
नेपाली छात्रा की आत्महत्या विवाद पर नेपाल का एतराज, 'नस्लवादी व्यवहार'
भुवनेश्वर के एक विश्वविद्यालय में नेपाल की छात्रा की आत्महत्या से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नेपाल की सरकार तक ने इस पूरे घटनाक्रम पर रोष जताया है। नेपाल की संसद में इसको लेकर हंगामा मच गया और आरोप लगाया गया कि छात्रा की आत्महत्या के पूरे मामले में नस्लवादी टिप्पणियाँ की जा रही हैं और अपमान किया जा रहा है। दरअसल, इस मामले में जिस तरह से छात्रा से कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया और उसकी आत्महत्या के बाद जिस तरह से प्रदर्शन करने वाले छात्रों के साथ पेश आया गया उसको लेकर संस्थान पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस मामले में क्या-क्या आरोप लग रहे हैं और क्या कार्रवाई की जा रही है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह पूरा घटनाक्रम क्या है। यह घटना भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी यानी केआईआईटी की है। तीसरे वर्ष की कंप्यूटर साइंस की छात्रा प्रकृति लामसाल ने रविवार को केआईआईटी परिसर में अपने छात्रावास के कमरे में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। 20 वर्षीय प्रकृति ने लखनऊ के अपने बैचमेट अद्विक श्रीवास्तव के ख़िलाफ़ 'दुर्व्यवहार' का आरोप लगाया था। कहा जा रहा है कि आत्महत्या की मुख्य वजह यही थी।
इस घटना के बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिनमें से कई नेपाल के छात्र थे। जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती गई, विश्वविद्यालय ने नेपाल के 500 से अधिक छात्रों को परिसर से बाहर निकाल दिया। इसके साथ ही आरोप लगा कि संस्थान के सुरक्षा गार्डों और अधिकारियों ने नेपाल के छात्रों पर नस्लवादी टिप्पणियाँ कीं, उनपर हमला किया, अपमानजनक बातें कहीं और आपत्तिजनक व्यवहार किया।
जब इस पर काफ़ी विवाद हुआ तो संस्थान, पुलिस और स्थानीय प्रशासन पर दबाव पड़ा। इसके बाद नेपाल के छात्रों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई वापस ली गई और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की गई।
नेपाल दूतावास और प्रधानमंत्री ओली के हस्तक्षेप के बाद सोमवार को विश्वविद्यालय नेपाल के 500 से अधिक छात्रों को परिसर से बाहर निकालने के अपने फैसले से पीछे हट गया।
बाद में मंगलवार को इन्फोसिटी पुलिस ने सुरक्षा गार्ड रमाकांत नायक और जोगेंद्र बेहरा और केआईआईटी के कर्मचारी सिबानंद मिश्रा, प्रताप कुमार चंपती और सुधीर कुमार रथ को गिरफ्तार कर लिया। सभी पांचों पर बीएनएस धारा 115 (2) (किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाना), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 296 (अश्लील कृत्य) और 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत आरोप लगाए गए।
विश्वविद्यालय ने पहले प्रदर्शनकारी नेपाल के छात्रों पर हमला करते हुए वीडियो में देखे गए दो सुरक्षा गार्डों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं और दो छात्रावास अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। इसने विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय यानी आईआरओ के एक प्रशासनिक अधिकारी को भी निलंबित कर दिया था, जहां प्रकृति ने लखनऊ के अपने बैचमेट अद्विक श्रीवास्तव के कथित दुर्व्यवहार के बारे में शिकायत की थी। श्रीवास्तव को रविवार को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
कहा जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की महिला कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर केआईआईटी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगे जाने की संभावना है, जिन्होंने कथित तौर पर आंदोलनकारी छात्रों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसका एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
वीडियो में दो महिला कर्मचारियों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि विश्वविद्यालय के संस्थापक द्वारा 40,000 वंचित छात्रों की मुफ्त शिक्षा के लिए खर्च की गई राशि नेपाल के वार्षिक बजट से अधिक है। कई अन्य वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें सुरक्षा कर्मी प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ मारपीट करते दिख रहे हैं।
नेपाल की संसद की आपत्ति
छात्र की आत्महत्या को लेकर नेपाल की संसद में मंगलवार को ग़ुस्से का माहौल देखने को मिला। मौत की जांच की मांग कर रहे छात्रों के ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों द्वारा की गई कथित नस्लवादी टिप्पणियों पर नाराजगी जताई गई।
जैसे ही नेपाल के प्रतिनिधि सभा की बैठक हुई, विपक्षी सदस्यों ने कहा कि संस्थान के अधिकारियों की प्रतिक्रिया 'नेपाल के लिए अपमानजनक' थी। माओवादी सेंटर के सदस्य माधव सपकोटा ने कहा कि नेपाली छात्रों के साथ किया गया व्यवहार नेपाल के लिए अपमानजनक और अस्वीकार्य है और के.पी. शर्मा ओली सरकार को भारत को यह स्पष्ट कर देना चाहिए। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के सदस्य धुर्बा बहादुर प्रधान ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे को भारत में सर्वोच्च स्तर पर उठाना चाहिए और पूरी जांच कर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। केपी शर्मा ओली ने कहा है कि इसके दूतावास ने दो अधिकारियों को इस मामले को देखने के लिए भेजा है।
Our Embassy in New Delhi has dispatched two officers to counsel Nepali students affected in Odisha.
— K P Sharma Oli (@kpsharmaoli) February 17, 2025
Additionally, arrangements have been made to ensure they have the option to either remain in their hostel or return home, based on their preference. #Nepal #Odisha
बता दें कि मंगलवार को ओडिशा सरकार ने कथित आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह, सत्यब्रत साहू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन किया। यह समिति विश्वविद्यालय अधिकारियों द्वारा कथित मनमानी, नेपाल के छात्रों को निष्कासन नोटिस जारी करने के कारणों और घटना के अन्य पहलुओं की भी जांच करेगी।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)