असम: 'थाने में आगजनी का आरोपी हिरासत से भागते हुए मारा गया'
असम के नगांव में पहले सफीकुल इसलाम के हिरासत में मौत के आरोप लगे और अब कथित तौर पर हिरासत से भागने के दौरान सड़क हादसे में आशिकुल इसलाम की जान चली गई। दोनों घटनाएँ जुड़ी हुई हैं। दरअसल, सफीकुल इसलाम की हिरासत में मौत का आरोप लगाते हुए उसके परिजनों व ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था और इसी दौरान थाने के एक हिस्से में आग लगा दी गई थी। इसी आगजनी के मामले में आशिकुल इसलाम मुख्य आरोपी था।
पुलिस ने इस मुख्य आरोपी आशिकुल को गिरफ़्तार भी कर लिया था, लेकिन उसके पास से सामान बरामदगी को लेकर उसे उसके ठिकाने पर ले जाया गया था। पुलिस का दावा है कि लौटने के दौरान उसने भागने का प्रयास किया और वह दूसरी गाड़ी की चपेट में आ गया। पुलिस ने कहा है कि सोमवार तड़के मौत हो गई।
यह मामला मछली व्यापारी सफीकुल इसलाम से जुड़ा है। पुलिस के अनुसार सलोनाबोरी गांव के एक मछली व्यापारी सफीकुल इसलाम को 20 मई की रात इस शिकायत के आधार पर पुलिस स्टेशन लाया गया था कि वह शराब के नशे में था। बाद में अगले दिन ख़बर आई कि सफीकुल की मौत हो गई है। मौत के कारण बनने वाली घटनाओं पर विवाद है। पुलिस ने दावा किया कि उसकी पत्नी द्वारा अस्पताल ले जाने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। जबकि मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि उसने उसे अस्पताल में मृत पाया।
हिरासत में मौत का आरोप लगाते हुए सफीकुल के गांव सलोनाबोरी के लोगों की भीड़ ने 21 मई को ढिंग क्षेत्र में बटाद्रवा पुलिस स्टेशन के एक हिस्से में आग लगा दी थी।
इसी मामले में आशिकुल को गिरफ़्तार किया गया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नगांव की एसपी लीना डोले ने कहा, 'आरोपी आशिकुल इसलाम के ख़िलाफ़ रविवार को पुलिस ने मामला दर्ज किया था और हम उसे पूछताछ के लिए ले गए।' रिपोर्ट है कि पूछताछ के दौरान आशिकुल ने स्वीकार किया था कि उसने अपने घर में हथियार रखे थे। डोले ने कहा,
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तो, हमारी टीम हथियारों की तलाश में गई। तलाशी अभियान समाप्त होने के बाद रास्ते में उसने कार से भागने की कोशिश की और उसके पीछे एस्कॉर्ट वाहन ने ग़लती से उसे कुचल दिया।
लीना डोले, एसपी, नगांव
अस्पताल ने उसे मृत घोषित कर दिया। बता दें कि जिस तरह की घटना यह घटी वैसी ही घटना दिसंबर 2021 में भी घटी थी। जोरहाट में एक छात्र नेता की लिंचिंग के मुख्य आरोपी नीरज दास की इसी तरह से मौत हो गई थी। वह कथित तौर पर हिरासत से बचने की कोशिश कर रहा था, तब एक पुलिस वाहन ने उसे कुचल दिया था।
बहरहाल, के इस मामले में बटाद्रवा थाने में आगजनी के मामले में 11 लोगों पर आगजनी का मामला दर्ज किया है। इनमें आशिकुल और सफीकुल के परिवार के सदस्यों के नाम भी हैं। पुलिस ने कहा है कि घटना के वीडियो फुटेज में आग लगाने वालों और हिंसा करने वाले लोगों की पहचान की गई थी।
उस हिंसा और आगजनी के बाद अधिकारियों ने हफ्ते भर पहले रविवार को उन लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया, जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस थाने में आग लगा दी थी। इसमें सफीकुल का घर भी शामिल था। पुलिस के अनुसार आरोपी अतिक्रमणकारी थे और जाली दस्तावेजों के साथ सरकारी जमीन पर रह रहे थे। आरोपियों पर उनके संदिग्ध आतंकी संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। इनमें मृतक सफीकुल की पत्नी का नाम भी शामिल है।
बता दें कि इस मामले में परिजनों ने आरोप लगाया है कि सफीकुल की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। लेकिन घटना के बाद असम के पुलिस महानिदेशक ने एक बयान में कहा था कि ' शराब के नशे में हिरासत में लिए गए सफीकुल को रिहा कर दिया गया और शनिवार सुबह उसकी पत्नी को सौंप दिया गया। उसकी पत्नी ने उसे कुछ खाना-पानी भी दिया। बाद में उसने बीमारी की शिकायत की और उसे एक के बाद एक दो अस्पतालों में ले जाया गया। दुर्भाग्य से उसे मृत घोषित कर दिया गया।'
पुलिस के इस दावे को सफीकुल के परिवार वालों ने खारिज किया है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके परिवार वालों ने दावा किया था कि बटाद्रवा स्टेशन पर पुलिस ने उसकी रिहाई के लिए 10,000 रुपये और एक बत्तख की रिश्वत की मांग की थी। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों ने कहा था कि सफीकुल की पत्नी शनिवार की सुबह बत्तख लेकर थाने पहुंची थी। ग्रामीणों ने कहा, 'जब वह बाद में पैसे लेकर लौटी, तो उसे पता चला कि उसके पति को नगांव सिविल अस्पताल ले जाया गया है। वहां पहुंचने के बाद उसने उसे मृत पाया।' पुलिस ने इन आरोपों को खारिज किया है।