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भारत जोड़ो यात्रा में राहुल के साथ चले आदित्य ठाकरे

भारत जोड़ो यात्रा में राहुल के साथ चले आदित्य ठाकरे

भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस खुद को सांगठनिक तौर पर मजबूत करने में जुटी है। आदित्य ठाकरे के इस यात्रा में शामिल होने से महाविकास आघाडी के साथ ही विपक्षी एकता को भी मजबूत करने की कोशिशों को बल मिलेगा। 

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे व पूर्व कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे शुक्रवार को कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। एनसीपी मुखिया शरद पवार को भी इस यात्रा में शामिल होना था लेकिन स्वास्थ्य खराब होने की वजह से वह इस यात्रा में शामिल नहीं हो रहे हैं। बता दें कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों महाराष्ट्र में चल रही है। महाराष्ट्र में यह यात्रा 14 दिन तक रहेगी। यात्रा 15 विधानसभा और छह संसदीय क्षेत्रों को कवर करेगी और राज्य में 381 किमी की दूरी तय करेगी।

कांग्रेस ने राहुल गांधी और आदित्य ठाकरे की तसवीर को ट्वीट करते हुए लिखा है, 'अन्याय के ख़िलाफ़ हम एक हैं - हक़ के लिए मिल कर आवाज़  उठाएंगे - कंधे से कंधा मिलाएंगे - भारत जोड़ते जाएंगे।'

गुरुवार को एनसीपी के महाराष्ट्र प्रमुख जयंत पाटिल, सांसद सुप्रिया सुले और पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। 

कांग्रेस कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। यह यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का सफर तय करते हुए महाराष्ट्र पहुंची है। भारत जोड़ो यात्रा कुल 3570 किमी. की है। 

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नया सियासी समीकरण

महाराष्ट्र में नवंबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर महा विकास आघाडी सरकार बनाई थी तो एक नए समीकरण का उदय हुआ था। इससे पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना-बीजेपी का गठबंधन होता था लेकिन महा विकास आघाडी के नए गठबंधन के बाद बीजेपी अलग-थलग पड़ गई थी। जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद बीजेपी को राज्य की सत्ता में वापसी करने का मौका मिला है। 

विपक्षी एकता की कवायद

निश्चित रूप से महाराष्ट्र जैसे बेहद अहम और बड़े राज्य में जब महा विकास आघाडी में शामिल तीनों दलों के नेता भारत जोड़ो यात्रा में साथ-साथ चलेंगे तो विपक्षी एकता को बल मिलेगा। अगस्त में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए का साथ छोड़ने और महागठबंधन के पाले में आने के बाद से ही विपक्षी एकता की कोशिशें जोरों पर हैं। विपक्षी नेताओं की एक बड़ी रैली हरियाणा के फतेहाबाद में हो चुकी है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी दिल्ली आकर सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी समेत तमाम नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। 

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बीएमसी चुनाव 

आने वाले दिनों में बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के चुनाव होने हैं। बीएमसी के चुनाव बेहद अहम होते हैं और इस चुनाव में बीजेपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट एक तरफ होंगे जबकि उद्धव ठाकरे गुट, कांग्रेस और एनसीपी एक साथ दिखेंगे। इसके बाद लोकसभा व विधानसभा चुनाव भी ये दल मिलकर लड़े तो बीजेपी व एकनाथ शिंदे गुट को कड़ी चुनौती मिल सकती है। 

कांग्रेस के सामने चुनौती

कांग्रेस लंबे वक्त देश में एकछत्र शासन करती रही है। साथ ही देश के कई राज्यों में भी उसने अपने दम पर हुकूमत चलाई है लेकिन गठबंधन की राजनीति के दौर में कांग्रेस कमजोर होना शुरू हुई। 2004 से 2014 तक उसने वाम दलों के समर्थन से केंद्र में सरकार चलाई। लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के साथ ही पार्टी को कई राज्यों में चुनावी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इसके अलावा बड़ी संख्या में कई वरिष्ठ नेता भी पार्टी छोड़कर चले गए। 

अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ डेढ़ साल का वक्त बचा है तो कांग्रेस एक बार फिर भारत जोड़ो यात्रा के जरिए संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा अभी तीन महीने और चलेगी और देखना होगा कि तब तक इस यात्रा के जरिए राहुल कितने बड़े स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच पाते हैं।

2023 है चुनावी साल 

बताना होगा कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 2023 बेहद अहम है। साल 2023 में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कर्नाटक, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना शामिल हैं। इससे पहले गुजरात, हिमाचल प्रदेश के अलावा दिल्ली में भी एमसीडी के चुनाव होने हैं। 

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2024 लोकसभा चुनाव

2024 के लोकसभा चुनाव का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आएगा विपक्ष के साथ ही बीजेपी भी अपनी तैयारियों को तेज करेगी। जनता से जुड़े तमाम मुद्दों पर सरकार फोकस करेगी तो विपक्ष जनता की समस्याओं को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करेगा। ऐसे में 2024 का चुनावी मुकाबला निश्चित रूप से बेहद जोरदार होने की पूरी उम्मीद है और अगर विपक्षी दलों का एक फ्रंट बना तो इससे बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। 

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