कठुआ गैंगरेप केस जम्मू कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा पर भारी पड़ रहा है। इस बहुचर्चित गैंगरेप केस के आरोपियों का समर्थन करने वाले लोगों को कांग्रेस में शामिल किए जाने के मुद्दे पर मतभेद पैदा हो गए हैं। भारत जोड़ो यात्रा जबकि जम्मू कश्मीर पहुंचने वाली है, उससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता दीपिका पुष्कर नाथ ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि दीपिका तमाम मंचों पर भारत जोड़ो यात्रा का प्रचार प्रसार करने में जुटी हुईं थीं। पूर्व मंत्री लाल सिंह को राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने की "अनुमति" देने को उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह बताई है। दीपिका पुष्कर नाथ ने कहा कि वह वैचारिक आधार पर पार्टी छोड़ रही हैं क्योंकि लाल सिंह आठ साल की खानाबदोश लड़की के बलात्कारियों का "बेशर्मी से बचाव" कर रहे थे। उन्हीं की वजह से 2018 के कठुआ गैंगरेप केस में आरोपियों को फायदा मिला था।
लाल सिंह, दो बार सांसद और तीन बार विधायक बने लेकिन 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे। फिर जब जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और बीजेपी की सरकार बनी तो लाल सिंह उसमें मंत्री बने। लेकिन जून, 2018 में जब बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ दिया तो महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई थी। लेकिन मंत्री रहते हुए ही लाल सिंह को उस समय इस्तीफा देना पड़ा जब उन्होंने जनवरी 2018 में कठुआ गैंगरेप केस के आरोपी के समर्थन में रैली में भाग लिया था। लेकिन मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद लाल सिंह ने बीजेपी भी छोड़ दी और डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (DSSP) की स्थापना की। लाल सिंह ने कठुआ गैंगरेप केस के आरोपी के समर्थन में निकली रैली में खुद के शामिल होने का बचाव करते हुए कहा था कि वो हालात को संभालने के लिए उस रैली में शामिल हुए थे।
गुलाम नबी आजाद ने जब जम्मू कश्मीर में कांग्रेस से अलग होकर डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) बनाई तो लाल सिंह उसमें चले गए। लेकिन हाल ही में उस पार्टी से 17 लोग वापस कांग्रेस में लौट आए। जिसमें लाल सिंह थे। लेकिन उनके कांग्रेस में लौटते ही विवाद शुरू हो गया और जिसका नतीजा दीपिका पुष्कर नाथ के रूप में सामने आया है।
दीपिका ने इस्तीफा देते हुए अपने ट्वीट में लिखा है कि @bharatjodo और @INCJammuKashmir में शामिल होने के चौधरी लाल सिंह के प्रस्ताव को देखते हुए, मेरे पास @INCIndia से इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। बलात्कारियों का खुलकर बचाव करके। लाल सिंह ने बलात्कारियों को बचाने के लिए जम्मू-कश्मीर को विभाजित (हिन्दू-मुस्लिम) कर दिया जो @bharatjodo की भावना और विचारों के उलट है। वैचारिक आधार पर, मैं ऐसे व्यक्ति के साथ पार्टी का मंच साझा नहीं कर सकती।
पेशे से वकील, दीपिका नाथ पीड़ित बच्ची के माता-पिता को जांच की निगरानी के लिए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में ले गईं। उन्हें केस को राज्य से बाहर पठानकोट (पंजाब) ट्रांसफर करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद हाईकोर्ट ने केस को ट्रांसफर किया।
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर की एआईसीसी प्रभारी रजनी पाटिल ने पत्रकारों से कहा कि गांधी की विचारधारा में विश्वास करने वाले किसी भी नेता का भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का स्वागत है। एक सवाल के जवाब में कि लाल सिंह के यात्रा में शामिल होने का गलत प्रभाव हो सकता है, पाटिल ने कहा, हम सिर्फ अपने नेता के मार्च पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अगर लाल सिंह का मानना है कि राहुल गांधी विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच की खाई को पाट रहे हैं, तो उनका स्वागत है।
विजय टगोत्रा पर भी विवाद
पूर्व मंत्री लाल सिंह के अलावा विजय टगोत्रा पर भी विवाद है। विजय टगोत्रा उन 17 लोगों में शामिल हैं जो कांग्रेस में शामिल हैं। विजय टगोत्रा ही वो शख्स है जिसने कठुआ गैंगरेप केस के आरोपियों के समर्थन में रैली का आयोजन किया था।कौन है विजय टगोत्रा
विजय टगोत्रा के राजनीतिक बैकग्राउंड पर अगर नजर डाली जाए तो यह शख्स घूम फिर कर कांग्रेस में आ जाता है। कठुआ गैंगरेप सामने आने के बाद जम्मू में हिंदू एकता मंच का गठन हुआ। इसके गठन में विजय टगोत्रा आगे-आगे रहे। उस समय वो जम्मू के नोनाथ गांव के पूर्व सरपंच और कांग्रेस नेता था। फरवरी 2018 में विजय टगोत्रा ने कठुआ केस में राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों के समर्थन में पहला मार्च निकालकर उस मंच को बनाने में मदद की। बीजेपी के जब दो मंत्रियों का इस्तीफा हो गया तो कांग्रेस पर भी उस रैली में शामिल कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया। इसलिए कांग्रेस ने भी 2018 में विजय टगोत्रा को पार्टी से सिर्फ निलंबित कर दिया गया। निलंबन के बाद उनके खिलाफ आगे कोई कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई। रिपोर्टों से पता चलता है कि जम्मू के दो अन्य प्रमुख कांग्रेस सदस्यों गिरधारी लाल और सुभाष चंदर ने भी मार्च में भाग लिया। याद दिला दें कि राहुल गांधी ने भी कठुआ गैंगरेप केस के खिलाफ निकाले गए कैंडल मार्च में हिस्सा लिया था। इसके बावजूद कांग्रेस ने विजय टगोत्रा को पार्टी से बाहर नहीं किया।
राजनीतिक अवसरवादः गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से जब मोहभंग हुआ तो उन्होंने जम्मू कश्मीर में अपनी क्षेत्रीय पार्टी गठित करके राज्य में अवसरवादी कांग्रेसी नेताओं को सक्रिय कर दिया। करीब 17 सक्रिय कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) में शामिल होने की घोषणा कर दी। इनका नेतृत्व वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम ताराचंद शर्मा कर रहे थे। इन 17 नेताओं में विजय टगोत्रा भी थे।
इधर, कांग्रेस ने इससे विचलित हुए बिना भारत जोड़ो यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। यात्रा अब कल गुरुवार को जम्मू कश्मीर पहुंचने वाली है। राहुल गांधी को लेकर जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का कैडर सक्रिय नजर आया तो इन 17 नेताओं को भी अपनी गलती का एहसास हुआ। इन लोगों ने पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलकर कांग्रेस में लौटने की गुहार लगाई। इस तरह विजय टगोत्रा जो कठुआ गैंगरेप के आरोपियों का समर्थन करने के आरोप में पार्टी से निलंबित किए गए थे वो कांग्रेस में लौट आए।
बहुत मुमकिन है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को विजय टगोत्रा का पिछला इतिहास नहीं पता हो, ऐसे में ताराचंद शर्मा की जिम्मेदारी थी को वो राष्ट्रीय नेतृत्व को बताते। वैसे भी पार्टी में शामिल करने से पहले नेताओं के बैकग्राउंड की छानबीन तो बनती है। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ अगर विजय टगोत्रा की फोटो खिंची और वायरल हुई तो बीजेपी के पास फिर एक मुद्दा होगा और कांग्रेस को फजीहत का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस को विजय टगोत्रा जैसे नेताओं से फौरन छुटकारा पाना चाहिए। जो लोग गैंगरेप या रेप के आरोपियों के समर्थक हों, उन्हें किसी भी राजनीतिक दल में नहीं रखा जाना चाहिए।