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ए सुसासन बाबू, इज्जत कइले तारे-तार बा...बिहार में का बा

ए सुसासन बाबू, इज्जत कइले तारे-तार बा...बिहार में का बा

तेईस साल की नेहा सिंह राठौर ने “बिहार में का बा...” गाना क्या गाया बीजेपी की आईटी सेल को हरकत में आना पड़ा और जवाब में उसने एक वीडियो इस शीर्षक के साथ जारी कर दिया…“बिहार में इ बा।”

तेईस साल की नेहा सिंह राठौर ने “बिहार में का बा...” गाना क्या गाया बीजेपी की आईटी सेल को हरकत में आना पड़ा और जवाब में उसने एक वीडियो इस शीर्षक के साथ जारी कर दिया…“बिहार में इ बा।” 

दिलचस्प बात यह है कि इस जवाबी गाने में नेहा के किसी सवाल का जवाब शायद ही हो। इस गाने में एनडीए सरकार की बात की गयी है जिसमें प्रधानमंत्री तो दिखते हैं लेकिन नीतीश कुमार नजर नहीं आते। शायद इसकी वजह यह हो कि यह बीजेपी की आईटी सेल ने बनाया है।

इस गीत और जवाबी गीत की लड़ाई में अब कांग्रेस भी कूद पड़ी है। हालांकि उसके पास कोई गीत नहीं है लेकिन ट्विटर पर उसने ठेठ बिहारी अंदाज में कई सवाल पूछे हैं। शीर्षक है- “का किये हो।”

बहरहाल, बिहार के कैमूर जिले के जन्दाहा की मूल निवासी नेहा का यह भोजपुरी गीत शुरू कुछ यूं शुरू होता है-

“कोरोना से बेमार बा

बाढ़ से बदहाल बा

भरी जवानी मंगरुआ चलत ढेंगुरिया चाल बा, 

अरे का बा

बिहार में का बा।”

इससे बिहार का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। 

नेहा का यह गीत वास्तव में मनोज वाजपेयी के गाये गीत- “बम्बई में का बा” की पैरोडी है और इसे अब तक लाखों लोग देख चुके हैं।

नेहा इस गीत में आम लोगों का दुख-दर्द बयान करती हैं। मजदूरों और छात्रों का हाल सुनाती हैं और तीस साल के ‘चच्चा और पप्पा’ के शासन पर सवाल उठाती हैं।

कानपुर यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई करने वाली नेहा ने महज दो साल पहले गाना शुरू किया है। वे इस गीत में पूछती हैं- 

“ए सुसासन बाबू

इज्जत तारे-तार बा

हमरा लागेला नेहरुआ बीमार बा

सुतल सरकार बा, सुधार के दरकार बा।”

ऐसा नहीं है कि नेहा सिर्फ मौजूदा सरकार से सवाल करती हैं लेकिन उनके ज्यादा तीखे सवाल ऐसे हैं जो वर्तमान सरकार से ही पूछे गये हैं।

आर्किटेक्ट पिता रमेश सिंह की बेटी नेहा के इस गीत के बोल हैं- 

“पंद्रह साल चच्चा रहलें, पंद्रह साल पप्पा

तबो न मिटल बेरोजगारी के ठप्पा।”

नेहा ने बिहार के छात्रों के दर्द को कुछ इस तरह बयान किया है- 

“बबुनी मोरे स्कूल जाली मास्टर साहब गायब

आ लिख लोढ़ा पढ़ पत्थर पपुआ बने बिहार टॉपर

तीन साल की डिग्री भइया पांच साल में मिले

आ कुरसी वाले साहब घोड़ा बेच के सुतेले।” 

बिहार विधानसभा चुनाव पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और चुनाव विश्लेषक संजय कुमार की बातचीत। 

नेहा के एक गीत के बोल हैं- “रोजगार देबा कि करबा डरामा।” उन्होंने एक गीत में बिहारी बेरोजगारों की व्यथा इस तरह भी बतायी है-

“बिहार के बेरोजगार बोला तानी

बीएड-एमएड डिग्री लेके घास गढ़ा तानी

हालो-हालो दिल्ली सरकार 

बिहार के बेरोजगार बोला तानी।”

अपने बड़े भाई विजय सिंह और करीबी मित्र हिमांशु सिंह सूर्यवंशी की मदद से अपने गीत गाने वाली नेहा ने बाढ़ से परेशानी के बारे में लिखा है- 

“अरे दुद्दू दुद्दू गो मोर 

भैंस भइया मिले नाही चारा

दह गइले-बह गइले बाढ़ के धारा, 

बोला का बा

बिहार में का बा।”

इसी तरह कानून व्यवस्था पर नेहा की पंक्ति है- 

“अरे रंगदारी बा-रंगबाजी बा

गारी बा-मार बा-गर्दा बा...इहे बा।”

ट्रोल से नहीं डरतीं नेहा

नेहा फोक सिंगर नाम से अपना ट्विटर हैंडल चलाने वाली नेहा के चालीस हजार से अधिक फाॅलोअर हैं। वे कहती हैं कि उन्हें भी ट्रोल का सामना करना पड़ता है लेकिन वे इससे डरती नहीं हैं। उनका कहना है कि लोकतंत्र में जब बोलने की आजादी है तो किस बात का डर। उनका ‘धरोहर’ नाम से अपना यूट्यूब चैनल भी है।

बीजेपी का जवाबी गीत

बीजेपी आईटी सेल का जवाबी गीत आक्रामक नजर आता है और बिहार में बदलाव का दावा करता है। इसमें केन्द्र सरकार की योजनाओं का जिक्र है- 

“आईआईटी-आईआईएम बा देखा

डबल एम्स बनी अब एम्स हो।”

इसमें इस बात का इशारा है कि एक एम्स पटना में बना है और दूसरे की घोषणा दरभंगा के लिए की गयी है।

इस गीत के शुरू में कहा गया है-

“रुक-रुक बतावा तानी का बा

अब बढ़िया सब अवसर बाटे

हर ओर सुधार बा।”

इस वीडियो में लौका त, बुझले बबुआ, बुझाइल और समझला जैसे शब्दों से आक्रामक रुख अपनाने की कोशिश की गयी है। वीडियो में इस बात पर जोर है कि पहले का राज कैसा था-

“आज पुरनका उ हाल नइखे

बदलल इ परिपाटी में”

इसी तरह-

“बदल चुकल बा दिन पुरनका

बदल गइल समाज हो के” बोल भी हैं।

इस वीडियो में नीतीश कुमार की साइकिल योजना और सात निश्चय योजना के जिक्र के बिना कहा गया है-

“देखा शिक्षा-स्वास्थ्य हर द्वार हो

एनडीए के राज में बदलल आपन बिहार हो”

इसी तरह- “अबे भेंटाला पानी” की बात भी कही गयी है। इस वीडियो में दो बार इहे बनायब बम्बई-दिल्ली की बात भी जोड़ी गयी है।

बीजेपी के इस गीत के जवाब में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने अपने ट्वीट में लिखा है- 

“अच्छा बीजेपी और जेडीयू के लोग इ बताऽव 

गोलघर, गांधी सेतु पुल, गया एयरपोर्ट और बाक़ी चीज़ के बताऽव तनी जाऽ उ सब एनडीए राज के पंद्रह बरस के पहिले से बा।

बिहार में 15 साल में रवुआ लोग का कइऽनी जा ई बताऽईं।”

कांग्रेस का ‘का किये हो’

इधर, कांग्रेस बिहार की आम बोलचाल की भाषा में ट्विटर पर ‘का किये हो’ ट्रेंड करा रही है। किसानों के मामले में सरकार को लक्ष्य कर कांग्रेस की ओर से ट्वीट किया गया है- 

“किसान की फसल की कीमत नहीं दे पा रहे हो, किसान पर तुम जुल्म ढहा रहे हो।

किसान की आमदनी जीरो कर दिये हो

बिहार का किसान पूछ रहा है- हमरी आमदनी बढ़ाने के लिये तुम का किये हो”

बेरोजगारी के मुद्दे पर कांग्रेस का सवाल है-

“बिहार में रोजगार को ताला लगा दिये हो, बेरोजगारी बढ़ा दिये हो। 

बिहार के युवा को पलायन करने 

को मजबूर कर दिये हो।

बिहार का युवा पूछ रहा है- बताओ नीतीश बाबू, तुम हमरे लिये का किये हो”

कांग्रेस ने नीतीश सरकार से कानून-व्यवस्था पर भी सवाल पूछा है-

“कानून व्यवस्था का करके बंटाधार, 

अपराध बढ़ा दिये हो।

हर तरफ गुंडागर्दी बढ़ा दिये हो।

पूछ रहा है बिहार, का किये हो”

कोरोना के कारण बिहार में चुनावी जनसभाओं में संख्या की पाबंदी है और बीजेपी व जेडीयू का वर्चुअल सभाओं पर अधिक जोर है। इन सबके बीच गीत और ट्विटर ट्रेंड की अलग जंग बिहार के चुनाव में कुछ रस-रंग भर रही है।

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