 38 पार्टियों की बैठक में शामिल थे, लेकिन अभी उनमें एकता का कोई संकेत नहीं मिला है। एक गुट के नेता और राम बिलास के भाई पशुपति पारस अभी केंद्र में मंत्री हैं। राम बिलास के बेटे और दूसरे गुट के नेता चिराग़ पासवान को हाल ही में एनडीए में शामिल किया गया है। 

राम बिलास पासवान की ग़ैर मौजूदगी और पार्टी के दो फाड़ होने के बाद भी उसे दो सीट मिलने की भविष्य वाणी की गयी है। एनडीए ने अपने दो पुराने साझीदारों जीतन राम माँझी और उपेन्द्र प्रसाद को दोबारा अपने खेमे में लौटा लिया है। लेकिन इन तीनों पार्टियों की हैसियत जेडीयू के बराबर नहीं है।

‘इंडिया’ का मुख्य साझीदार आरजेडी 2019 के लोक सभा चुनावों में अपना खाता भी नहीं खोल पाया था । लेकिन 2020 के विधान सभा चुनावों में वो सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरा। इस समय विधान सभा की कुल 243 सीटों में से ‘इंडिया’ के पास 160 सीटें हैं। जिसमें आरजेडी की संख्या 79 है। दूसरी तरफ़ एनडीए के पास सिर्फ़ 82 सीटें हैं। इनमें बीजेपी की संख्या सिर्फ़ 78 है। विधान सभा चुनाव के पिछले आँकड़े बताते हैं कि ‘इंडिया’ मजबूत स्थिति में हैं। 

2024 के चुनाव के मुद्दे तय नहींः नीतीश कुमार अब ‘इंडिया’ के शीर्ष नेता हैं। उन्हें अगले प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। ‘इंडिया’ की पहली बैठक पटना में ही हुई। अभी तक उन्हें गठबंधन का नेता घोषित नहीं किया गया है। लेकिन अगली बैठक में नेता या संयोजक चुने जाने की उम्मीद है।

लोकसभा के अगले चुनाव का माहौल बनने, मुद्दे तय होने और राजनीतिक दलों की अंतिम रणनीति सामने आने में अभी देर है। लेकिन बिहार में बदलता राजनीतिक माहौल अभी से दिखाई देने लगा है। जातीय जनगणना यहाँ एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है, जिसका ‘इंडिया’ में शामिल ज़्यादातर पार्टियाँ समर्थन करती हैं। लेकिन अभी तक बीजेपी ने इसे स्वीकार नहीं किया है। 

इन सब के वावजूद चैनल के सर्वे में बीजेपी को लोक सभा में बढ़त मिलने के गणित का कोई ठोस आधार नहीं है। बिहार में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों का आधार भी ख़त्म नहीं हुआ है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 19 और सीपीआई एमएल को 12 सीटें मिली थीं। जेडीयू के 45 विधायक हैं। इन्हें भी नकारा नहीं जा सकता है। 

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