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मान सरकार की कमेटी पर पंजाब की सियासत में क्यों मचा घमासान?

मान सरकार की कमेटी पर पंजाब की सियासत में क्यों मचा घमासान?

कमेटी को लेकर आखिर कांग्रेस और बीजेपी ने विरोध क्यों जताया है। क्या मान सरकार दिल्ली के इशारे पर चल रही है?

पंजाब सरकार के द्वारा एक कमेटी बनाए जाने के फैसले को लेकर राज्य की सियासत में भूचाल आ गया है। इस कमेटी के पास यह जिम्मेदारी है कि वह प्रशासन और लोगों से जुड़े मुद्दों पर राज्य सरकार को राय देगी। लेकिन पंजाब कांग्रेस का कहना है कि आम आदमी पार्टी पंजाब के शासन को आउटसोर्स करना चाहती है। 

कांग्रेस ने यह भी कहा है कि आम आदमी पार्टी के किसी राज्यसभा सांसद को इसका चेयरमैन बनाया जाएगा और यह ग़लत है। बीजेपी ने भी इसे लेकर विरोध जताया है।

नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट पर विवाद

इससे पहले अप्रैल में दिल्ली और पंजाब की सरकारों के बीच नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट को लेकर बवाल हो चुका है। तब पंजाब में विपक्ष ने कहा था कि  यह समझौता करके मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने घुटने टेक दिए हैं।

ताज़ा मामले में भगवंत मान सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इस कमेटी के चेयरपर्सन और सदस्य राज्य सरकार से किसी भी तरह की कोई तनख्वाह नहीं लेंगे। इस कमेटी का चेयरपर्सन सरकारी बैठकों में भाग लेगा और सरकार को अपनी सलाह भी देगा।

कमेटी के गठन के नियम और शर्तें ऐसी हैं कि इसका चेयरमैन किसी राज्यसभा सांसद को बनाया जाएगा और सांसद पर लाभ के पद के नियम के उल्लंघन का आरोप भी नहीं लगेगा। 

सुपर सीएम बनाने की साजिश?

पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कमेटी की कानूनी वैधता को लेकर सवाल उठाया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री क्यों अलग से एक संवैधानिक प्राधिकरण बना रहे हैं जबकि इसकी कोई जवाबदेही नहीं होगी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह कोई सुपर कैबिनेट या सुपर सीएम बनाने की साजिश है। 

 - Satya Hindi

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार को बताना चाहिए कि इस कमेटी को बनाए जाने के पीछे उसका मकसद क्या है और क्या राज्य सरकार पंजाब के शासन को एक एडहॉक कमेटी को आउटसोर्स करना चाहती है। 

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सरकारों ने इस तरह की सलाहकार कमेटियां बनाई थीं लेकिन यह कमेटियां सिर्फ कुछ वक्त के लिए थीं और भगवंत मान सरकार के द्वारा बनाई गई कमेटी से बिल्कुल अलग थीं। 

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एडहॉक एडवाइजरी कमेटी को ही नियुक्त किया जाना है तो फिर कैबिनेट का मतलब क्या है या फिर आम आदमी पार्टी पंजाब के शासन को आउटसोर्स करना चाहती है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

पंजाब के विपक्षी दल पहले भी मुख्यमंत्री भगवंत मान को रबर स्टांप बता चुके हैं और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हैं कि वह पंजाब की सरकार को दिल्ली से चला रहे हैं।

मान को कठपुतली बताया 

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी मान सरकार के द्वारा इस कमेटी को बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं। बाजवा ने कहा है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को पंजाब पर शासन करने का एक कानूनी रास्ता मिल गया है और इससे इस बात को बल मिलता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री दिल्ली के मुख्यमंत्री की कठपुतली हैं।

सिरसा ने बोला हमला

दिल्ली और पंजाब की सिख सियासत में ठीक-ठाक असर रखने वाले बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब सरकार की शक्तियां छीन लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट के नाम पर पंजाब की सरकार की ताकत छीनने का काम केजरीवाल कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल पंजाब की सरकार पर अपना कब्जा करना चाहते हैं और इससे पंजाब का बहुत बड़ा नुकसान होगा। 

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