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बीजेपी सत्ता में आई तो भूपेंद्र पटेल ही होंगे गुजरात के सीएम: शाह

बीजेपी सत्ता में आई तो भूपेंद्र पटेल ही होंगे गुजरात के सीएम: शाह

गुजरात में जोर-शोर से चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने पूर्व पत्रकार इसुदान गढ़वी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है जबकि कांग्रेस ने अभी तक इस बारे में कोई ऐलान नहीं किया है। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात की सत्ता में वापस लौटने की सूरत में बीजेपी का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर स्थिति साफ कर दी है। अमित शाह ने सीएनएन-न्यूज़ 18 की ओर से अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो भूपेंद्र पटेल ही अगले मुख्यमंत्री होंगे। बताना होगा कि सितंबर, 2021 में बीजेपी ने विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाया था और भूपेंद्र पटेल को कुर्सी सौंपी थी। 

उस वक्त इस फैसले पर लोगों को आश्चर्य हुआ था क्योंकि भूपेंद्र पटेल 2017 में पहली बार विधायक बने थे। पटेल को इस बार भी उनकी पुरानी सीट घाटलोडिया से चुनाव मैदान में उतारा गया है। 

गुजरात में जोर-शोर से चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने पूर्व पत्रकार इसुदान गढ़वी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है जबकि कांग्रेस ने अभी तक इस बारे में कोई ऐलान नहीं किया है। 

रूपाणी, नितिन पटेल को टिकट नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, वरिष्ठ नेता और विधायक भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं। इन नेताओं ने बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने से ठीक पहले मीडिया से कहा था कि वे इस बार विधानसभा चुनाव में नहीं उतरेंगे। 

राज्य में 1 व 5 दिसंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे। पहले चरण में 89 सीटों पर और दूसरे चरण में 93 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। साफ है कि चुनाव प्रचार के लिए 20 दिन का वक्त सभी राजनीतिक दलों के पास है। 

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। बीजेपी को तब 49% वोट मिले थे जबकि कांग्रेस ने 44% वोट हासिल किए थे। आम आदमी पार्टी ने तब सिर्फ 30 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे और अधिकतर सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। 

27 साल का सूखा 

दूसरी ओर, गुजरात में कांग्रेस पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किए गए बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को लगातार झटके लगे और 17 विधायक और कई नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छा-खासा जोर लगाना पड़ा था लेकिन तब भी बीजेपी की सीटें कम हुई थी। 2012 में कांग्रेस को जहां 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 77 हो गया था, दूसरी ओर बीजेपी 2012 में मिली 115 सीटों के मुक़ाबले 2017 में 99 सीटों पर आ गयी थी। 

गुजरात में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की चर्चाओं के बीच कांग्रेस राज्य में 5 यात्राएं निकाल रही है। इन यात्राओं के जरिये पार्टी 5,432 किलोमीटर की दूरी तय कर 175 विधानसभा सीटों को कवर करेगी। यात्रा के दौरान 145 जनसभाएं और 95 रैलियां होंगी। इन यात्राओं को परिवर्तन संकल्प यात्राओं का नाम दिया गया है।

 - Satya Hindi

मोरबी बना मुद्दा

कांग्रेस के नेता मोरबी जिले में हुए हादसे के साथ ही कोरोना से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामियों को भी चुनाव में मुद्दा बना रहे हैं। कोरोना के दौरान गुजरात में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी। कांग्रेस बेरोजगारी और महंगाई को भी मुद्दा रही है लेकिन उसका पूरा जोर मोरबी में हुए हादसे को लेकर राज्य सरकार को घेरने पर है। 

आम आदमी पार्टी पर नजर

गुजरात के चुनाव में इस बार कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी शहरी सीटों पर बीजेपी को टक्कर दे सकती है। आम आदमी पार्टी पंजाब में मिली बड़ी जीत के बाद लगातार गुजरात पर फोकस कर रही है और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का दावा करते हैं। हालांकि गुजरात की राजनीति अब तक दोध्रुवीय ही रही है और ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी चमत्कारिक प्रदर्शन कर पाएगी। 

इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम भी मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उन इलाकों में कांग्रेस को मिलने वाले वाले वोट बंट सकते हैं। 

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