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मान सरकार लाई विश्वास प्रस्ताव, कांग्रेस, अकाली दल ने किया विरोध

मान सरकार लाई विश्वास प्रस्ताव, कांग्रेस, अकाली दल ने किया विरोध

भगवंत मान सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखा है। इस पर 3 अक्टूबर को वोटिंग होगी। सरकार को विश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत क्यों पड़ी। 

पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार आखिरकार मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव ले आई है। बताना होगा कि विश्वास प्रस्ताव को लेकर पंजाब सरकार और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच अच्छी खासी तकरार हो चुकी है। 

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था और राज्यपाल ने 20 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की इजाजत भी दे दी थी। लेकिन सत्र से एक दिन पहले एक पत्र जारी कर उन्होंने इसे वापस ले लिया। 

इस सत्र में मान सरकार बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाने जा रही थी। 

इसके बाद राज्य सरकार ने 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने का प्रस्ताव राजभवन को भेजा तो राज्यपाल ने इसका एजेंडा मांग लिया था। राज्य सरकार ने इसका विरोध किया था। हालांकि उसने राजभवन को बताया था कि इस सत्र में पराली जलाने और ऊर्जा विभाग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। लेकिन यह कहा जा रहा था कि मान सरकार इस सत्र में बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव ला सकती है। 

3 अक्टूबर को होगी वोटिंग 

आखिरकार ऐसा ही हुआ और भगवंत मान सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर 3 अक्टूबर को वोटिंग होगी। विश्वास प्रस्ताव रखे जाने का पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने विश्वास प्रस्ताव लाकर राज्यपाल की शक्तियों को चुनौती दी है। बीजेपी, शिरोमणि अकाली दल ने भी इसका विरोध किया और कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों ने ने सदन से वॉकआउट कर दिया। 

कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राजस्थान संकट का हवाला देते हुए कहा कि क्या कांग्रेस हमें सदन के नियमों के बारे में बताएगी, वह पहले अपने घर को ठीक करे। 

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में कहा कि बीजेपी के लोग उनके विधायकों से संपर्क कर रहे थे और उनकी बोली लगा रहे थे। उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर वह हर जगह अपनी ही सरकार क्यों चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायक बाजार में बिकने के लिए नहीं हैं। 

कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी ने मान सरकार द्वारा विश्वास प्रस्ताव लाए जाने का पुरजोर विरोध किया था और जब राज्यपाल ने विश्वास प्रस्ताव के लिए विशेष सत्र बुलाए जाने की मंजूरी को रद्द कर दिया था तो उन्होंने राज्यपाल के फैसले का स्वागत किया था।

पंजाब में इस साल मार्च में चुनाव हुए थे और इसमें आम आदमी पार्टी को प्रचंड जीत मिली थी। पंजाब की 117 सीटों में से 92 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को बुरी तरह समेट दिया था। कांग्रेस को 18, बीजेपी को 2, शिरोमणि अकाली दल को 3, बीएसपी को 1 और 1 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी। 

ऑपरेशन लोटस का आरोप 

कुछ दिन पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और इस दौरान उसके विधायकों को बीजेपी के साथ आने के लिए 25-25 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हायर, शहरी विकास मंत्री अमन अरोड़ा, दिल्ली के विधायक सौरभ भारद्वाज, आतिशी मार्लेना ने ऑपरेशन लोटस को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी और बीजेपी पर हमला बोला था। 

 - Satya Hindi

दिल्ली में साबित किया था बहुमत

याद दिलाना होगा कि दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और विधायकों को पाला बदलने के लिए 20-20 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने सड़क से लेकर विधानसभा तक जोरदार प्रदर्शन किया था और उसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपनी सरकार का बहुमत साबित किया था। केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के एक भी विधायक को नहीं तोड़ सकी।

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