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बिहार: 'नल जल' में 53 करोड़ का ठेका उप मुख्यमंत्री के परिवार-सहयोगियों को!

बिहार: 'नल जल' में 53 करोड़ का ठेका उप मुख्यमंत्री के परिवार-सहयोगियों को!

बिहार में 'हर घर नल का जल' योजना के ठेके देने की प्रक्रिया पर विवाद हो सकता है। एक पड़ताल में पता चला है कि ठेके पाने और इसका लाभ पानों वालों में उप मुख्यमंत्री के से जुड़े लोग भी हैं। जानिए क्या है पूरा मामला। 

बिहार में 'हर घर नल का जल' योजना के ठेके देने की प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं। एक पड़ताल में पता चला है कि ठेके पाने और इसका लाभ पानों वालों में राजनेताओं के परिवार वाले और क़रीबी लोग भी शामिल हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने इसकी पड़ताल कर लिखा है कि इसमें बिहार बीजेपी विधायक दल के नेता और उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के परिवार वाले और उनके सहयोगी भी हैं। उनको इस योजना के तहत 53 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला। हालाँकि प्रसाद ने इन ठेकों के मिलने में किसी राजनीतिक संरक्षण के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि वह उस समय कटिहार के विधायक थे और नवंबर 2020 में उप मुख्यमंत्री बने।

अख़बार ने 'हर घर नल का जल' के लिए 20 ज़िलों में परियोजनाओं के दस्तावेजों की पड़ताल की है। इसने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज और बिहार के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग यानी पीएचईडी के रिकॉर्ड के साथ मिलान कर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कटिहार ज़िला भी शामिल है। यहाँ से उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद चार बार विधायक रहे हैं।

रिकॉर्ड बताते हैं कि 2019-20 में पीएचईडी ने कटिहार ज़िले के कम से कम नौ पंचायतों के कई वार्डों में पेयजल योजना के तहत 36 परियोजनाएँ आवंटित कीं। ये परियोजनाएँ तारकिशोर प्रसाद की बहू पूजा कुमारी, उनके साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी दो कंपनियों और क़रीबी सहयोगी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार की कंपनी को दी गईं।

रिपोर्ट के अनुसार, पूजा कुमारी को पीएचईडी ने कटिहार के भवड़ा पंचायत में 4 वार्डों में 1.6 करोड़ रुपये का प्रोटेक्ट दिया। पूजा पीएचईडी के साथ एक व्यक्तिगत ठेकेदार के रूप में पंजीकृत हैं। जून 2016 से जून 2021 तक कटिहार में पीएचईडी के कार्यकारी अभियंता और इन ठेकों के अनुमोदन अधिकारी रहे सुबोध शंकर ने कहा कि परियोजना पूरी हो चुकी है और लगभग 63 प्रतिशत भुगतान पूजा को दिया जा चुका है।

इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट की है कि चार वार्डों में कई लाभार्थियों ने योजना का स्वागत किया तो कुछ अन्य लोगों ने ख़राब कार्यान्वयन और अधूरे काम की शिकायत की। वार्ड नंबर 4 पर पानी की टंकी के संचालक संजय मंडल ने कहा कि 150 नल उपलब्ध कराए गए हैं और वह प्रदीप कुमार भगत को रिपोर्ट करते हैं। भगत उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के साले हैं। वार्ड नंबर 10 के संचालक राजेंद्र झा ने कहा, 'यह पूजा कुमारी का ठेका है लेकिन मैं भगत के आदमियों के साथ समन्वय करता हूँ।'

भवड़ा पंचायत में ही दीपकिरन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 9 वार्डों में पीएचईडी ने 3.6 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिया है। रिकॉर्ड में डिप्टी सीएम प्रसाद के साले प्रदीप कुमार भगत और उनकी पत्नी किरण भगत कंपनी के निदेशक के रूप में हैं।

पीएचईडी रिकॉर्ड बताते हैं कि कंपनी को योजना के तहत नौ वार्डों को कवर करने वाले तीन ठेके दिए गए थे, सभी भवड़ा पंचायत में। संपर्क करने पर प्रदीप कुमार भगत ने अख़बार को बताया कि कुल परियोजना लागत का 1.8 करोड़ रुपये का भुगतान मिल चुका है और वह काम पूरा हो गया है। लेकिन हालात ये हैं कि अभी भी कई कमियों को दूर किया जाना है। 

जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को कटिहार की 8 पंचायतों में 110 वार्डों के लिए पीएचईडी ने 48 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिया। रिकॉर्ड में डिप्टी सीएम प्रसाद के सहयोगी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार कंपनी के निदेशक हैं।

संपर्क करने पर जायसवाल ने कहा, 'मैं पटना में रहता हूँ। एक स्टाफ सदस्य बबलू गुप्ता कटिहार में कंपनी का काम देखता है। जायसवाल ने पुष्टि की कि वह डिप्टी सीएम प्रसाद से जुड़े थे। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार बबलू गुप्ता ने कहा कि पीएचईडी द्वारा अब तक परियोजना लागत के 33 करोड़ रुपये कंपनी को भुगतान किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा, 'हम पहले रियल एस्टेट कारोबार में थे, और हम कटिहार में बढ़िया काम कर रहे हैं।'

एक अन्य निदेशक ललित किशोर प्रसाद से यह पूछे जाने पर कि क्या वह डिप्टी सीएम प्रसाद से संबंधित हैं, उन्होंने कहा कि 'सीधे नहीं।' अन्य निदेशक संतोष कुमार से संपर्क नहीं हो सका। 

 - Satya Hindi

तारकिशोर प्रसाद

इस मामले में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने माना है कि उनकी बहू को 4 प्रोजेक्ट मिले हैं। उन्होंने कहा है कि उनके साले भगत उसी क्षेत्र से जुड़े हैं। हालाँकि उन्होंने कहा है कि उनका प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार से दूर तक भी जुड़ाव नहीं है। उन्होंने कहा, 'कटिहार में कुल 2,800 इकाइयाँ हैं; मेरे परिवार को सिर्फ़ चार मिले हैं। व्यापार करने में कुछ भी ग़लत नहीं है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई अनियमितता न हो... मैंने अपने बेटे से कहा है कि वह कोई भी सरकारी काम न करे क्योंकि इससे अनावश्यक समस्याएँ पैदा होंगी।'

द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर बिहार के पीएचईडी मंत्री और बीजेपी नेता राम प्रीत पासवान ने कहा कि उन्होंने ऐसे मामलों के बारे में सुना है, लेकिन उप मुख्यमंत्री के परिवार और सहयोगियों को दिए गए ठेकों के बारे में नहीं। उन्होंने कहा, 'लोगों को आगे आने और इसके बारे में शिकायत करने की ज़रूरत है। यदि ठेकेदारों के पास इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि नौकरशाही या राजनीतिक प्रभाव वाले किसी अन्य व्यक्ति को ठेका मिला है तो वे हमसे शिकायत कर सकते हैं। मेरे पीएचईडी मंत्री बनने से पहले सभी ठेके दिए गए थे। इसकी शिकायतें भी हैं कि कुछ इंजीनियरों ने अपने पसंदीदा लोगों को ठेका दिया है।'

पीएचईडी सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, 'निविदा और बोली लगाने की एक मानक प्रक्रिया है। जो कंपनी या ठेकेदार सबसे कम बोली लगाता है उसे ठेका मिलता है।' यह पूछे जाने पर कि क्या विभाग को ठेके देने में राजनीतिक संरक्षण के बारे में कोई शिकायत मिली है तो श्रीवास्तव ने कहा कि 'नहीं'। कटिहार में पीएचईडी के पूर्व कार्यकारी अभियंता शंकर ने कहा है कि पूजा कुमारी, दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्चर और जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर को विधिवत ठेके दिए गए थे। 

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