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आरएसएस से जुड़ा किसान संगठन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ देगा धरना

आरएसएस से जुड़ा किसान संगठन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ देगा धरना

राष्ट्रीय स्वंयसेव संघक यानी आरएसएस से जुड़ा किसान संगठन भारतीय किसान संघ भी अब कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ खड़ा हो रहा है। इसने 8 सितंबर को पूरे देश में एक दिन के धरने का कार्यक्रम रखा है।

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ नौ महीने से ज़्यादा समय से चल रहे किसान आन्दोलन से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस भी अछूता नहीं रहा। संघ से जुड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने एलान किया है कि वह 8 सितंबर को पूरे देश में धरना देगा। 

भारतीय किसान संघ का कहना है कि उसने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि तीन कृषि क़ानून वापस लिए जाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक क़ानून लाया जाए, पर सरकार ने अब तक इस पर कुछ नहीं किया है। लिहाज़ा, 8 सितंबर को देश के अलग-अलग जगहों पर किसान धरना देंगे। 

भारतीय किसान संघ का मानना है कि फसलों की एमएसपी लागत पर तय होनी चाहिए और नए कृषि क़ानूनों पर जारी विवादों को सुलझाने के लिए एक नया क़ानून बनाया जाना चाहिए। 

बीकेएस के खजांची युगल किशोर मिश्रा ने पत्रकारों से कहा है कि इन माँगों के समर्थन में 8 सितंबर को देश भर में एक दिन का सांकेतिक धरना दिया जाएगा।मिश्रा ने कहा, 

हमने मोदी सरकार को अपनी माँगों पर अमल के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया था। चूँकि सरकार की ओर से कोई सकारात्मक संकेत नहीं आए हैं, इसलिए हम 8 सितंबर को धरना देंगे।


युगल किशोर मिश्रा, खजांची, भारतीय किसान संघ

इस कार्यक्रम के तहत हर ज़िला मुख्यालय पर संगठन के लोग धरना देंगे और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों की समस्याओं के बारे में लोगों को बताएंगे।

 - Satya Hindi

'मिशन यूपी-उत्तराखंड' 

किसान 5 सितंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर में 'मिशन यूपी-उत्तराखंड' को लेकर रणनीति को फ़ाइनल करेंगे। इस मिशन के तहत संयुक्त किसान मोर्चा के नेता पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जाएंगे और बीजेपी को वोट न देने की अपील करेंगे। 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसानों के ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ के एलान के बाद बीजेपी भी हरक़त में आ गई है।

बीजेपी अब पूरे उत्तर प्रदेश में किसानों तक पहुंच बढ़ाने के लिए बैठकें करेगी। यह माना जा रहा है कि किसान आंदोलन से बीजेपी को उत्तर प्रदेश के चुनाव में सियासी नुक़सान हो सकता है और शायद इसीलिए पार्टी इस मोर्चे पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। 

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