राजस्थान के बांसवाड़ा में भाजपा को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा। वही बांसवाड़ा जहां प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले मुसलमानों को 'घुसपैठिए' और 'अधिक बच्चे पैदा करने वाले' कहा था। भाजपा उम्मीदवार महेंद्रजीत सिंह मालवीय को भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के राजकुमार रोत ने 2,47,054 वोटों के अंतर से हरा दिया। जीत का यह अंतर पीएम मोदी की वाराणसी सीट से अधिक है, जहां उन्होंने 1,52,513 वोटों से जीत हासिल की है। इन आंकड़ों का प्रभाव शायद यहां इसे पढ़ने पर न दिखाई दे, लेकिन भाजपा को मालूम है कि जमीन पर इन आंकड़ों के जरिए क्या संकेत मिल रहा है।
- फैजाबाद लोकसभा सीट यानी अयोध्या की सीट भाजपा के लल्लू सिंह ने 54567 वोटों से हारी है। यहां पर सपा के अवधेश प्रसाद जीते हैं जो दलित हैं। (फैजाबाद मुख्य शहर है और अयोध्या उसका उपनगर है। लेकिन यूपी में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद फैजाबाद का नाम अयोध्या कर दिया। चुनाव आयोग ने सीट का नाम फैजाबाद के नाम पर ही रहने दिया)
भारत आदिवासी पार्टी ने 2023 में राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी राजनीतिक शुरुआत की। यह 2017 तक गुजरात स्थित भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) का हिस्सा था लेकिन बाद में अलग हो गया। राजकुमार रोत चौरासी से बीएपी के विधायक हैं, जो 2023 में चुने गए थे। अब उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा। भाजपा उम्मीदवार, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, बागीदोरा सीट से कांग्रेस विधायक थे। बांसवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। इसी तरह बीएपी ने बागीदौरा में दोनों उपचुनाव और बांसवाड़ा में लोकसभा चुनाव जीता है।
मोदी के 21 अप्रैल को जुमले
मोदी ने 21 अप्रैल को बांसवाड़ा रैली के दौरान आरोप लगाया था कि कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि वे माताओं-बहनों के गोल्ड की जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को 'घुसपैठियों' और 'जिनके ज्यादा बच्चे हैं' उन्हें बांट देंगे। मोदी का यह बयान मुसलमानों के स्पष्ट संदर्भ में था। उन्होंने यह भी झूठा दावा किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।
बहरा चुनाव आयोगः सिविल सोसाइटी के सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित लगभग 20,000 लोगों ने सामूहिक रूप से चुनाव आयोग को दो अलग-अलग पत्र लिखे थे। जिसमें मोदी की टिप्पणियों को परेशान करने वाला कहा गया था। संविधान का सम्मान करने वाले लाखों भारतीय नागरिकों की भावनाओं का सीधा अपमान बताते हुए मोदी के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया गया था। कांग्रेस ने भी 22 अप्रैल को केंद्रीय चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें पीएम मोदी पर समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए धर्म और धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था।
पीएम मोदी को नोटिस भेजने से इनकार करते हुए, ईसीआई ने चार दिन बाद भाजेपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से शिकायतों पर जवाब मांगा और उन्हें अपने स्टार प्रचारकों पर लगाम लगाने को कहा।
देश में फिर से नई सरकार के गठन को लेकर गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। लगता है कि टीडीपी और जेडीयू की मदद से एनडीए सरकार फिर से बनेगी और मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे। लेकिन क्या मोदी अब अयोध्या और बांसवाड़ा की हार से सबक लेंगे। इन दोनों ही सीटों से भाजपा हारी है, जिसे हिन्दुत्व की रक्षा के रूप में पेश किया जा रहा था। अयोध्या में राम मंदिर का वादा पूरा करने के बाद भी भाजपा हारी। बांसवाड़ा में मोदी के साम्प्रदायिक जुमले हार गए।